Monday 8 December 2014

तो हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में कांग्रेस को हरवाया

तो हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में कांग्रेस को हरवाया
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की माने तो हाल ही में हुए 46 स्थानीय निकायों के चुनवों में कांग्रेस की हार का कारण राजस्थान का हाईकोर्ट है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनीष भंडारी ने ही राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के चुनावों के परिणाम पर रोक लगाई, जिससे छात्रसंघ के परिणाम स्थानीय निकाय चुनाव से पहले नहीं आ सके। यदि छात्रसंघ के परिणाम पहले आ जाते और कांग्रेस के अग्रिम संगठन एनएसयूआई के पदाधिकारियों की जीत की घोषणा हो जाती हो 46 निकायों के मतदाता भी भाजपा के बजाए कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट दे देते। लेकिन हाईकोर्ट ने निकाय चुनावों से पहले छात्रसंघ के चुनावों के परिणाम नहीं आने दिया। छात्र संघ चुन+ावों के परिणामों का असर निकाय चुनावों पर कितना पड़ता, यह तो भगवान ही जानता है, लेकिन पायलट ने ऐसा बयान देकर निकाय चुनाव की करारी हार से पल्ला झाड़ लिया है। अब हार के लिए न तो स्वयं पायलट जिम्मेदार है न कांग्रेस का संगठन। जिम्मेदार है तो हाईकोर्ट। पायलट के बयान पर अंधा कानून तो कोई जवाब नहीं दे सकता है, लेकिन पायलट यह जरूर बता सकते हैं कि पिछले दिनों जब चार में तीन विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को जीत मिल गई थी, तब निकाय चुनावों में इतनी बुरी हार क्यों हुई। खैर पायलट तो पायलट हैं, लेकिन फिलहाल वे राजस्थान विश्वविद्यालय में एनएसयूआई के पदाधिकारियों की जीत के लिए अपनी पीठ थपथपा सकते हैं। चाहे तो पायलट स्थानीय निकायों के चुनावों के परिणामों को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। पायलट ने मीडिया को जो तर्क दिया, उसी आधार पर याचिका भी दायर हो सकती है। आखिर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने मनीष भंडारी की सिंगल बैंच के आदेश को भी पलटा है। सिंगल बैंच ने यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के चुनाव को ही रद्द कर दिया था। न्यायाधीश भंडारी ने जयुपर के पुलिस कमिश्नर के उस हलफनामे को सही माना, जिसमें छात्रों के चुनाव में भू-माफिया का दखल बताया गया था। न्यायाधीश भंडारी चाहते थे कि छात्रसंघ के चुनाव लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों पर ही हो। -(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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