Friday 17 April 2015

अलगाववादियों और पीडीपी की सरकार में कोई फर्क नहीं

कश्मीर में भाजपा के सहयोग से चल रही पीडीपी की सरकार और अलगाव वादियों में कोई फर्क नहीं है। कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए अलगाववादी जो भी तांडव कर रहे हैं, उन्हें मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद और पीडीपी का खुला सामर्थन है। ना नुकर के बाद 17 अप्रैल को अलगाववादी नेता मसरत आलम को गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन गिरफ्तारी के बाद दिन भर विरोध प्रदर्शन का जो माहौल हुआ उसमें पीडीपी की सरकार ने यही दिखाया कि कश्मीर के हालात बेकाबू हो रहे है। यंू तो हुर्रियत के नेता भी मीरवाइज, उमर फारुख को भी नजर बंद का दिया गया था, लेकिन एक सोची समझी राजनीति के तहत पीडीपी की सरकार ने 17 अप्रैल को जुम्मे की नमाज के लिए उमर फारुख को छूट दे दी, लेकिन नमाज के बाद पीडीपी की सरकार उमर फारुख को फिर से नजरबंद नहीं कर सकी है। जो लोग नमाज पढऩे आए उन्होंने नमाज के बाद उमर फारुख को चारों तरफ से घेर लिया। मुफ्ती मोहम्मद की पुलिस में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे उमर फारुख को भीड़ में से निकालकर पुन: उनके घर में नजरबंद कर सके। इतना ही नहीं उमर फारुख ने पवित्र जुम्मे की नमाज के बाद एक बार फिर रैली को संबोधित किया और भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला। उमर फारुख से लेकर गिलानी, मसरत आलम तक भारत सरकार की तो निंदा कर रहे हैं, लेकिन मुफ्ती मोहम्मद सईद और पीडीपी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे। इससे यह प्रतीत होता है कि कश्मीर में इन दिनों जो कुछ भी हो रहा है, उसको पीडीपी का समर्थन है। मसरत आलम की पहले जेल से रिहाई और उसके बाद 15 अप्रैल को श्रीनगर में रैली तथा फिर गिरफ्तारी के घटनाक्रम को देखा जाए तो पीडीपी की सरकार ने मसरत आलम को वो सब कुछ करने दिया जो वह पाकिस्तान के इशारे पर करना चाहता था। अब मसरत की गिरफ्तारी कोई मायने नहीं रखती है, क्योंकि जेल से बाहर आने के बाद वह अपने मकसद में कामयाब रहा और फिर से जेल जाने से पहले कश्मीर में आग लगा दी। पाकिस्तान और हाफिज सईद यही चाहते हैं कि कश्मीर अशांत बना रहे। 17 अप्रैल को श्रीनगर और सम्पूर्ण घाटी में मसरत आलम के समर्थन में विरोध प्रदर्शन होते रहे। पीडीपी के सहयोग से मसरत आलम ने जेल से बाहर आकर कश्मीर में जो आग लगाई है, वह फिलहाल शांत होने वाली नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम में शर्मनाक बात यह है कि भारतीय टीवी चैनलों पर पाकिस्तान में हो रहे भारत विरोधी माहौल को लाइव दिखाया जा रहा है। मसरत आलम की गिरफ्तारी के विरोध में पाकिस्तान में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे प्रदर्शनों को भारत के टीवी चैनल लाइव दिखा रहे है। इतना ही नहीं कुछ चैनलों ने तो मसरत की गिरफ्तारी पर लाइव डिवेड भी दिखाई है। इन लाइव डिवेडों में पाकिस्तान के प्रतिनिधि भी शामिल हुए है, जिन्होंने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला है। क्या ऐसे टीवी चैनल भारत में भी माहौल बिगाड़ रहे हैं? केन्द्र सरकार को कम से कम पाकिस्तान के लाइव प्रसारण को तो भारतीय चैनलों पर रोका जाना चाहिए। इसके साथ ही मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में चल रही पीडीपी की सरकार की गतिविधियों पर भी केन्द्र सरकार को कड़ी नजर रखनी चाहिए। केन्द्र सरकार माने या नहीं, लेकिन कश्मीर में जितने दिन पीडीपी की सरकार चलेगी, उतने दिन भारत की अखंडता को खतरा बना रहेगा। अब देखना है कि भाजपा सरकार को कब गिराती है। भाजपा ने पीडीपी की सरकार इसलिए बनाई थी ताकि अलगाववादियों पर नियंत्रण किया जा सके, लेकिन हुआ इसका उल्टा। पीडीपी ने भाजपा को अलगाववादियों पर नियंत्रण करने का अवसर ही नहीं दिया और अब कश्मीर के हालात नियंत्रण से बाहर हो गए हैं। पीडीपी की सरकार की वजह से कश्मीर में अलगाववादियों के पक्ष में जो माहौल बना है, उससे अलगाववादी अब यह मांग भी रख सकते है कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच जो वार्ता हो, उसमें हाफिज सईद को भी शामिल किया जाए। यह वही हाफिज सईद है, जिसने मुम्बई पर आतंकी हमला करवाया और बार-बार कहा कि भारत पर ऐसे हमले और होंगे। मसरत आलम ने जेल से बाहर आकर कश्मीर में हाफिज सईद के पक्ष में माहौल बनाने का काम भी किया है। देखना है कि कश्मीर के इन हालातों से केन्द्र सरकार किस प्रकार निपटती है। कुछ लोग कह रहे हैं कि दो चार हजार लोगों के प्रदर्शन से कश्मीर के हालात बुरे नहीं माने जा सकते, ऐसे लोग किसी मुगालते में नहीं रहे। कश्मीर के हालात बद से बदत्तर है और अब सख्त कार्यवाही करने की जरुरत है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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