Tuesday 30 June 2015

पीएम मोदी जी सैल्फी विद डॉटर से जरूरी है टीवी की अश्लीलता को रोकना


(spmittal.blogspot.in)

पीएम नरेन्द्र मोदी ने 28 जून को रेडियो पर अपने मन की बात कही, इसमें पीएम ने बेटी बचाओ अभ्यिान में 'सैल्फी विद डॉटरÓ का सुझाव दिया। यानि पिता अपनी बेटी के साथ मोबाइल पर खुद फोटो खींचे और फिर शेयर करें। चूंकि यह बात मोदी ने कही, इसलिए हाथों हाथा सोशल मीडिया पर सैल्फी विद डॉटर की बाढ़ आ गई। यह अच्छी बात है कि पीएम ने बेटियों को एक और सम्मान दिलवाया है। लेकिन अच्छा हो कि पीएम मोदी टीवी चैनलों पर परोसी जा रही अश्लीलता को रोकने का भी कोई अभियान चलाएं। प्रतिस्पद्र्धा के इस दौर में टीवी चैनलों में अश्लीलता परोसने की होड़ मची हुई है, जिस तरह से भारतीय लड़कियों को चैनलों पर दिखाया जा रहा है, उससे भारतीय संस्कृति के अनुरूप जीवन व्यतीत करने वाले हर व्यक्ति को शर्म आ रही है। मुझे नहीं पता कि पीएम मोदी और देश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली मनोरंजन वाले टीवी चैनलों को देखते हैं या नहीं। जब हम बेटी बचाओ अभियान में सैल्फी विद डॉटर की सोच रखते हैं तो फिर चैनलों पर अद्र्धनग्न ही नहीं बल्कि नग्न स्थिति में देश की बेटियों को क्यों परोसा जाता है? कभी धारावाहिक के नाम पर तो कभी प्रतिभा और कभी डांस के नाम पर लड़कियों के हर अंग को अश्लीलता के साथ परोसा जाता है। यह माना कि विदेशों में लड़कियों को नग्न प्रस्तुति देने में कोई झिझक नहीं होती है, लेकिन हमारा देश तो सीता माता और भक्त शिरोमणि मीरा बाई का देश है। शर्मनाक बात तो यह है कि बड़े-बड़े टीवी स्टार ऐसे कार्यक्रमों में आकर रोमांस पर प्रवचन देते हैं। पहले तो फिल्मों में जाने वाली लड़कियों से यही उम्मीद की जाती थी कि वे अश्लीलता प्रकट करेंगी ही। लेकिन अब तो टीवी के जरिए घर-घर में अश्लीलता दिखाई जा रही है, जिस प्रकार धारावाहिकों में महिलाओं की छवि दिखाई जा रही है, उससे तो भारतीय संस्कृति का भट्टा ही बैठ गया।
पीएम मोदी भारतीय संस्कृति की दुहाई देकर कभी योग करवाते हैं तो कभी सैल्फी विद डॉटर का नारा देते हैं, लेकिन टीवी की अश्लीलता को रोकने के लिए कोई प्रयास आज तक भी नहीं किए हैं। जवान होती लड़कियों में आज हम जो अनेक बुराइयों देख रहे हैं,उसका सबसे बड़ा कारण मनोरंजन टीवी चैनल है, जब भी धारावाहिक में किसी महिला को षडय़ंत्र करते हुए दिखाया जाता है तो यह सवाल उठना लाजमी है कि हम महिला की छवि को किस रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। आज जिस तरह लड़कियां स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी आदि में आचार व्यवहार कर रही हंै, वह भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं माना जा सकता।  लड़कियों को आजादी मिले और वे पुरुषों के बराबर अपनी योग्यता दिखाएं, इसमें किसी को भी कोई एतराज नहीं होगा, लेकिन जब लड़कियां टीवी संस्कृति के अनुरूप अपना जीवन यापन करेंगी तो समाज में अनेक बुराइयां आएंगी। ऐसा नहीं कि घर परिवार में बेटियों का सम्मान कम होता है, बदले हुए माहौल में ऐसे अनेक परिवार मिल जाएंगे, जिनमें बेटे से ज्यादा बेटी को सम्मान दिया जाता है। पिता एक बार बेटे की बात नहीं मानेगा, लेकिन बेटी की हर बात मानने को तैयार रहता है। जो लोग पीएम मोदी के आह्वान पर सोशल मीडिया या सैल्फी विद डॉटर पोस्ट कर रहे हैं, उनके घरों में ही बेटियों को सम्मान मिला हुआ है। बेटियों को सम्मान दिलाने की वहां आवश्यकता है, जहां धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से बेटियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
(एस.पी. मित्तल)  M-09829071511

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