Wednesday 6 April 2016

तो अब गैर कश्मीरी छात्रों का रहना भी मुश्किल हो जाएगा शिक्षण संस्थाओं में।


बिगड़ते जा रहे हैं कश्मीर के हालात।
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भारत का अभिन्न अंग माने जाने वाले कश्मीर से पहले ही चार लाख हिन्दुओं  को पीट-पीट कर भगा दिया गया और कश्मीर स्थित केन्द्र सरकार की शिक्षण संस्थाओं में गैर कश्मीरी छात्रों का रहना मुश्किल हो रहा है। 5 अप्रैल की रात को कश्मीर की पुलिस ने जिस तरह एनआईटी में गैर कश्मीरी छात्रों की पिटाई की, उससे हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। गंभीर और शर्मनाक बात यह है कि गैर कश्मीरी छात्रों ने अपनी जान को खतरा बताया है और अपने-अपने राज्यों में लौटने की इच्छा जताई है। इन छात्रों को अपने साथी कश्मीरी छात्रों से खतरा बताया जारहा है। ऐसा नहीं कि गैर कश्मीरी छात्रों ने कोई गुनाह किया है। ऐसे छात्र तो उन छात्रों का विरोध कर रहे थे जो क्रिकेट में वेस्टइंडीज से भारत की हार पर जश्न मना रहे थे। कायदे से कश्मीर पुलिस को उन छात्रों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए थी, जिन्होंने जश्न मनाया, लेकिन पुलिस ने तो उनको पीटा, जो जश्न का विरोध कर रहे थे। सवाल उठता है कि क्या कश्मीर की पुलिस भी भारत की हार से खुश है? पुलिस के गैर जिम्मेदाराना रवैये की वजह से ही अब एनआईटी कैम्पस पर सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया है। हो सकता है कि आगे चल कर सेना की तैनाती करनी पड़े। 
 कश्मीर के हालात देश के आवाम से छीपे नहीं हैं, लेकिन सवाल उठता है कि यदि ऐसी घटना किसी अन्य प्रांत में केन्द्र सरकार के शिक्षण संस्थान में घट जाती तो क्या विपक्षी दल चुप बैठे रहते? इसे देश की राजनीति का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि दिल्ली के जेएनयू में जब खुलेआम भारत विरोधी नारे लगे तो कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के अनेक नेता बचाव में जेएनयू के कैम्पस में पहुंच गए और अब कश्मीर में देश विरोधी गतिविधियों का विरोध करने पर पुलिस ने छात्रों की पिटाई की तो विपक्षी दल इसमें भी छात्रों पर ही दोषारोपण कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो बड़ी हास्यास्पद टिप्पणी की है। केजरीवाल ने कहा कि भाजपा अब भारत माता की जय बोलने वालों की भी पिटाई करवा रही है। यह माना कि देश के राजनेता अपने-अपने नजरिए से प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन यदि इन नेताओं ने देश की एकता और अखंडता पर एक जुटता नहीं दिखाई ते फिर ऐसे नेताओं की राजनीति पर प्रश्नचिह्न लगेंगे। यदि कश्मीर में ऐसा माहौल बनता है कि केन्द्र सरकार के शिक्षण संस्थाओं में गैर कश्मीरी छात्र नहीं पढ़ सकते तो फिर राजनीतिक दलों के नेताओं को शर्म आनी चाहिए। राजनीति कर सत्ता हथियाने का ही कसद नहीं होना चाहिए। हम देखते है कि जब मुम्बई में शिवसेना गैर मराठी लोगों के खिलाफ कोई फरमान जारी करती है तो सभी राजनीतिक दल उसका विरोध करते हैं। ऐसा ही विरोध कश्मीर में एनआईटी के मुद्दे पर भी होना चाहिए। इस मामले में कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। जहां तक भाजपा का सवाल है तो ऐसी घटनाओं से पूरे देश में भाजपा की छवि खराब होती है और जब कश्मीर में भाजपा के समर्थन से ही महबूबा की सरकार चल रही है तो भाजपा पर ज्यादा जिम्मेदारी है। जो लोग दिल्ली में हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित बेमुला की खुदकुशी पर रैली निकाल कर धरना प्रदर्शन करते हैं, उन्हें कश्मीर के एनआईटी के मुद्दे पर भी हंगामा करना चाहिए। 

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(एस.पी. मित्तल)  (06-04-2016)
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