Tuesday 30 December 2014

आईपीएस राजेश मीणा की बहाली के मायने

आईपीएस राजेश मीणा की बहाली के मायने
सवाल यह नहीं है कि राजेश मीणा को फिर से आईपीएस के पद पर बहाल कर दिया गया है। सवाल यह है कि आखिर राजेश मीणा को किसने बहाल किया? राजस्थान के मतदाता को याद होगा कि गत विधानसभा चुनाव से पहले जब वसुंधरा राजे सुशासन यात्रा निकाली थी। तब जगह-जगह आम सभाओं में कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार पर जोरदार हमला बोला। भ्रष्टाचार के जो मामले गिनाए गए उसमें सबसे पहले अजमेर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा के भ्रष्टाचार का मामला गिनाया गया। वसुंधरा राजे ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि कांग्रेस के राज में एसपी स्तर का अधिकारी पुलिस थानों से मंथली लेते हुए पकड़ा गया। एसीबी राजेश मीणा को सरकारी निवास से ही एक दलाल के माध्यम से मंथली वसूली की राशि प्राप्त करते हुए गिरफ्तार किया था। वसुंधरा राजे जिस अंदाज में भाषण देती है। उसका असर मतदाताओं पर पड़ता है। राजेश मीणा के भ्रष्टाचार के मामले का असर भी मतदाताओं पर पड़ा। यही वजह रही कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया और वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री बन गई। अब उन्हीं वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री की हैसियत से राजेश मीणा को एक बार फिर आईपीएस की कुर्सी पर बैठा दिया है। अब राजेश मीणा न केवल आईपीएस की वर्दी पहनकर अजमेर व राजस्थान भर में घुम सकेंगे, बल्कि उनके खिलाफ अजमेर में एसीबी की अदालत में भ्रष्टाचार का मुकदमा चल रहा है। उसमें भी गवाहों आदि को प्रभावित करेंगे। अब तक इस मामले में जितने भी गवाह पेश हुए वो सभी अपने पुलिस बयानों से मुकर चुके हैं। यह तब हुआ जब राजेश मीणा निलंबित थे। अब तो वसुंधरा राजे ने मीणा को आईपीएस के पद पर नियुक्ति दे दी है। थानाधिकारियों से राजेश मीणा ने मंथली वसूली या नहीं इसका फैसला तो न्यायालय करेगा, लेकिन यहां सवाल उठता है कि वसुंधरा राजे ने विधानसभा चुनाव के दौरान मीणा का मुद्दा क्यों उछाला? चुनाव में जब मीणा के मामले को कांग्रेस सरकार का भ्रष्टाचार बताया जा सकता है तो विजयी सरकार क्या संदेश देना चाहती है। यह वसुंधरा राजे को बताना चाहिए। क्या वसुंधरा ने मान लिया है कि राजेश मीणा निर्दोष है। क्या अब भाजपा की सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई अभियान चला सकती है। अच्छा हो इस मामले में वसुंधरा बताए कि किन परिस्थितियों में मीणा को बहाल किया गया है? जहां तक मीणा की बहाली का मामला है, तो हो सकता है कि डीआईजी के पद पर पदोन्नति भी कर दिया जाए।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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