Tuesday 3 May 2016

विश्व में भारत बन रहा है अस्थमा की राजस्थानी। डॉ. पीयूष अरोड़ा ने कहा कि धूल और धुआ से फैलता है अस्थमा।



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धूल तेजी से अस्थमा रोग फैला रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। पूरे विश्व में लगभग एक अरब लोग श्वास की बीमारी से पीडि़त है, जिसमें से तीस करोड़ मरीज अस्थमा के हैं। लगभग तीन करोड़ अस्थमा के मरीज भारत में है, जो कि पूरे विश्व का लगभग 10 प्रतिशत है और यह आंकड़ा भारत को अस्थमा की राजधानी बनाने के लिए काफी है। अजमेर के सुप्रसिद्ध एलर्जी अस्थमा एवं श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. पीयूष अरोड़ा ने बताया कि अस्थमा किसी भी आयु में हो सकता है और बच्चों में अस्थमा तेजी से बढ़ता जा रहा है। आज लगभग 20 में से 1 बच्चा अस्थमा से पीडि़त है और पिछले कुछ वर्षों से यह आंकड़ा दोगुना हो गया है। आज आमजन हृदय की बीमारी, डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल के बारे में तो जागरुक हैं, लेकिन फेफड़े एवं अस्थमा के बारे में बहुत कम लोग जागरुक है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिसका समय से इलाज कराया जाए, तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है और मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। विभिन्न प्रकार के इन्हेलर्स ही अस्थमा को सफलतापूर्वक कंट्रोल कर सकते हैं और इससे कारगर एवं सुरक्षित दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है। मरीज अस्थमा के डायग्नोसिस को स्वीकार नहीं कर पाता है और इन्हेलर्स को लेने से भी मना कर देता है। आज अस्थमा की बीमारी धूल, धुएं से सबसे ज्यादा फैल रही है। इसके साथ ही ध्रूमपान यानी सिगरेट, बीड़ी पीने से भी अस्थमा की बीमारी फैल रही है। जिससे रोगी को श्वास लेने में दिक्कत होती है और श्वास नली में जकडऩ आ जाती है, जिससे सांस फूलना, खांसी आना, सीने में सिटी जैसी आवा आना एवं सीने में जकडऩ ही अस्थमा के मुख्य लक्षण हैं। अस्थमा के मरीज को धूल, धुंए, मिट्टी आदि से बचकर रहना चाहिए एवं नियमित रूप से अपने डॉक्टर के संरक्षण में इन्हेलर का इस्तेमाल करते रहना चाहिए। गोलियों एवं सिरप के मुकाबले इन्हेलर काफी सुरक्षित दवा है। इन्हलेशन थैरेपी में अस्थमा का मरीज एक सामान्य जीवन व्याप्त करने में बिलकुल सक्षम है, अगर वो बताई गई दवाएं ठीक से लें और बचाव के बताए गए कार्यों का सफलतापूर्वक ध्यान रखें। 
आस्थामा के रोगी के बचाव के लिए उपाय
धुआं, धूल आदि से बचकर रहें।
बिस्तर व चद्दर को रोज बदलें। 
पालतू जानवर पक्षी नहीं पाले। 
टैम्पेचर के बदलाव से बचें। 
अपने टीगर्स, पेंट, पुताई, जंगली घास, पौधे, तनाव वर्षा, धूम्रपान को पहचानें एवं उनसे बचाव करें। 
-डॉ. पीयूष अरोड़ा। 
नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 

(एस.पी. मित्तल)  (03-05-2016)
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