Thursday, 4 May 2017

#2533
तो कहां मिल रहा है अजमेर नगर निगम को भाजपा की सरकार होने का लाभ? आईएएस की नहीं सुन रहा सीआई।
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माना तो यही जाता है कि जब सत्ता की कड़ी से कड़ी जुड़ी होती है तो विकास तेजी से होता है। इस समय अजमेर नगर निगम पर भाजपा का कब्जा है और राज्य व केन्द्र सरकार में भी भाजपा की ही सरकार है। ऐसे में अजमेर के विकास में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। साथ ही विभागों में आपसी विवाद भी नहीं होना चाहिए, लेकिन 3 मई को यह देखा गया कि अवैध निर्माण को हटाने के मुद्दे पर नगर निगम और पुलिस के अधिकारी आमने-सामने हो गए। निगम के आयुक्त प्रियवृत पांड्या (आईएएस) को इस बात पर नाराजगी है कि पुलिस के सीआई स्तर के अधिकारी ने भी उनकी नहीं सुनी। 3 मई को जब आयुक्त पांड्या दल-बल के साथ पाल बीचला क्षेत्र में अवैध निर्माणों को सीज करने गए तो क्षेत्र के अलवर गेट पुलिस स्टेशन का अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। फलस्वरूप अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो सकी। गंभीर बात यह है कि यह कार्यवाही प्रदेश के लोकायुक्त के दबाव में की जा रही थी। अब पांड्या ने थाने के सीआई हरिपाल सिंह के खिलाफ पुलिस अधीक्षक डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन को एक पत्र लिखा है। आईएएस और पुलिस के सीआई के बीच का विवाद ही यह दर्शाता है कि अजमेर को सत्ता की कड़ी से कड़ी जुडऩे का लाभ नहीं मिल रहा है। पांड्या ने भले ही सीआई की शिकायत एसपी से कर दी है, लेकिन सीआई का कुछ भी बिगडऩे वाला नहीं है। जो लोग थाने पर जाकर कभी सीआई से प्रताडि़त होकर आए हों, उन्हें थाने के सीआई की ताकत का अन्दाजा लगा लेना चाहिए। जब सीआई अपने से कई स्तर बड़े आईएएस की ही नहीं सुन रहा तो फिर आम व्यक्ति की तो बिसात ही क्या है? आईएएस पांड्या भी पुलिस से कोई झगड़ा नहीं करना चाहते हैं क्योंकि उनकी सेवानिवृत्ति निकट ही है। लेकिन पांड्या को इस बात का तो अफसोस रहेगा ही कि निगम को भाजपा की सरकार होने का लाभ नहीं मिला। निगम को 5 मई को पाल बीचला के अवैध निर्माणों के संबंध में लोकायुक्त सचिवालय में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। रिपोर्ट के साथ पांड्या अपनी स्थिति भी लोकायुक्त को बता देंगे। 
एस.पी.मित्तल) (04-05-17)
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