Thursday 3 December 2015

ख्वाजा के दर पर हुआ संघ का मुस्लिम महिला सम्मेलन। पांच हजार से ज्यादा ने की शिरकत।


मोहम्मद साहब ने फरमाया 'औरत की इज्जत करो, क्योंकि मां के कदमों में जन्नत हैÓ कुछ इसी उद्देश्य से 3 दिसम्बर को ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह वाले अजमेर के आजाद पार्क में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की ओर से मुस्लिम महिला सम्मेलन आयोजित हुआ। इन दिनों मुसलमानों पर तथाकथित अत्याचारों को लेकर कुछ राजनेता भले ही देश में असहिष्णुता का माहौल बता रहे हो, लेकिन 3 दिसम्बर को ख्वाजा के दर पर आरएसएस के ही सम्मेलन में जिस प्रकार मुस्लिम महिलाओं ने शिकरत की, उससे साफ हो गया है कि मुसलमानों में वर्तमान समय में न तो कोईखौफ हैऔर न ही इस देश में रहने पर डर है। यह माना कि प्रदेशभर से आई हुई मुस्लिम महिलाओं ने सम्मेलन में भाग लेने के साथ-साथ ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत भी की। लेकिन जियारत के साथ ही सम्मेलन में घंटों बैठी रहीं और मुस्लिम व गैर मुस्लिम नेता और विद्वानों आदि के भाषण सुने। ऐसा नहीं कि महिलाओं को बिना किसी जानकारी के सम्मेलन में लाया गया है। छोटी, बड़ी, बूढ़ी और जवान हर महिला को यह पता था कि सम्मेलन का आयोजन आरएसएस की ओर से किया गया है, जो लोग आरएसएस पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाते हैं, उन्हें इस सम्मेलन में शरीक हुई महिलाओं से संवाद करना चाहिए। इस सम्मेलन का को निष्कर्ष निकला, उसमें यह माना गया कि ज्यादा बच्चों की पैदाइश वाला परिवार सुखी नहीं रहता है। ऐसे परिवार में न तो बच्चों की सही ढंग से परवरिश कर पाते हैं और न ही उन्हें शिक्षा प्रदान कर पाते है। ज्यादा बच्चों की पैदाइश से मुस्लिम समाज की आबादी तो बढ़ेगी और उससे राजनीतिक दलों के वोट बैंक में इजाफा हो जाएगा, लेकिन इससे मुस्लिम समाज का कोई भला नहीं होगा। मुसलमानों की आबादी बढऩे से दूसरे समुदाय के लागों में कटुता पैदा होती है, जिससे देश का माहौल भी खराब होता है। इतना ही नहीं दूसरे समुदाय के लोगों में यह भावना पैदा होती है कि मुस्लिम समाज देश के संसाधनों का ज्यादा इस्तेमाल करता है, जिससे दूसरे समुदाय के लोग वंचित रह जाते हैं। 
यह बात मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शन और आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार ने ही नहीं कही बल्कि अधिकांश मुस्लिम नेताओं और विद्वानों ने भी इसी तरह के विचार रखे। जो लोग असहिष्णुता का माहौल बता कर मुसलमानों को अलग करने का प्रयास कर रहे हैं, इसके विपरीत मुस्लिम महिला सम्मेलन में पूरा माहौल भाईचारे का नजर आया। महत्त्वपूर्ण बात तो यह रही कि महिला वक्ताओं ने मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक समस्याओं को भी पूरजोर तरीके से रखा। मुस्लिम समाज में विवाह के अधिकार तलाक, कारोबार की आजादी, माल व जायदाद पर हक आदि को लेकर भी खुलकर चर्चा हुई। सम्मेलन में यह माना गया कि मुस्लिम बच्चियों को हर हालत में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए ताकि समाज में व्याप्त बुराइयों से बचा जा सके। शिक्षा के अभाव की वजह से मुस्लिम महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों से वंचित हो रही है। सभी ने माना कि जब देश दुनिया तरक्की कर रहे है, तब मुस्लिम महिलाएं सामाजिक परिस्थितियों की वजह से पीछे क्यों रहे। 
आफताब ए-हिन्द अखबार का वितरण:
