Monday 1 December 2014

रसोई गैस सस्ती होने का लाभ उपभोक्ताओं को क्यों नहीं

रसोई गैस सस्ती होने का लाभ उपभोक्ताओं को क्यों नहीं
केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक दिसम्बर को रसोई गैस की कीमतों में भारी कमी की घोषणा की है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है दिल्ली में बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर जो 865 रुपए में मिलता था, वह अब 752 रुपए में ही मिलेगा। यानि प्रति सिलेंडर 113 रुपए की कमी की गई। सरकार की ओर से कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव लगातार घट रहे हैं, इसलिए अपने देश में भी पेट्रोल के साथ-साथ रसोई गैस के दाम भी घटाएं गए हैं। लेकिन दाम घटाने का फायदा आम लोगों तक नहीं पहुंचेगा, क्योंकि सरकार ने सिर्फ बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दामों में ही कमी की है। सवाल उठता है कि क्या अच्छे दिन सिर्फ सरकार के लिए ही आए हैं? जब बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के दाम कम किए जा सकते हैं तो फिर साब्सिडी वाले सिलेंडर के क्यों नहीं? सरकार का तर्क हो सकता है कि उपभोक्ताओं को पहले ही प्रति वर्ष 12 सिलेंडर सस्ते दामों पर दिए जा रहे हैं, लेकिन सरकार का यह तर्क इसलिए कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि कोई सरकार अडानी-अम्बानी की मुनाफाखोरी नहीं कर सकती है। सरकार जनता के वोट से चुनी जाती है, यदि रसोई गैस के सिलेंडर पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जा रही है तो यह कोई अहसान की बात नहीं है। आखिर सत्ता में बैठे लोग भी तो सरकारी धन से ही विदेश यात्राएं और एशो-आराम कर रहे हैं। ऐसे में यदि आम लोागें के काम आने वाली गैस सस्ती दी जा रही है तो यह अच्छी बात है, लेकिन अच्छे दिन लाने का वायदा कर सत्ता में आए लोगों की यह जिम्मेदारी है कि वे सब्सिडी वाले सिलेंडर को सस्ता करें। सिर्फ सब्सिडी की भरपाई करने का ही मकसद नहीं होना चाहिए। आखिर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और अडानी-अम्बानी की कंपनियों में कुछ तो फर्क होना ही चाहिए। अब जब एक जनवरी से उपभोक्ता को पहले सिलेंडर की बाजार की कीमत चुकानी पड़ेगी तो उपभोक्ता की परेशानी और बढ़ जाती है। ऐसे में यदि सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत घटाई जाती है तो यह उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करेगी। सरकार को यह भी बताना चाहिए कि अब उपभोक्ताओं को सिलेंडर पर देशभर में कितनी सब्सिडी दी जा रही है और कच्चे तेल के दाम कम होने से कितना फायदा हुआ है। सरकार ने पेट्रोल और डीजल को पहले ही खुले बाजार के हवाले कर दिया है, ऐसा न हो कि नरेन्द्र मोदी की सरकार गरीब के काम आने वाली गैस को भी बाजार के हवाले कर दें। जब प्रति सिलेंडर 113 रुपए की कमी की जा सकती है, जब सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत भी कम से कम पचास रुपए तो घटाए ही जा सकते हैं। सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत कम नहीं करके सरकार को प्रति सिलेंडर 113 रुपए का तो फायदा होना शुरू हो ही गया है। (एस.पी.मित्तल) (spmittal.blogspot.in)

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