Monday 15 June 2015

दीवान के नजराने के मुद्दे पर हुए खादिमों के चुनाव

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की विश्व प्रसिद्ध दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन मोईनिया फखरिया चिश्तिया सैय्यद जादगान के चुनाव15 जून को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुए। मतगणना 16 जून को होगी।
इस बार खादिमों का चुनाव पूरी तरह दरगाह दीवान जेनुल आबेदीन को दिए गए दो करोड़ रुपए के सालाना नजराने के मुद्दे पर हुए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अंजुमन के वर्तमान पदाधिकारियों ने दरगाह में आने वाले नजराने के बंटवारे से बचने के लिए दीवान आबेदीन को सालाना नौ करोड़ रुपए की हिस्सा राशि देना मान लिया। लेकिन दीवान के नजराने से खादिमों का एक वर्ग संतुष्ट नहीं है। करीब 1900 खादिमों के दो गुट बने हुए हैं। एक गुट का नेतृत्व पूर्व अध्यक्ष गुलाम किबरिया करते हैं। जबकि दूसरा गुट वर्तमान सचिव वाहिद अंगारा का माना जाता है। यही वजह है कि दोनों ही गुटों ने 21-21 सदस्य खड़े किए हैं। निर्वचित 21 सदस्य ही बाद में अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष आदि पदाधिकरियों का चुनाव करेंगे। वर्तमान सचिव अंगारा गुट दीवान को दिए गए नजराने को उचित बता रहा है। स्वयं अंगारा का कहना है कि स्वयं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चढ़ावे का बंटवारा सरकारी स्तर पर होता तो पूरी कौम को परेशानी का सामना करना पड़ता। उन्होंने याद दिलाया कि कोर्ट के निर्णय के बाद दरगाह के अंदर नजराने के बंटवारे के लिए दान पेटियां तक लग गई थी। ऐसी स्थिति में दरगाह का माहौल बिगड़ाने के हालात हो गए थे। इन सब हालातों को देखते हुए ही दीवान को दो करोड़ सालाना देने का निर्णय अधिकांश सदस्यों की सहमति से किया गया। अंगारा ने दीवान के नजराने के गणित को समझाते हुए कहा कि एक खादिम पर प्रतिदिन मात्र 15 रुपए का भार पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमने खादिमों को अनेक कानूनी पेचिदगियों से बचा लिया है। हमारा निर्णय पूरी कौम के हित में रहा है। वहीं दूसरी ओर विरोधी गुट के प्रतिनिधि और पूर्व सचिव सरवर चिश्ती के अपने गुट का प्रचार दीवान के नजराने के विरोध में लिया। चिश्ती का कहना रहा कि खादिमों को जो नजराना मिलता है, उस पर दीवान आबेदीन का कोई हक नहीं है। नजराने को लेकर विभिन्न अदालतों में जो मुकदमें चले उनमें अंजुमन का पक्ष प्रभावी तरीके से नहीं रखा गया। दो करोड़ रुपए की राशि कम नहीं होती है। यह राशि अंजुमन के कोष से दी जाएगी। यानि सालाना दो करोड़ रुपए का लाभ खादिम समुदाय को नहीं मिल सकेगा। चिश्ती ने कहा कि दो करोड़ का भुगतान करने के बाद भी दरगाह के अंदर आज भी दान पेटियां लगी हुई है। दीवान के नजराने पर दोनों गुटों ने अपने अपने तर्क दिए हैं। खादिम समुदाय इस पर क्या रुख रखता है, उसका पता 16 जून को  लग जाएगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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