Wednesday 29 April 2015

पूर्व मंत्री नसीम अख्तर ये कैसी दिलेरी

पूर्व मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर ने 29 अप्रैल को अजमेर के निकट गेगल में बने टोल नाके पर जो दिलेरी दिखाई उस पर सवाल उठना लाजमी है। इस टोल नाके पर 29 अप्रैल से ही टोल वसूली का काम शुरू हुआ। श्रीमती अख्तर और उनके पति इंसाफ अली सैकड़ों ग्रामीणों को लेकर टोल नाके पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने नाके के डंडों को उखाड़ फेंका और केबिन में जमकर तोडफ़ोड़ की। श्रीमती अख्तर और ग्रामीण सड़क पर बैठ गए तथा टोल वसूली का काम बंद करवा दिया। इसमें कोई दोराय नहीं कि अजमेर और किशनगढ़ के बीच बने इस टोल नाके की वजह से स्थानीय नागरिकों और ग्रामीणों को भारी परेशानी होगी।
अब अजमेर से किशनगढ़ जाने वाले सैकड़ों मार्बल व्यावसाइयों को प्रतिदिन 45 रुपए गेगल टोल नाके पर चुकाने होंगे, यानि आने जाने के 90 रुपए देने होंगे। किशनगढ़ के टोल नाके पर पहले से ही 90 रुपए एक तरफ से वसूले जा रहे हैं। यानि अजमेर से जयपुर जाने वाले वाहन मालिक को अब 135 रुपए चुकाने होंगे। सवाल उठता है कि जब गेगल में यह टोल नाका बन रहा था, तब प्रदेश और देश में किसका शासन था? राजस्थान में और केन्द्र में कांग्रेस का शासन था और श्रीमती अख्तर के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के गेगल में ही टोल नाका बन रहा था।
श्रीमती अख्तर ने शिक्षा राज्यमंत्री होते हुए भी तब टोल नाके के निर्माण का विरोध नहीं किया। ऐसा नहीं कि तब ग्रामीणों ने चुप्पी साधे रखी है, लेकिन श्रीमती अख्तर ने टोल नाके का विरोध करने वाले ग्रामीणों का ही मुंह बंद करवा दिया। श्रीमती अख्तर और उनके पति इंसाफ अली की मदद से ही संबंधित कंपनी टोल नाका बनाने में सफल हुई। यदि क्षेत्रीय विधायक की हैसियत से श्रीमती अख्तर का समर्थन नहीं मिलता तो कांग्रेस के शासन में भी गांव वाले इस टोल नाके का निर्माण नहीं होने देते। गेगल पर टोल वसूली कांग्रेस के शासन में ही शुरू होनी थी, लेकिन तकनीकी कारणों से कंपनी वसूली का काम शुरू नहीं कर सकी। यदि तब वसूली शुरू हो जाती तो श्रीमती अख्तर ही इस टोल नाके का उद्घाटन करती। चूंकि अब राजपाट छिन गया है, इसलिए श्रीमती अख्तर को ग्रामीणों की पीड़ा सताने लगी है। इसलिए 29 अप्रैल को श्रीमती अख्तर ग्रामीणों का हमदर्द बनकर टोल नाके पर पहुंच गई। इसमें श्रीमती अख्तर का भी कोई दोष नहीं है, यह तो राजनीति ही गंदी है। अब भाजपा के क्षेत्रीय विधायक सुरेश रावत और भाजपा के सांसद व केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट खामोश बैठे हैं। पहले नसीम अख्तर को और अब रावत और जाट को ग्रामीणों के दर्द से कोई सरोकार नहीं। 29 अप्रैल को श्रीमती अख्तर ने जो हो हल्ला किया, उसका परिणाम यह निकला कि गेगल टोल नाके की 20 किमी की परिधि में आने वाले गांवों के ग्रामीणों के वाहन टोल मुक्त हो गए हैं। समझौते के मुताबिक जो वाहन मालिक संबंधित पुलिस स्टेशन से निवास का प्रमाण पत्र लाकर देगा, उसे संबंधित कंपनी फ्री पास दे देगी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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