Monday 13 April 2015

दो मंत्रियों की जंग में प्रिंसिपल एमएम शर्मा की मौज


दो मंत्रियों की जंग में प्रिंसिपल एमएम शर्मा की मौज
राजस्थान के उच्च शिक्षामंत्री कालीचरण सराफ और स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी की आपसी राजनीतिक खींचतान की वजह से अजेमर के बहुचर्चित इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल एम.एम.शर्मा की मौज हो गई है। जिस सत्तारुढ़ भाजपा के ये दोनों मंत्री है, उसी भाजपा के अग्रिम संगठन विद्यार्थी परिषद पिछले तीन माह से प्रिंसिपल शर्मा को हटाने की मांग के लिए आंदोलन कर रहा है। ये वही प्रिंसिपल शर्मा है, जिनके विरुद्ध कांग्रेस के शासन में विधायक रहे सराफ ने विधानसभा में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन अब वही सराफ उच्च शिक्षामंत्री बनने के बाद हर कीमत पर एम.एम.शर्मा को अजेमर के इंजीनियरिंग कॉलेज में ही बनाए रखना चाहते। यदि सराफ चाहे तो एक मिनट में शर्मा को अजेमर से हटा सकते हैं, लेकिन स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी को राजनीतिक दृष्टि से नीचा दिखाने के लिए सराफ प्रिंसिपल शर्मा को अजमेर में ही टिकाए रखे हुए हैं। असल में अजमेर देवनानी का निर्वाचन क्षेत्र है। ऐसे में जब देवनानी ने विद्यार्थी परिषद के आंदोलन का समर्थन किया तो सराफ नाराज हो गए। सराफ नहीं चाहते हैं कि देवनानी द्वारा चलवाए गए विद्यार्थी परिषद के आंदोलन को देखते हुए शर्मा को अजमेर से हटाया जाए। यह बात सराफ ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी बता दी है कि अजमेर में शर्मा के खिलाफ विद्यार्थी परिषद का जो आंदोलन चल रहा है, उसके पीछे देवनानी का इशारा है, यही वजह है कि इंजीनियरिंग कॉलेज में लम्बी हड़ताल और रोजाना धरना प्रदर्शन के बाद भी एम.एम.शर्मा अजमेर में ही जमे हुए हैं।
देवनानी को भी यह पता है कि सराफ अजमेर के प्रिंसिपल को जानबूझ कर नहीं हटा रहे हैं, इसलिए अजमेर के टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में देवनानी ने उच्च शिक्षा मंत्री सराफ को राजनीतिक दृष्टि से नीचा दिखाने की कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। कोई छह माह पहले सराफ ने ही टीटी कॉलेज को स्कूली शिक्षा से छीनकर उच्च शिक्षा में शामिल कर लिया। इसके साथ ही करीब 15 कॉलेज शिक्षकों और अन्य स्टाफ की नियुक्ति टीटी कॉलेज में कर दी। सराफ का यह रवैया देवनानी को बिल्कुल पसंद नहीं आया इसलिए उन्होंने अपने मंत्री के विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए उच्च शिक्षा के टीटी कॉलेज में स्कूली शिक्षा का पूरा स्टाफ आज तक बनाए रखा है। यानि अजमेर के टीटी कॉलेज में जो शिक्षक प्रशिक्षण ले रहे हैं, उन्हें कॉलेज और स्कूल दोनों के व्याख्याता पढ़ाने का काम करते हैं जो शिक्षक अध्ययन कर रहे है उनकी योग्यता का अब अंदाजा लगाया जा सकता है। एक ही विषय को कॉलेज का व्याख्याता और स्कूल का व्याख्याता पढ़ाता है। कायदे से कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति के बाद स्कूल शिक्षा का स्टाफ टीटी कॉलेज से हट जाना चाहिए था, लेकिन जिस प्रकार सराफ की मेहरबानी से इंजीनियरिंग कॉलेज में एम.एम.शर्मा जमे हुए हैं, उसी प्रकार देवनानी की मेहरबानी से टीटी कॉलेज में स्कूली शिक्षा का पूरा स्टाफ टिका हुआ है। शर्मनाक बात तो यह है कि सरकार को लाखों रुपया प्रतिमाह वेतन के रूप में चुकाना पड़ रहा है। वसुंधरा राजे के राज में सराफ से यहपूछने वाला कोई नहीं है कि कांग्रेस के शासन में जिस शर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप थे, उसे अजमेर में क्यों बनाए रखा गया है और देवनानी से यह पूछने वाला कोई नहीं है कि जब कॉलेज के अध्यापक पढ़ा रहे हैं तो टीटी कॉलेज में स्कूली शिक्षा के शिक्षक और कर्मचारी क्या कर रहे हैं? खैर इन दोनों मंत्रियों की जंग में प्रिंंसिपल शर्मा और टीटी कॉलेज में स्कूल और कॉलेज के शिक्षकों की मौज हो गई है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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