Tuesday 15 December 2015

अपना घर में मूक-बधिर बच्चों का टोटा। शानदार है सुविधाएं



आमतौर पर यहीं शिकायत मिलती है कि सरकारी संस्थानों में समुचित सुविधाएं नहीं होती, जिसकी वजह से ऐसे संस्थानों में रहने वाले लोग परेशान होते है। लेकिन इस धारणा के उलट अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र में मूक बधिर और नेत्रहीन बच्चों का एक आवासीय विद्यालय संचालित हो रहा है। सरकार ने 2 करोड़ रुपए की लागत में शानदार भवन बनाकर दिया है और अब इस विद्यालय का संचालन सामाजिक संस्था अपना घर के द्वारा किया जा रहा है। एक वर्ष पहले विद्यालय भवन का उद्घाटन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया था। 15 दिसम्बर को एक वर्ष पूरा होने पर विद्यालय परिसर में एक सादा समारोह आयोजित किया गया। समारोह में मुझे तथा दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण के संपादक डॉ.रमेश अग्रवाल को आमंत्रित किया गया। हमने विद्यालय की पहली वर्षगांठ पर बच्चों को मिठाईयां दी। सर्दी के मौसम में स्वेटर भी बच्चों को वितरित किए गए। इस विद्यालय का संचालन करने वाले सोमरत्न आर्य, विष्णुप्रकाश गर्ग, विनय पाथरीया आदि ने हमें बताया कि फिलहाल इस विद्यालय में पांचवी कक्षा तक के बच्चें पढ़ रहे हैं। विद्यालय की क्षमता 100 बच्चों की है लेकिन अभी 50 मूक बधिर और नेत्रहीन बच्चें ही अध्ययन करते हैं। हमने देखा कि विद्यालय परिसर में शानदार सुविधाएं उपलब्ध थी। बच्चों के बैठने के लिए कक्षा में टेबल कुर्सी के साथ-साथ मूक बधिर बच्चों को पढ़ाने के काम आने वाली पाठ्य सामग्री उपलब्ध थी। सभी कक्षाएं और विद्यालय परिसर साफ-सुथरा नजर आया। विद्यालय को चलाने वालों ने बताया कि फिलहाल सरकार से कोई सहायता नहीं ली गई है क्योंकि सारा खर्चा जन सहयोग से ही किया जा रहा है। हमने देखा कि बच्चों के कमरे भी साफ-सुथरे थे। पलंग पर चार इंच मोटे गद्दे और चद्दर, तकिया आदि बिना किसी गंदगी और खराबी के थे। आमतौर पर सरकारी विद्यालयों में ऐसी सुविधाएं देखने को नहीं मिलती है। विद्यालय में यदि कोई कमी थी तो वह बच्चों की संख्या थी। संचालकों ने कहा कि जो अभिभावक आर्थिक दृष्टि से अपने मूक-बधिर और नेत्रहीन बच्चों को घर पर रखने में असमर्थ हैं, वे अपने बच्चों को इस आवासीय विद्यालय में छोड़ सकते हैं। यहां पूरी तरह पारिवारिक माहौल है और इन विशेष बच्चों की हर कठिनाई का ध्यान रखा जाता है। किसी भी अभिभावक से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। 
कलेक्टर की पहल:
सरकार के इस आवासीय विद्यालय भवन को अपना घर संस्थान को सौंपने में जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक की भी सकारात्मक भूमिका रही है। 15 दिसम्बर को जैसे ही कलेक्टर को यह पता चला कि इस विद्यालय में पढऩे वाले कुछ बच्चे बोलने की कोशिश कर रहे हैं तो कलेक्टर ने तत्काल ही समाज कल्याण विभागके अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्पीच थैरेपी वाले विशेषज्ञों को विद्यालय में भेजा जाए। जिन बच्चों की उम्र के हिसाब से आवाज निकलने लगी है, उनकी आवाज को पूर्ण विकसित किया जाए। इसके साथ ही कलेक्टर ने जिले के उपखंड अधिकारियों से भी कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्र में मूक बधिर और नेत्रहीन बच्चों का पता लगाकर इस विद्यालय में भिजवावे। कलेक्टर ने कहा कि विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़ाने और सुविधाएं उपलब्ध करवाने में प्रशासन कोई कसर नहीं छोड़ेगा। 
हो सकते है आयोजन:
विद्यालय को चलाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले समाजसेवी सोमत्न आर्य और विष्णु प्रकाश गर्ग ने कहा कि यह विद्यालय कोटड़ा क्षेत्र में सेंट्रल एकेडमी स्कूल के निकट चल रहा है। विशाल विद्यालय परिसर बड़े हॉल व चौक, रसोई घर आदि ऐसी सुविधाएं भी हैं, जहां परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों की स्मृति में आयोजन कर सकते हैं। विद्यालय परिसर में पार्किंग की भी कोई समस्या नहीं है। यदि समृद्ध परिवार कोई आयोजन करते हैं तो विद्यालय में रह रहे बच्चों को भी आत्मबल मिलेगा। विद्यालय में छात्र-छात्राओं को अलग-अलग रखा जाता है। छात्राओं को होने वाली शारीरिक परेशानियों का समाधान भी प्रभावी तरीके से किया जाता है। इसके लिए शिक्षिकाओं को भी नियुक्त कर रखा है। मूक-बधिर बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेषज्ञ नियुक्त किए गए हैं। 

एस.पी. मित्तल)
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