Saturday 20 June 2015

तो अब मेरिट घोटाले की जांच एसओजी करेगी शिक्षा माफिया पर कसेगा शिकंजा

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं परीक्षा की मेरिट में हुए घोटाले की जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) से कराने की सलाह देते हुए मैंने 13 जून को सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली थी। मुझे इस बात का संतोष है कि शिक्षा बोर्ड ने मेरी इस सलाह को मान लिया है। 20 जून को शिक्षा बोर्ड प्रबंध मंडल की हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि मेरिट घोटाले की जांच एसओजी जैसी निष्पक्ष एजेन्सी से करवाई जाए। इस संबंध में शीघ्र ही राज्य सरकार को पत्र लिखा जाएगा। बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष बीएल चौधरी और सचिव श्रीमती मेघना चौधरी का कहना रहा कि एसओजी की जांच से उस शिक्षा माफिया पर भी कार्यवाही हो सकेगी, जो धन और बल के दम पर शिक्षा बोर्ड में भी घुसपैठ कर लेता है। हालांकि बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने बाहरी एजेन्सी से जांच का विरोध किया। ऐसे अधिकारियों का कहना रहा कि इससे बोर्ड की प्रतिष्ठा खराब होगी। इस पर बोर्ड सचिव मेघना चौधरी ने कहा कि हमें बोर्ड की प्रतिष्ठा ही बचानी है। आने वाले इन दिनों में बोर्ड को अध्यापक पात्रता जैसी रीट की परीक्षा भी करवानी है, इसलिए बोर्ड में निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ कार्य होना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि बोर्ड के अधिकारी एवं कर्मचारी ईमानदारी के साथ कार्य करते हैं तो उन्हें जांच से घबराने की जरूरत नहीं है। मेघना चौधरी ने जिस प्रभावी तरीके से बैठक में एसओजी की जांच की बात रखी, उससे अध्यक्ष चौधरी ने भी सहमति जताई। चौधरी का भी कहना रहा कि प्रदेश के 20 लाख से भी ज्यादा विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों का बोर्ड पर भरोसा कायम रहना चाहिए। बदनामी के डर से किसी के भरोसे को नहीं तोड़ सकते हैं।
मेरिट घोटाले की जांच एसओजी से कराने के निर्णय के साथ ही प्रदेश के शिक्षा माफिया में खलबली मच गई है क्योंकि अब उन व्यक्तियों पर शिकंजा कसेगा जो धन और बल के दम तक न केवल स्कूल के परीक्षा केन्द्र निर्धारित करवाते हैं, बल्कि परीक्षा केन्द्र पर सामूहिक नकल जैसा घिनौना कार्य भी करवाते हैं। ऐसे लोगों की पहुंच शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर बोर्ड की गोपनीय शाखा तक में है। इसमें कोई दो राय नहीं कि एसओजी से जांच का निर्णय साहसिक है और इसके लिए बोर्ड अध्यक्ष बीएल चौधरी और सचिव मेघना चौधरी को शाबाशी दी जानी चाहिए। उम्मीद है कि राज्य सरकार भी बोर्ड की सिफारिश को स्वीकार करते हुए तत्काल पूरे मामले की जांच एसओजी को सौंप देगी।
देवनानी की भी भूमिका
मेरिट घोटाले की जांच एसओजी से करवाने में शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी की भी प्रभावी भूमिका रही है। देवनानी भी चाहते हैं कि शिक्षा माफिया पर सख्त कार्यवाही हो। यही वजह रही कि जब बोर्ड के आला अधिकारियों ने देवनानी की राय जानी तो उन्होंने भी एसओजी से जांच की हरी झंडी दे दी।
यह है मेरिट घोटाला
