खादिमों से तर्बरूक भी लिया।
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2 मई को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की पगड़ी अपने सिर पर बंधवाई, इसके साथ ही दरगाह से आए खादिमों ने मोदी को सूफी परम्परा के अनुरूप दरगाह का तर्बरूक (प्रसाद) भी भेंट लिया। इतना ही नहीं मोदी को शॉल भी ओढ़ाया गया। सब जानते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने एक मौलाना से टोपी पहनने से इंकार कर दिया था। कैमरे में कैद मोदी की इस इंकारी की तब देशभर में खूब चर्चा हुई। लेकिन 2 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ना तो पगड़ी बंधवाने पर ऐतराज किया और ना ही तर्बरूक लेने से इंकार किया। इन सब दृश्यों के फोटो भी खिंचवाए गए। ये सभी फोटो पीएम मोदी की सहमति से खींचे गए। अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम पीर सैय्यद फखर काजमी चिश्ती ने बताया कि पीएम मोदी ने ही उन्हें मिलने के लिए बुलाया था। इस बुलावे पर ही उनके साथ सैय्यद रागिब चिश्ती, सैय्यद अख्तर रजा चिश्ती, सैय्यद अकरम हुसैन चिश्ती व सैय्यद जीशान चिश्ती ने 2 मई को दिल्ली में लोकसभा स्थित प्रधानमंत्री के कक्ष में मोदी से मुलाकात की।
जियारत के लिए आएंगे अजमेर:
फखर काजमी ने बताया कि खादिम समुदाय के शिष्टमंडल से पीएम मोदी ने पूरी शिद्दत के साथ मुलाकात की। पीएम मोदी ने माना की देश में ख्वाजा साहब के सूफीवाद के संदेश से ही अमन और भाईचारा हो सकता है। प्रतिनिधि मंडल ने जब मोदी के समक्ष दरगाह जियारत का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वह जियारत के लिए अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह आएंगे।
(एस.पी. मित्तल) (02-05-2016)
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