Wednesday 17 June 2015

ललित मोदी और सुषमा स्वराज का मामला :

नादान की दोस्ती जी का जंजाल
आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संबंधों को लेकर जो नई-नई बातें सामने आ रही है, उससे यही कहा जा सकता है, 'नादान की दोस्ती जी का जंजालÓ सुषमा को भी ललित मोदी से दोस्ती की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। इसे मोदी की नादानी ही कहा जाएगा कि वे स्वयं ट्विट कर बता रहे है कि उनकी दोस्ती किस-किस राजनेता से है। 17 जून को मीडिया में यह बात भी आ गई कि सुषमा स्वराज ने मोदी की मदद उनके पासपोर्ट तक ही नहीं की बल्कि लंदन में मोदी के साथ डिनर भी किया था। विदेश मंत्री बनने के बाद सुषमा 17 अक्टूबर 2014 को एक रात के लिए लंदन रूकी थी तब लंदन की एक होटल में 15 लोगों के साथ सुषमा ने डिनर लिया। यह डिनर जोगेन्द्र सांगड़ ने आयोजित किया। इन 15 लोगों में ललित मोदी भी शामिल थे। इसी डिनर पर दोनों के बीच वार्ता भी हुई। मीडिया में इस खबर को पहुंचाने में ललित मोदी का ही हाथ है। यह खबर अब सुषमा के लिए नई मुसीबत खड़ी करेगी। मोदी अपनी ओर नादानी दिखाते इससे पहले ही एनसीपी के प्रमुख शरद पंवार ने स्वीकार कर लिया कि मैंने भी लंदन में ललित मोदी से मुलाकात की थी। प्रफुल्ल पटेल, राजीव शुक्ला न जाने कितने राजनेता है जिनके राज ललित मोदी के पास हैं। मोदी ने कहा भी है कि अभी तो खेल शुरू हुआ है यानि नादानी की शुरुआत हुई है। मोदी की यह नादानी किस-किस को नुकसान पहुंचाती है यह आने वाला समय ही बताएगा। वैसे मोदी की नादानी को सबसे ज्यादा निकटता से राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने देखा है। पिछले कार्यकाल में सीएम राजे की सरकार को चलाने में मोदी की ही भूमिका थी। राजे के दम पर मोदी ने कई आईएएस और आईपीएस अफसरों को सरेआम बेइज्जत किया। तब वसुंधरा राजे एक शब्द भी ललित मोदी के खिलाफ सुनने को तैयार नहीं थी। कांग्रेस के पूर्व सीएम अशोक गहलोत तो आज तक चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे हैं कि वसुंधरा राजे व ललित मोदी के बीच भ्रष्टाचार का गठजोड़ था। यह बात अलग है कि दोबारा सीएम बनने पर मोदी और राजे में भीषण विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि मोदी को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से रातों-रात हटा दिया गया। इस जंग में राजस्थान में क्रिकेट का भट्टा ही बैठ गया। जगजाहिर है कि अब मोदी और राजे के बीच कोई संबंध नहीं है लेकिन इसे मोदी की नादानी ही कहा जाएगा कि उन्होंने ट्विट कर कहा कि वसुंधरा राजे से उनके पारिवारिक संबंध है। इसके बाद राजे को भी कहना पड़ा कि मैं मोदी के परिजनों से परीचित हूं। 16 जून को जिन परिस्थितियों में राजे ने मोदी के परिवार से जुड़े होने की बात कही, उसका अहसास सिर्फ राजे ही कर सकती हैं। विपक्षी दल भले ही अब ललित मोदी के प्रकरण में राजे को घसीट रहे हो, लेकिन राजे का बस चले तो कभी भी मोदी को भारत नहीं आने दें।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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