बोर्ड की 10वीं के परीक्षा परिणाम की मेरिट में गंगापुर सिटी (सवाई माधोपुर) के क्रिएटिव पब्लिक स्कूल के 17 विद्यार्थियों ने स्थान प्राप्त कर लिया। इनमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर भी इसी स्कूल के विद्यार्थियों का कब्जा रहा। बोर्ड की प्राथमिक जांच में पता चला है कि नियमों की अनदेखी कर क्रिएटिव स्कूल के विद्यार्थियों का परीक्षा केन्द्र भगवती बालिका स्कूल को बनाया गया। मेरिट में तीसरा स्थान हासिल करने वाले दीपक मीणा ने भी इसी स्कूल मेें परीक्षा दी और दीपक के पिता तथा सवाई माधोपुर के अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी देवीलाल मीणा स्वयं ही इस परीक्षा केन्द्र के निरीक्षक दल के प्रभारी बन गए। इतना ही नहीं देवीलाल मीणा के अतिरिक्त शिक्षक फरेबीलाल मीणा को इस केन्द्र का अधीक्षक बना दिया गया। संदेह है कि क्रिएटिव स्कूल के विद्यार्थियों ने अपनी सुविधा से परीक्षा दी। यही कारण रहा कि मेरिट में 17 विद्यार्थी आ गए। इससे पहले भी शिक्षा माफिया के लोगों ने बोर्ड की गोपनीय शाखा से उन शिक्षकों के नाम, पते हासिल कर लिए जिनके पास उत्तर पुस्तिकाएं जंचने गई थी। इस मामले में उदयपुर में एक मुकदमा भी दर्ज करवाया गया है।
फिर बढ़ा सोशल मीडिया का महत्व
मेरिट घोटाले की जांच एसओजी से करवाने का सुझाव पूरे मीडिया में सबसे पहले सोशल मीडिया के माध्यम से गत 13 जून को मैंने दिया था। सोशल मीडिया के माध्यम से जब यह सुझाव वायरल हुआ तो सरकार और बोर्ड प्रबंधन पर भी दबाव पड़ा। आखिर बोर्ड प्रबंधन को जांच का निर्णय लेना ही पड़ा। इसके लिए मैं उन सभी जागरूक पाठकों का आभारी हूं जिन्होंने मेरी 13 जून की पोस्ट को मेरे ब्लॉग, फेसबुक, वाट्सएप आदि पर शेयर किया। दबाव बनाने में जी न्यूज के राजस्थान चैनल की भूमिका भी रही है। हालांकि चैनल के प्रभारी पुरषोत्तम वैष्णव को धमकियां भी मिलीं, लेकिन चैनल ने खबरों को प्रमुखता के साथ दिखाया। इस चैनल पर ही सबसे पहले टॉपर एकता अग्रवाल का इंटरव्यू दिखाया गया। इस इंटरव्यू में एकता ने कहा कि अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी देवीलाल मीणा के पुत्र दीपक मीणा की मदद के लिए बार-बार स्कूल के प्रिंसीपल और शिक्षक आ रहे थे। मीणा की भूमिका संदिग्ध मानते हुए ही सरकार ने उन्हें सवाई माधोपुर से हटा दिया है।
मेरिट सूची पर रोक
प्रबंध मंडल की बैठक में दसवीं की मेरिट पर भी रोक लगा दी है। इस बार प्रथम दस स्थानों के लिए 127 विद्यार्थियों की मेरिट जारी की गई थी। अब एसओजी की जांच के निष्कर्ष के बाद ही मेरिट पर कोई निर्णय होगा।
परीक्षा शुल्क में वृद्धि
शनिवार को बोर्ड प्रबंध मंडल की बैठक में परीक्षा शुल्क में वृद्धि करने का भी निर्णय लिया गया। अब प्रदेश के विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क के 450 रुपए के स्थान पर 500 रुपए और प्रायोगिक परीक्षा का शुल्क 30 रुपए के स्थान पर 75 रुपए देने होंगे। इसी प्रकार आगामी एक जुलाई से दस्तावेजों के प्रतिलिपि शुल्क में भी वृद्धि कर दी गई है। अंकतालिका की प्रतिलिपि और माईग्रेशन प्रमाण पत्र के लिए सौ रुपए के स्थान पर 150 रुपए शुल्क लिया जाएगा। इसी प्रकार अंग्रेजी की अंकतालिका के लिए 80 रुपए के स्थान पर 100 रुपए वसूल किए जाएंगे। बैठक में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में 36 करोड़ 81 लाख रुपए के घाटे का अनुमान है। इस घाटे की पूर्ति के लिए ही प्रदेश के विद्यार्थियों पर बोझ डाला गया है। असल में परीक्षा के अलावा शिक्षा बोर्ड जो अतिरिक्त कार्य करता है उसकी वजह से घाटा होता है। इस बार भी 22 लाख विद्यार्थियों ने 10 और 12वीं की परीक्षा दी थी। ऐसे में परीक्षा आयोजन का खर्चा तो आसानी से भरपाई हो जाता है, लेकिन वीडियोग्राफी, सीसीटीवी कैमरे, सतर्कता दल के आदि कार्यो में जो राशि खर्च होती है उससे बोर्ड को घाटा उठाना पड़ता है।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

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