Friday 6 May 2016

आवारा कुत्तों की नसबंदी में अजमेर पहले स्थान पर। नसबंदी के लिए बना ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू वार्ड।



बंदरों को भी पकड़ेंगे-मेयर गहलोत।
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6 मई को अजमेर के निकटवर्ती खरेकड़ी गांव में मुख्य मार्ग पर बने टोल्फा ट्री ऑफ लाइफ फॉर एनिमल्स के परिसर में कुत्तों की नसबंदी के लिए बने ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू वार्ड का उद्घाटन समारोह हुआ। इस समारोह में मेरे सहित नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, आयुक्त प्रियवृत्त पंड्या (आईएएस), उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता, संस्था की प्रमुख मिसेज रिचेल अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। समारोह में मेयर गहलोत ने कहा कि टोल्फा के साथ निगम ने एक एमओयू किया है। इसके अंतर्गत टोल्फा आवारा कुत्तों को पकड़कर लाएगा और सुरक्षित नसबंदी करने के बाद उसी जगह पर छोड़ा जाएगा, जहां से पकड़ा था। इसके लिए प्रत्येक नसबंदी के 400 रुपए टोल्फा को दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नसबंदी के काम को पारदर्शी बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि पशु चिकित्सक की उपस्थिति में नसबंदी वाले कुत्ते की फोटो खींची जाएगी तथा ऑपरेशन के दौरान ही उसके कान में एक टेग लगाया जाएगा। क्षेत्रीय पार्षदों के प्रमाण पत्र के बाद ही संस्था को भुगतान किया जाएगा। समारोह में टोल्फा के प्रचार अधिकारी अमर सिंह राठौड़ ने बताया कि एक कुत्ते की नसबंदी पर 2000 रुपए से ज्यादा का खर्च आता है, लेकिन हमारी संस्था जानवरों के प्रति समर्पित है, इसलिए नगर निगम के साथ मिलकर शहरभर में नसबंदी का अभियान चलाया गया है। समारोह में आयुक्त पंड्या ने कहा कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और आबादी नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी गाइड लाइन दे रखी है। निगम ने इसी के मुताबिक टोल्फा से एमओयू साइन किया है। उपायुक्त रलावता का कहना रहा कि आवारा कुत्तों की नसबंदी करवाने में लोगों को भी जागरुकता दिखानी चाहिए। पूरे राजस्थान में अजमेर एक मात्र शहर है जहां नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी का काम सबसे पहले शुरू किया है। 
समारोह में मैंने कहा कि आज शहर में दो बड़ी समस्याएं है एक आवारा कुत्तों की और दूसरी बंदरों की। आवारा कुत्तों से घर के बाहर भय रहता है तो बंदरों से घर के अंदर। निगम ने कुत्तों की नसबंदी की शुरुआत पर एक सराहनीय कार्य किया है। लेकिन इस काम में पारदर्शिता होना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही निगम को बंदरों के आतंक को भी समाप्त करवाने में पहल करनी चाहिए। बंदर जिस प्रकार घरों में घुसकर उत्पात मचाते है। उससे हालात बेहद खराब हो गए हैं। इस पर मेयर गहलोत ने कहा कि अगले कुछ ही दिनों में शहर भर में बंदर पकडऩे का अभियान चलाया जाएगा। 
ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू वार्ड:
टोल्फा की प्रमुख मिसेज रिचेल ने बताया कि निगम से एमओयू होने के बाद संस्था के परिसर में एक ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू वार्ड बनाए गए हैं। मेल कुत्ते की नसबंदी में आधा घंटा और फिमेल की नसबंदी में दो घंटे का ऑपरेशन करना पड़ता है। इसके बाद एक दिन तक कुत्ते को आईसीयू वार्ड में रखा जाता है। नसबंदी के बाद कुत्तों में एक-दूसरे का रोग न लगे इसके लिए प्रत्येक कुत्ते को रखने के लिए अलग कक्ष बनाए गए हैं। उन्होंने बताा कि उनकी संस्था जानवरों के लिए समर्पित है, लेकिन संस्था की प्राथमिकता कुत्तों के प्रति ज्यादा है। सूचना मिलने पर बीमार और पागल कुत्तों को एम्बुलैंस में अस्पताल तक लाया जाता है। यहां कुत्तों का गंभीरता के सथ इलाज होता है। सामान्य व्यक्ति बीमारऔर पागल कुत्तों के साथ एक मिनट भी नहीं रह सकता, लेकिन संस्था के सेवाभावी चिकित्सक, कर्मचारी आदि दिन भर ऐसे कुत्तों के साथ रहते हैं। खुजली वाले कुत्तों के लिए तो अलग से एक वार्ड बनाया गया है। कुत्तों के काटने से आदमी की मौत तक हो सकती है, जिस व्यक्ति को कुत्ते ने काटा है, उसका इलाज भी बहुत पीड़ादायक होता है। इन हालातों को देखते हुए ही शहर भर में आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान शुरू किया गया है। 
9 वर्ष पहले भी चला था अभियान:
धर्मेन्द्र गहलोत जब पहली बार निगम के मेयर बने थे, तब वर्ष 2007 में टोल्फा संस्था केसाथ ही मिलकर कुत्तों की नसबंदी का अभियान चलाया, लेकिन गहलोत के हटने के बाद नसबंदी का काम भी बंद हो गया। ऐसे में पिछले 6-7 वर्षों में शहर भर में कुत्तों की आबादी तेजी के बढ़ गई। इसलिए आए दिन कुत्तों के शिकार मरीज अजमेर के जेएलएन अस्पताल पहुंच रहे हैं। मेयर गहलोत ने उम्मीद जताई है कि नसबंदी अभियान के दोबारा शुरू होने से जेएलएन अस्पताल पहुंचने वालों मरीजों की संख्या में कमी आएगी। 
नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 

(एस.पी. मित्तल)  (06-05-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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