Sunday 13 December 2015

जश्न भाजपाइयों का, रोना व्यापारियों का



राजस्थान में भाजपा सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर 13 दिसम्बर को भले ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने जयुपर में जश्न मनाया हो, लेकिन अनेक व्यापारी रोते हुए नजर आए। प्रदेशभर में इस बार कार्यकर्ताओं को जयपुर ले जाने की जिम्मेदारी भाजपा के विधायकों को सौंपी गई। इसी क्रम में अजमेर जिले के सातों भाजपा विधायक सक्रिय रहे। संगठन के बजाए विधायकों को जिम्मेदारी देने के पीछे शायद यही वजह रही कि सत्तारुढ़पार्टी पार्टी का विधायक किसी भी व्यापारी से आसानी से धनराशि वसूल सकता है। अजमेर शहर के दोनों विधायक तो स्वतंत्र प्रभार के मंत्री हैं। व्यापारियों से कहा गया कि हर विधानसभा क्षेत्र से 60 बसें कार्यकर्ताओं से भर कर जयपुर जानी है। बसों का किराया, डीजल, कार्यकर्ताओं के खाने पीने आदि के बंदोबस्त करने हैं। विधायकों के प्रस्ताव पर व्यापारियों ने अपनी क्षमता से बाहर जा कर दान दक्षिणा दी। हालांकि अनेक व्यापारियों ने बाजार में मंदी का हवाला दिया, लेकिन विधायको ने कहा कि हम तो जश्न मनाएंगे ही। नाम नहीं छापने की शर्त पर व्यापारियों ने बताया कि मंदी की वजह से घर खर्च में भी कटौती की गई है, लेकिन भाजपा  के जश्न के लिए धनराशि देनी ही पड़ी है। गत विधानसभा चुनाव से पहले तो सहयोग राशि की रसीद दी गई थी, लेकिन जश्न के लिए ली गई राशि की रसीद भी नहीं दी गई। व्यापरियों को ज्यादा पीड़ा इस बात की है कि जब उनका किसी सरकारी दफ्तर में काम पड़ता है तो रिश्वत के बिना काम नहीं होता। तब जश्न और चुनाव के नाम पर दक्षिणा लेने वाले नेता और विधायक कोई मदद नहीं करते। व्यापारियों से कितनी राशि वसूली गई और कितनी राशि खर्च की गई, इसका भी कोई हिसाब किताब नहीं रखा जाता है। जिन व्यापारियों ने मंत्रियों और विधायकों के समर्थकों को दक्षिणा दी है, उनकी इस बात को लेकर भी चिंता है कि पूरी राशि मंत्री जी अथवा विधायक जी तक पहुंची या नहीं 13 दिसम्बर को भले ही भाजपाइयों ने जश्न मनाया, लेकिन जयपुर खर्च के नाम पर दान दक्षिणा देने वाले मंदी के मारे व्यापारियों की आंखों में आंसू हैं। वसूली गई राशि हजारों में नहीं लाखों में है। यदि एक विधानसभा क्षेत्र से 60 बसों को ले जाया गया तो अकेले अजमेर में 8 विधानसभा क्षेत्रों से 480 बसें जयपुर गई। इन बसों के खर्चें का अंदाजा लगाया जा सकता है। अजमेर में ऐसा कई विधायक नहीं है, जो अपने विधायक के वेतन में से कार्यकर्ताओं को जयपुर ले जाए। जबकि बसों का बंदोबस्त तो आरटीओ दफ्तर ने जबरन किया था। 

(एस.पी. मित्तल)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment