Thursday 9 April 2015

इस वेश्या का उपभोग तो जनरल वी.के.सिंह ने भी किया है

इस वेश्या का उपभोग तो जनरल वी.के.सिंह ने भी किया है
देश के विदेश राज्यमंत्री जनरल वी.के.सिंह ने भारतीय मीडिया को वेश्या करार दिया है। जनरल सिंह ने मीडिया की एक दम सही पहचान की है, क्योंकि एक असली ग्राहक ही अपनी वेश्या को पहचान सकता है। जनरल सिंह माने या नहीं, लेकिन यह सही है कि वेश्या रूपी मीडिया का उपभोग खुद सिंह ने भी किया है। यूपीए-2 के शासन काल में जब सिंह भारतीय थल सेना के अध्यक्ष थे, तब एक रात आगरा की छावनी से सशस्त्र जवानों ने दिल्ली की ओर कूच किया। सेना का यह रुटीन वर्क था, लेकिन तब मीडिया में जिस तरह से खबरें प्लांट की गई,उससे ऐसा लगा कि मनमोहन सिंह की सत्ता का तख्ता पलट हो रहा है। रातों रात जनरल वी.के.सिंह सुर्खियों में आ गए। अपने अधिनस्थ अधिकारी द्वारा रिश्वत की पेशकश तथा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की मार्कशीट में जन्मतिथि का अंकन आदि सभी मामलों में जिस तरह से वी.के.सिंह के पक्ष में खबरंे प्रसारित हुई, उससे जाहिर था कि यही वेश्या जनरल वी.के.सिंह के कब्जे में है। जनरल ने सही कहा कि मीडिया वेश्या है। अरे भाई, जब वेश्या ही कह दिया तो फिर नाराजगी किस बात की। वेश्या को जो पैसे देगा, उसके साथ हमबिस्तार हो जाएगी। कभी जनरल वी.के.सिंह तो कभी ए.के.एंथानी तो कभी अरुण जेटली तो कभी मुलायम, लालू, नीतिश आदि की लम्बी लाइन लगी हुई है। फर्क इतना ही है कि जब कोई ग्राहक वेश्या का उपभोग करता है तो अपनी प्रवृत्ति को छिपा कर रखता है, लेकिन उपभोग के बाद जब बाहर आता है तो साधु संत की तरह दूसरों को प्रवचन देने लगता है। तब उसे लगता है कि यह वेश्या चरित्र हनन कर रही है। वेश्या तो वेश्या ही है, यह तो ग्राहक को सोचना चाहिए कि वेश्या ने कभी जुबान खोली तो बड़े-बड़े लोगों के कपड़े उतर जाएंगे। ऐसा नहीं हो सकता कि कोई ग्राहक वेश्या से यह अपेक्षा करें कि उसके बारे में सद्विचार प्रकट किए जाए। वेश्या की अपनी कोई फैक्टी,दुकान, कारोबार नहीं होता है, जिसको बेचकर दो पैसे कमा लिए जाए। आज जिस तरह टीवी चेनलों और अखबारों की भरमार हो गई है, उसमेें ग्राहकों की जरुरत तो है ही। बिना ग्राहक के इस मीडिया रूपी वेश्या का गुजारा कैसे चलेगा? जनरल वी.के.सिंह  तो वेश्या के पुराने ग्राहक रहे हैं। इसलिए उन्हें अंदर की सारी बातें पता है। विदेश राज्यमंत्री बनने के बाद वी.के.सिंह को अब यह भी पता है कि किस वेश्या के पास कौनसा ग्राहक जा रहा है। मजा तो तब आएगा जब जनरल वी.के.सिंह वर्तमान परिस्थितियों में वेश्याओं और ग्राहकों की सूची उजागर करें। जनरल सिंह इस समय सरकार के उस स्थान पर बैठे हैं, जहां वेश्या और ग्राहक की बंद कमरे में हो रही गतिविधियां भी देखी जा सकती है। इस वेश्या के दमखम वाले ग्राहक तो सरकार में ही होते है। सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की, ग्राहक तो सभी में मिलते हैं। जनरल सिंह को इस बात की बधाई दी जानी चाहिए कि उन्होंने भारतीय मीडिया का सही आंकलन किया है। जब तक इस देश में लोकतंत्र है, तब तक वेश्या को ग्राहकों की कोई कमी नहीं है। जिस दिन इस देश में लोकतंत्र खत्म होगा, तब इस वेश्या को कालकोठरी में डाला जा सकता है। मजे की बात यह है कि अब कई समृद्धशाली ग्राहकों ने इस वेश्या को रखैल बनाकर अपने उद्योग मे शामिल कर लिया है। ऐसी रखेले अब दूसरी वेश्याओं की पोल खोलने में लगी हुई हंै। जनरल सिंह यह भी ध्यान रखे कि इसी भारतीय मीडिया में ऐसे लोग भी हैं, जो कभी भी वेश्या की प्रवृत्ति नहीं रखते हैं। ऐसे लोग अब सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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