Friday 19 June 2015

वसुंधरा सरकार देगी सिंधिया ट्रस्ट को सवा करोड़। कब्जे वाली जमीन का किया अधिग्रहण

क्रिकेट के भस्मासुर ललित मोदी की घाटे वाली कंपनी आनंदा हेरिटेज से राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की कंपनी नियंत हेरिटेज होटल प्रा.लि. द्वारा 11 करोड़ 23 लाख रुपए लिए जाने की खबरों के बीच ही यह बात भी सामने आई है कि वसुंधरा राजे के परिवार से जुड़े सिंधिया ट्रस्ट को राजस्थान की सरकार भूमि मुआवजे के रूप में सवा करोड़ रुपए की राशि देगी। इस राशि का भुगतान सरकार पुष्कर नगर पालिका के माध्यम से कभी भी कर सकती है। पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक ने बताया कि मुआवजे के भुगतान के लिए पालिका की ओर से सरकार को पत्र लिखा है।
ग्वालियर राज परिवार से जुड़े सिंधिया ट्रस्ट की अकूत सम्पत्तियों में से एक सम्पत्ति तीर्थ नगरी पुष्कर के पवित्र सरोवर के किनारे भी है। यंू तो सरोवर के किनारे ग्वालियर घाट भी बना हुआ है, लेकिन इसी घाट से लगी भूमि भी है। इस भूमि पर बृजमोहन लढ्ढा आदि लोगों का कब्जा हो रखा है। लाख कोशिश के बाद भी पुष्कर नगर पालिका, अजमेर जिला प्रशासन और वसुंधरा राजे की सरकार भूमि को कब्जाधारियों से मुक्त नहीं करवा सके। यही वजह रही कि नगर पालिका से भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव मांग लिया गया। इस प्रस्ताव में पालिका की ओर से कहा गया है कि ग्वालियर घाट के किनारे वाली भूमि पर सार्वजनिक पार्क बनाया जाना है। इसे सिंधिया ट्रस्ट का रौब-रुतबा ही कहा जाएगा कि पालिका के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने हाथों-हाथ मंजूर कर लिया। बस फिर क्या था, उपखंड अधिकारी ने भूमि अधिग्रहण की सारी कार्यवाही कर पूरी कर ली। इसे कानून का मजाक ही कहा जाएगा कि जिस भूमि पर वर्षो पुराने कब्जे हैं, उसका अधिग्रहण चाटुकार अधिकारियों ने कर लिया। इतना ही नहीं मुआवजे के रूप में सिंधिया ट्रस्ट को सवा करोड़ रुपए देने की सिफारिश भी कर दी। क्या ऐसा अधिग्रहण आम आदमी के लिए भी हो सकता है? देश के खातिर अपनी जान गवाने वाले शहीद सैनिक के परिवार को जब भूमि का आवंटन किया जाता है तो इसी वसुंधरा राजे सरकार के निकम्मे अधिकारी यही कहते हैं कि मौके पर भूमि का कब्जा परिवार वालों को ही लेना होगा। शहीद के परिवार वाले सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते दम तोड़ देते हैं, लेकिन आवंटित भूमि का कब्जा नहीं मिलता। यदि जांच कराई जाए तो राजस्थान में ही ऐसे कई शहीद परिवार मिल जाएंगे, जिन्हें आवंटित भूमि का कब्जा नहीं मिला है। सवाल उठता है कि जिस प्रकार सिंधिया ट्रस्ट की कब्जे वाली भूमि का अधिग्रहण किया, क्या उसी प्रकार शहीद को आवंटित भूमि का भी अधिग्रहण कर मुआवजा दिलवाया जाएगा? जाहिर की जो लोग गरीब जनता के वोट से सत्ता हासिल करते हैं वे सब अपने लिए ही सत्ता का दोहन करते हैं। माना कि सवा करोड़ का मुआवजा ट्रस्ट के लिए कोई मायने नहीं रखता हैं। लेकिन यह भी तो देखा जाए कि ऐसे लोग सवा करोड़ की मामूली सी रकम भी नहीं छोड़ सकते हैं? राजस्थान के नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ जी (भगवान कृष्ण के स्वरूप) के मंदिर में जब कभी करोड़ों का गुप्तदान होता है तो कहा जाता है कि देने वाले श्रीनाथ जी और लेने वाले भी श्रीनाथ जी। पुष्कर भूमि अधिग्रहण मामले में जब सिंधिया ट्रस्ट सवा करोड़ मांगेगा तो फिर वसुंधरा राजे की सरकार कैसे इंकार करेगी। आखिर लेना-देना श्रीनाथ जी के बीच ही तो है।
हाईकोट में चल रहा है मामला
सिंधिया ट्रस्ट की जिस भूमि पर अतिक्रमण हो रखे हैं, उसका मामला राजस्थान उच्च न्यायालय में भी चल रहा है। इस मुकदमे से जुड़े वकील पुरुषोत्तम जाखेटिया ने बताया कि हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन और पुष्कर नगर पालिका को पाबंद कर रखा कि यहां रहने वाले लोगों को बेदखल नहीं किया जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने सिंधिया ट्रस्ट को भूमि का मुआवजा देने पर कोई रोक नहीं लगा रखी है। राज्य सरकार जब चाहे तब मुआवजे का भुगतान कर सकती है। इस संबंध में पुष्कर नगर पालिका ने हाईकोर्ट में भी लिखकर दिया है कि मुआवजा राशि का भुगतान राज्य सरकार अपने स्तर पर ही करेंगी।
मुझे पता है कि सोशल मीडिया पर मेरी इस पोस्ट के बाद विपक्ष को वसुंधरा राजे पर हमला करने का एक ओर धारदार हथियार मिल जाएगा। हालांकि इस मामले में ललित मोदी जैसा कांड नहीं है, लेकिन जो वसुंधरा राजे कांग्रेस सरकार में ईमानदार और जनहित की सरकार देने का वायदा करती थी, तो वसुंधरा राजे बताएं कि क्या अपने परिवार के ट्रस्ट को ही लाभ पहुंचाने के लिए सरकार का उपयोग हो रहा है?
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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