Thursday 4 June 2015

केन्द्र क्यों नहीं करता देश भर में मैगी को बैन

4 जून को गुजरात सरकार ने भी नेस्ले इंडिया के उत्पाद मैगी पर आगामी 30 दिनों तक बैन लगा  दिया है। इससे पहले दिल्ली, केरल और उत्तराखंड में भी मैगी की बिक्री पर रोक लग चुकी है। देशभर में मैगी पर जो छापामार कार्यवाही की जा रही है, उसमें मैगी के सभी नमूने फेल हो रहे हैं। आरोप है कि मैगी में सीसा की मात्रा ज्यादा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। नेस्ले इंडिया मैगी में ऐसी खाद्य सामग्री मिला रही है, जिसमें सीसा की मात्रा ज्यादा है। जब देश के सभी राज्यों में मैगी के नमूने फेल हो रहे हैं तो सवाल उठता है कि आखिर केन्द्र सरकार पूरे देश में मैगी की बिक्री पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा रही है?
जिन राज्यों में मैगी पर रोक नहीं है, वहां मैगी की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। सवाल उठता है कि क्या सरकार खुद हानिकारक मैगी को खाने को मजबूर कर रही है? यदि सरकार को आम लोगों के स्वास्थ की चिन्ता है तो उसे देश भर में मैगी की बिक्री पर रोक लगा देनी चाहिए। यह रोक कम से कम वर्तमान स्टॉक के नष्ट होने तक तो रहनी ही चाहिए। केन्द्र सरकार की खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है। सरकार को नेस्ले इंडिया के सभी उत्पादों की जांच करानी चाहिए, क्योंकि नेस्ले इंडिया विदेशी कंपनी है और इस कंपनी के मालिकों को यह पता है कि भारत में स्वास्थ्य के मानक बहुत ही खराब हंै। जो माल यूरोप के देशों में नहीं बिक सकता है, उसे भारत में आसानी से बेचा जा सकता है। सरकार को अब यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जो लोग हानिकारक खाद्य पदार्थों का विज्ञापन करते हैं, उन्हें भी कानून के दायरे में कैसे लाया जाए। मैगी का विज्ञापन अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित जैसे फिल्मी कलाकारों ने किया था। यदि कोई फिल्मी कलाकार किसी उत्पाद का विज्ञापन करता है तोउसकी बिक्री भी बढ़ती है। नेस्ले इंडिया के ही उत्पाद नहीं बल्कि विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में बेचे जा रहे सभी डिब्बा बंद उत्पादों की जांच अब देशव्यापी होनी ही चाहिए। जो विदेशी कंपनियां भारत के नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है उनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही होनी ही चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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