Sunday 26 April 2015

अब राजस्थान के शिक्षा बोर्ड में घोटाला

राजस्थान लोक सेवा आयोग में रिश्वत देकर नौकरी पाने के अनेक मामले उजागर होने के बाद अब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में रिश्वत देकर परीक्षा में अंक बढ़वाने का घोटाला उजागर हुआ है। आरोप है कि सीकर की बंधु पब्लिक स्कूल के सुरेश जाट और पन्ना सिंह ने अजमेर स्थित शिक्षा बोर्ड की गोपनीय शाखा के कर्मचारी दर्शन कुमार को एक लाख रुपए दिए और उन शिक्षकों के नाम पते हासिल कर लिए, जिनके पास उनके स्कूल के विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के लिए गई है। दोनों आरोपियों ने 20 से भी ज्यादा शिक्षकों से सम्पर्क किया और उन्हें मुंहमांगी रकम देकर अपने स्कूल के विद्यार्थियों के नम्बर बढ़वा लिए। जो विद्यार्थी फेल हैं, उन्हें पास करवया और जिन के कम अंक हैं उन्हें 75 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक दिलवा दिए ताकि इसी स्कूल के विद्यार्थी बोर्ड की मेरिट में शामिल हो जाए। इस घोटाले का भंडाफोड़ तब हुआ, जब उदयपुर के शिक्षक अमरचंद कुम्हार ने रिश्वत देकर अंक बढ़ाने से इंकार कर दिया। हालाकि पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन इस पूरे घोटाले से राजस्थान शिक्षा बोर्ड की प्रतिष्ठा खराब हो गई है। एक और लोक सेवा आयोग में रिश्वत देकर नौकरी, दूसरी ओर शिक्षा बोर्ड में रिश्वत देकर उत्र्तीण। यह बताते है कि राजस्थान का युवा ईमानदारी से परीक्षा और इंटरव्यू दे रहा है, उसका कोई भविष्य नहीं है। राजस्थान बोर्ड में रिश्वत दो और अच्छे अंक प्राप्त करो और लोक सेवा आयोग में रिश्वत देकर नौकरी हांसिल करो। इस घोटाले के बाद बोर्ड के अध्यक्ष बी.एल.चौधरी हरकत में आए और 26 अप्रैल को एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी बना दी। सवाल उठता है कि यह जांच कमेटी क्या करेगी? क्या बोर्ड अध्यक्ष को उन अधिकारियों के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही नहीं करनी चहिए, जिनके रहते गोपनीय शाखा से शिक्षकों के नाम-पते उजागर हो गए। पिछले कई वर्षो से गोपनीय शाखा निदेशक का काम जी.के. माथुर ही कर रहे है। क्या माथुर की यह जवाबदेही नहीं है कि उनके रहते गोपनीय जानकारी शिक्षा माफिया के पास पहुंच गई। सब जानते है कि सीकर में बहुत तेजी से शिक्षा माफिया पनप रहा है। सीकर जिले की स्कूलों के विद्यार्थी ही मेरिट लिस्ट में आते हैं। अपने स्कूल का परिणाम ज्यादा अच्छा बताकर शिक्षा माफिया रातोंरात करोड़पति हो रहा है। ऐसे लोग ही शिक्षा बोर्ड के शिक्षकों को खरीदने का काम करते हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि राजस्थान की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए इन दोनों संस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन किए जाए। मालूम हो कि बी. एल. चौधरी की अध्यक्ष के पद पर कुछ समय पहले ही भाजपा सरकार ने नियुक्ति की है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि ऐसी संस्थाओं में राजनीतिक नजरिए से नियुक्ति की जाती है। सीएम वसुंधरा राजे माने या नहीं, लेकिन इन दोनों संस्थाओं का पूरी तरह भट्टा बैठा हुआ है। इससे पूरे देश में राजस्थान की छवि बेहद खराब हो रही है। यह तब हो रहा है, जब प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी अजमेर के हंै।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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