सम्मेलन में आफताब-ए-हिन्द साप्ताहिक अखबार का वितरण किया गया। इस अखबार का एक विशेषांक इस सम्मेलन पर ही निकाला गया। अखबार में सभी लेख मुस्लिम विद्वानों ने लिखे है, जिसमें कुरान शरीफ की बातों का उल्लेख करते हुए वर्तमान परिस्थितियों में महिलाओं के संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारियां दी गई है। अखबार में जावेद रहमानी ने बताया कि शरियत कानून की आड़ में किस प्रकार मुस्लिम महिलाओं का शोषण हो रहा है, जबकि शरियत में ऐसी कोई बात नहीं है जो महिलाओं को अपने पारिवारिक अधिकारों से वंचित करती हो। बल्कि मुस्लिम धर्म में तो महिलाओं की सुरक्षा ही सबसे ज्यादा है, लेकिन कुछ लोगों ने शरियत की गलत व्याख्या कर महिलाओं को अधिकारों से वंचित कर रखा है। 
इन्द्रेश कुमार मुसलमानों के सच्चे मसीहा:
अखबार में मुस्लिम विद्वान एम.जे. अंसारी ने लिखा है कि वर्तमान में मुलायम सिंह यादव, लालूप्रसाद यादव आदि को मुसलमानों का मसीहा माना जाता है, लेकिन ऐसे मसीहा सिर्फ चुनाव में फायदा लेने के लिए मुसलमानों का हिमायती दर्शाते हैं। लेकिन ऐसे मसीहा मुसलमानों की समस्याओं का समाधान नहीं करते। इसके विपरित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के माध्यम से इन्द्रेश कुमार मुसलमानों खासकर महिलाओं की समस्याओं के समाधान में रात दिन मेहनत कर रहे हैं। अंसारी ने कहा है कि आज मुसलमानों की जो दयनीय स्थिति है, उसका सबसे ज्यादा दु:ख इन्द्रेश कुमार को ही है। इसलिए इन्द्रेश कुमार ने नारा दिया है 'आधी रोटी खाएंगे, बच्चों को तालीम दिलाएंगेÓ इन्द्रेश कुमार का मानना है कि अगर देश का मुसलमान कुरान की शिक्षा पर अमल करना शुरू कर दे तो देश में पारस्परिक सहिष्णुता का ऐसा माहौल बनेगा, जहां साम्प्रदायिक ङ्क्षहसा का नामोनिशन नहीं रहेगा। दोनों सम्प्रदाय उन्नति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़कर देश का खुशहाल बनाने में अपनी -अपनी भूमिका निभाएंगे। एक सच्चा मुसलमान कभी भी आतंकवादी नहीं हो सकता, क्योंकि इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा नहीं देता है। इस्लाम ने तो यह सीख दी है कि पड़ौसी चाहे किसी भी धर्म का हो यदि उसकी वजह से तकलीफ है तो ऐसा मुसलमान मुसलमान नहीं हो सकता। जो लोग आतंकवदा के रास्ते पर चल रहे हैं उन्होंने न तो इस्लाम को जाना है और न समझा है। 
दरगाह ब्लास्ट में मेरी भूमिका नहीं-इन्द्रेश कुमार
इन्द्रेश कुमार ने सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस के शासन में अजेमर में ख्वाजा साहब की दरगाह में हुए बम विस्फोट में मेरी कोई भूमिका नहंी थी। लेकिन राजनीतिक कारणों से मेरा नाम चार्जशीट में डाला गया। जांच एजेंसियों के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि विस्फोट में मेरा सहयोग है। लेकिन फिर भी मुझे बेवजह परेशान किया गया, उन्होंने कहा कि जब में आम मुसलमान के सामाजिक विकास का काम कर रहा हंू तब किसी धार्मिक स्थल पर विस्फोट कैसे करा सकता हंू। असल में मुसलमानों को एक जुट करने की मेरी भूमिका को देखते हुए ही कांग्रेस ने मेरा नाम चार्जशीट में डाल दिया। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रीय मुस्लिम मंच को पूरे देश के मुसलमानों के बीच मान्यता मिल रही है। यदि विस्फोट में मेरी भूमिका होती तो मुसलमानों का इतना प्यार मुझे नहीं मिल पाता। 
इन्होंने किए विचार व्यक्त:
सम्मेलन में इन्द्रेश कुमार के अलावा राज्य वित्त आयोग की अध्यक्ष श्रीमती ज्योतिकाण अजमेर तारागढ़ दरगाह कमेटी के अध्यक्ष मोहसीन सुल्तानी, दरगाह के खादिम अब्दुल बारी चिश्ती, सैय्यद अफशान चिश्ती, पूर्व वक्फ बोर्ड चेयरमैन सलावत खान, इमरान चौधरी, मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल, गिरीश जुयाल, अब्बास अली बोहरा, सलीम अशरफी, अबू बकर नकबी, भाजपा नेता मुंसीफ अली खान, तनवीर अहमद, कोमल चौधरी, रेश्मा हुसैन, शहनाज अबजार, सलमा, नाजिरा हुसैन, नाजनीन, नूरजहां, शमा खान, तृप्ति जैमन, मुमताज बेगम, रुखसार, सहर नकबी, वाहिदा, शाहिद अख्तर, डॉ. सैय्यद इब्राहिम फख्तर चिश्ती, धर्मेश जैन, फरहाद सागर आदि ने विचार व्यक्त किए।
(एस.पी. मित्तल)
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