Sunday 3 April 2016

10 हजार के मुकाबले ढाई हजार लेब टेक्नीशियन ही कार्यरत।



नर्स से भी कम मिलता है वेतन। सरकारें बनीं नेत्रहीन और बहरी।
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सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज को लेकर राजस्थान की सरकारें पूरे देश में वाह-वाही लूट रही हैं। पहले कांग्रेस के शासन में इस योजना को लागू कर अशोक गहलोत ने शाबाशी ली और अब भाजपा सरकार की वसुंधरा राजे इस योजना को चालू रखने में अपनी पीठ थपथपाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। यही वजह है कि पीएम नरेन्द्र मोदी देश भर में नि:शुल्क इलाज की योजना पर विचार कर रहे हैं। लेकिन आम व्यक्ति को यह जानकार आश्चर्य होगा कि नि:शुल्क इलाज योजना में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लेब टेक्नीशियन पूरे राजस्थान में मात्र 2500 ही कार्यरत हैं। जबकि मरीजों की जांच की संख्या को देखते हुए कम से कम 10 हजार लेब टेक्नीशियन होने चाहिए। इतना ही नहीं इन लेब टेक्नीशियन को नर्स से भी कम वेतन मिलता है। हम सब जानते हैं कि मरीज के इलाज में डॉक्टर से ज्यादा लेब टेक्नीशियन की भूमिका हो गई है। बड़े से बड़ा डॉक्टर दवाई लिखने से पहले खून, पेशाब आदि की जांच करवाता है। लेब टेक्नीशियन  जो जांच रिपोर्ट देता है, उसे देख कर ही डॉक्टर मरीज को दवाई लिखता है। जांच के परिणाम से पहले कोई डॉक्टर दवाई लिखने का जोखिम नहीं उठता। यानि सरकार की वाह-वाही से लेकर डॉक्टर की शोहरत तक में लेब टेक्नीशियन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इतनी महत्त्वपूर्ण भूमि के बाद भी लेब टेक्नीशियन को अपने हालत पर आंसू बहाने पढ़े तो एक निर्वाचित सरकार के लिए इससे ज्यादा कोई शर्मनाक बात नहीं हो सकती। लेब टेक्नीशियन की कम संख्या को देते हुए पूर्व में सरकार ने एक हजार पदों की भर्ती निकाली थी, लेकिन 200 से भी कम योग्य अभ्यर्थियों ने आवदेन किया, इसका कारण यह है कि बेरोजगार युवकों की लेब टेक्नीशियन बनने में कोई रुचि नहीं है, क्योंकि कड़ी मेहनत के बाद मेहनताना पूरा नहीं मिलता। 
3 अप्रैल को अजमेर के रेडक्रॉस सभागार में राजस्थान लेबोरेटरी टेक्नीशियन कर्मचारी संघ की जिला शाखा का सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में मेरे सहित संघ प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के.के.सोनी व अन्य पदाधिकारी अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह का कहना रहा कि पहली बार लेब टेक्नीशियनों को प्रदेश भर में एक जुट किया गया है। सरकार ने अब माना है कि लेब टेक्नीशियन की सुविधाओं में इजाफा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी एक जुटता से मांगों को पूरा करवाया जाएगा। डॉक्टर के.के.सोनी ने कहा कि मांगों को पूरा करने के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित करवाया जाएगा। मैंने मांगों का समर्थन करते हुए लेब टेक्नीशियनों की तुलना छोटे वैज्ञानिकों से की। मैंने कहा कि लेब टेक्नीशियन के हाथ में मरीज की जान होती है। यदि जरा सी भी लापरवाही हो गई तो जांच का परिणाम भी दोषपूर्ण आएगा। जहां तक सरकारों का सवाल है तो सरकारें तो नेत्रहीन और बहरी होती ही है। लेब टेक्नीशियनों को मरीज की सेवा करने के साथ-साथ सरकार पर दबाव डालना चाहिए। 
पत्रकारों का सम्मान 
सम्मेलन में जिला अध्यक्ष चन्द्राराम चौपड़ा, डॉ. दिलीप सिंह राठौड़, मनीष शर्मा, अवनीश विल्सन, दीपचंद शर्मा, मुकेश वैष्णव आदि ने कहा कि लेब टेक्नीशियन की मांगों को सरकार तक पहुंचाने में पत्रकारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। सम्मेलन में दैनिक भास्कर के संवाददाता योगेश सारस्वत, दैनिक नवज्योति के दिलीप मोरवाल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कर्मियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इस प्रकार संघ के प्रमुख पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. मोक्षराज ने किया। सम्मेलन में जिलेभर के लेब टेक्नीशियन और प्रदेश स्तरीय प्रतिनिधि उपस्थित थे। 

नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 
(एस.पी. मित्तल)  (03-04-2016)
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