Monday 22 December 2014

कौन करेगा सीएम राजे के काम का आंकलन

कौन करेगा सीएम राजे के काम का आंकलन
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 21 दिसम्बर को जोधपुर के एक समारोह में कहा कि यदि उन्होंने वादे के मुताबिक काम नहीं किया तो वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर अपने घर चली जाएगी। राजे के इस बयान के बाद सवाल उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री के काम का आंकलन कौन करेगा? क्या इसके लिए सीएम ने कोई निगरानी कमेटी बनाई है या फिर संगठन के किसी पदाधिकारी को जिम्मेदारी दी है? जो लोग राजे के मिजाज को जानते हैं उन्हें अच्छी तरह पता है कि राजनीति में राजे किसी की भी परवाह नहीं करती है। किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं कि राजे को कोई सुझाव व सलाह दे सके। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं को राजनीति दृष्टि से कितना भी मजबूत समझते हो, लेकिन उनका भी राजस्थान की भाजपा की राजनीति में दखल करने की हिम्मत नहीं है। राजस्थान में सरकार व संगठन में वहीं होता है जो वसुंधरा राजे चाहती है। भाजपा के दिग्गज नेता भी अपने दिल पर हाथ रखकर ईमानदारी से बताए कि क्या वादा पूरा नहीं करने पर राजे को इस्तीफा देने की बात कह सकते है? समझ में नहीं आता की राजे ने अपने मिजाज के विपरित वाला बयान किस प्रकार दे दिया। राजे खुद भी अच्छी तरह जानती है कि उन्हें सुझाव व सलाह देने वाला कोई नहीं है। जहां तक भाजपा संगठन ने राजनीतिक चुनौती देने का सवाल है तो राजे ने सभी नेताओं के राजनीतिक कद पहले से ही छोटे कर रखे हंै। जो मंत्री बनाए हंै उनका काम जी-हजूरी करना ही है। मंत्रियों को सार्वजनिक मंचों से डाट-फटकार करना राजे के लिए कोई नई बात नहीं है। राजे स्वयं यह मानती है कि चुनाव आचार संहिताओं के कारण गत एक वर्ष में भाजपा सरकार ने कोई बड़ा काम नहीं किया, लेकिन इसके बावजूद भी गत 13 दिसम्बर को राजधानी जयपुर में राजपथ पर एक वर्ष का भव्य जश्न मनाया गया। असल में लगातार चुनाव जीतने की वजह से राजे आत्मविश्वास से भरी हुई है। विधानसभा, लोकसभा हाल ही में ही 46 निकाय चुनावों में शानदार सफलता के बाद राजे कह सकती हैं कि प्रदेश की जनता का उन पर भरोसा है। लोकतंत्र में नेता वहीं होता है जिसकी चुनाव में जीत हो। राजे का मिजाज किसी को पसंद आए या नहीं, लेकिन जब तक चुनावों में जीत हो रही है तब तक राजे को ही नेता माना जाए। अब जनवरी में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होने है। इन चुनावों को जीतने के लिए राजे ने अभी से ही पूरी ताकत झौंक दी है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट बार-बार मुख्यमंत्री राजे की विफलताएं गिना रहे है, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी कांग्रेस को किसी भी चुनाव में सफलता नहीं मिल रही है। दोनों नेता भाजपा के जीत का श्रेय राजे को देने की बजाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते है, लेकिन वहीं कांग्रेस की ओर से सरकार की विफलताओं को लेकर कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया जा रहा है।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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