Thursday 2 April 2015

गंदी सोच वाली दीपिका का भी पुतला जलाएं कांग्रेसी

गंदी सोच वाली दीपिका का भी पुतला जलाएं कांग्रेसी
केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को लेकर जो बेहूदा बात की है, उसके विरोध में देशभर में कांग्रेस के कार्यकर्ता गिरीराज सिंह का पुतला जला रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि गिरीराज सिंह का बयान न केवल नस्लभेदी है, बल्कि बेवजह नरेन्द्र मोदी की सरकार को परेशानी में डालने वाला भी है। कांग्रेसियों का गुस्सा जायज है, लेकिन कांग्रेसियों को अपने इस गुस्से में फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादूकोण को भी शामिल करना चाहिए। महिला सशक्तिकरण की आड़ में दीपिका ने महिलाओं की आजादी के जो तर्क रखे हैं वे न केवल गंदे बल्कि देश में वेश्यावृत्ति की प्रवृत्ति को बढ़ाने वाले हैं।
दीपिका ने एक वीडियो एलबम में कहा है कि मुझे यह अधिकार है कि मैं शादी से पहले सेक्स करूं अथवा शादी के बाद। मैं किसी मर्द के साथ रहंू अथवा कोई मर्द मेरे साथ किसी भी तरह शारीरिक संबंध बनाए, यह माई च्वाइस है। महिला की सेक्स प्रवृत्ति को लेकर दीपिका ने जो सोच रखी है, उसे किसी भी स्थिति में भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं माना जा सकता। हो सकता है कि दीपिका अपनी सोच के अनुरूप जीवन गुजार रही हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे हर भारतीय महिलाओं को इसी तरह जीवन जीने के लिए कहे। यंू तो एक मजबूर वेश्या भी अपना जीवन जीती है, लेकिन कोई भी वेश्या यह कभी नहीं चाहती है कि उसके परिवार की कोई सदस्य यही काम करे।
दीपिका की पहचान देश की चुनिंदा फिल्म अभिनेत्रियों में होती है। यदि दीपिका कोई बात कहती है तो उसका असर देश के युवाओं पर पड़ता है। दीपिका को आसमान से उतर कर जमीनी हकीकत को समझना होगा। सेक्स पर खुले विचार रखकर दीपिका महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं कर सकती है। यह माना आज दीपिका सफलता के जिस मुकाम पर खड़ी है, इसमें वे क्रिकेटर युवराज सिंह के साथ रहे या शराब कारोबारी विजया माल्या के चर्चित बेटे या फिर अपने किसी साथी कलाकार के साथ। सेक्स के लिए इधर से उधर भागने पर दीपिका को कोई रोकने वाला नहीं होगा, लेकिन भारतीय समाज में रहने वाली कोई लड़की पढ़ाई-लिखाई के लिए भी इधर से उधर जाएगी तो समाज में अनेक बाते बनेगी। सबसे पहला ऐतराज तो लड़की के माता-पिता ही करेंगे। कुछ आधुनिक माता-पिता थोड़ा ऐतराज न भी करे तो यह कोई नहीं चाहेगा कि उनकी बेटी वेश्या की प्रवृत्ति को अपनए।  हो सकता है कि दीपिका पादूकोण के पिता मशहूर बेटमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादूकोण को अपनी बेटी की कारगुजारियों पर कोई ऐतराज न हो, लेकिन अपनी सोच को दीपिका महिला सशक्तिकरण से नहीं जोड़ सकती है। हमारे देश में महिला सशक्तिकरण का मतलब है कि गांव-ढाणी में रहने वाली ग्रामीण महिला पर कोई जुल्म न हो, उस महिला को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हो। अच्छा होता कि दीपिका पादूकोण दबे कुचले वर्ग की महिलाओं के बीच में  जाकर उनके अधिकारों के बारे में बताती। कांग्रेसी जब गिरीराज सिंह के पुतले जला रहे है, तो उन्हें दीपिका पादूकोण का भी पुतला जलाना चाहिए। ताकि फिर कोई दीपिका इस तरह की गंदी बाते न कहें।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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