Friday 8 April 2016

आखिर कश्मीर में कौनसे मुसलमान रहते हैं? अजमेर के मुसलमानों ने नवसंवत्सर और चेटीचंड पर दिखाया उत्साह। ख्वाजा साहब की दरगाह के बाहर शानदार स्वागत -------------------------------------



8 अप्रैल को भी कश्मीर के श्रीनगर के एनआईटी कैम्पस में दिनभर हंगामा होता रहा। गैर कश्मीर विद्यार्थियों को कैम्पस से बाहर नहीं आने दिया और न ही पुलिस की ज्यादतियों के विरुद्ध कोई प्रदर्शन अथवा विरोध करने दिया गया। एनआईटी में पढऩे वाले गैर कश्मीर विद्यार्थी अब बंधक बनकर रह गए हैं। यहां पढऩे वाली गैर कश्मीरी छात्राओं के साथ बलात्कार की धमकी की भी खबरें सामने आई हैं। इन सब हालातों के मद्देनजर ही विद्यार्थियों ने मांग की है कि एनआईटी का कैम्पस श्रीनगर से जम्मू शिफ्ट कर दिया जाए वहीं दूसरी ओर 8 अप्रैल को ही अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के बाहर बड़ी संख्या में मुसलमान एकत्र हुए और चेटीचंड के जुलूस में शामिल सिन्धी समुदाय के लोगों का शानदार स्वागत किया। स्वागत का सिलसिला शाम से शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा। चेटीचंड के अवसर पर सिन्धी समुदाय की ओर से एक बड़ा जुलूस निकाला जाता है जो देर रात तक शहर के प्रमुख बाजारों में भ्रमण करता है। यह जुलूस जब ख्वाजा साहब की दरगाह के सामने से गुजरता है तो यहां खड़े मुसलमान और खादिम समुदाय के प्रतिनिधि न केवल सूफी परम्परा के अनुरूप दस्तारबंदी करते हैं बल्कि फूलों की वर्षा भी करते हैं। इतना ही नहीं सिन्धी समुदाय के लोगों को ठंडा पेय पदार्थ भी पिलाया जाता है। अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह की मान्यता दुनिया भर के मुसलमानों के बीच है। यही वजह है कि जब दरगाह पर सांप्रदायिक सद्भावना नजर आती है तो उसकी चर्चा दुनिया भर में होती है। 8 अप्रैल को दरगाह के बाहर जो कौमी एकता का मंजर नजर आया वह इस बार खास महत्व रखता है क्योंकि चेटीचंड का पर्व इस बार ख्वाजा साहब के सालाना उर्स के दौरान आया। ख्वाजा साहब के 804वें सालाना उर्स का आगाज हो चुका है और दरगाह में जायरीन की आवक भी बढ़ गई है। दरगाह के बाहर प्रतिवर्ष सिन्धी समुदाय के लोगों के स्वागत में पहल करने वाली मौलाई कमेटी के प्रमुख सैयद अब्दुल गनी गुर्देजी ने बताया कि पिछले अनेक वर्षों से इस परम्परा का निर्वाह किया जा रहा है। कोई एक हजार से भी ज्यादा सिन्धी समुदाय के प्रतिनिधियों की दस्तारबंदी दरगाह के बाहर की जाती है। इसी प्रकार जब मुस्लिम समुदाय का कोई पर्व आता है तो सिन्धी समुदाय सहित अन्य समुदाय के लोग भी सद्भावना दिखाते हैं।
इसलिए यह सवाल उठा है कि आखिर कश्मीर में कौनसे मुसलमान रहते हैं जो गैर कश्मीरियों को कश्मीर से भगाना चाहते हैं। जो लोग देश में असहिष्णुता की बात करते हैं। उन्हें अब श्रीनगर के एनआईटी कैम्पस की घटनाओं के बारे में अपने विचार रखने चाहिए। पूरा देश जानता है कि कश्मीर में अलगाववादियों ने पहले ही चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीटकर कश्मीर से भगा दिया और अब ऐसे अलगाववादियों के निशाने पर केन्द्र सरकार के शिक्षण संस्थान है।
पाक नागरिकों का होगा स्वागत:
भले ही हमारे कश्मीर से गैर कश्मीरी छात्रों को भगाया जा रहा है लेकिन 9 अप्रैल को जब 400 पाकिस्तानी नागरिक अजमेर आएंगे तो सरकारी स्तर पर उनका शानदार स्वागत होगा। ये पाकिस्तानी ख्वाजा साहब के 6 दिवसीय उर्स में शरीक होने के लिए अजमेर आ रहे हैं। पाकिस्तानी तब आ रहे हैं जब पाकिस्तान ने भारत के साथ शांति प्रक्रिया को बंद कर दिया है। यानि पाकिस्तान भारत के प्रति चाहे कितनी भी नाराजगी रखे लेकिन भारत अपनी ओर से सकारात्मक पहल करने से पीछे नहीं हट रहा है।
(एस.पी. मित्तल)  (08-04-2016)
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