Thursday 17 December 2015

तो ललित मोदी और वसुंधरा राजे में अब नहीं रही दुश्मनी।



16 दिसम्बर को रात आठ बजे जीटीवी के राजस्थान के न्यूज चैनल पर राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) में हुए ताजा बदलाव को लेकर एक लाइव कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में मैंने भी भाग लिया। मेरे सामने आरसीए के उपाध्यक्ष अमीन पठान और अन्य पदाधिकारी बैठे थे। मैंने यह जानना चाहा कि 15 दिसम्बर को न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्रा के समक्ष ललित मोदी के खिलाफि अश्विास प्रस्ताव को वापस लेने से पहले क्या ललित मोदी से कोई वार्ता हुई? पठान ने बहुत ही साफ गोई से स्वीकार किया कि मैंने मोदी से किसी भी प्रकार से कोई संवाद नहीं किया। पठान की इस साफ गोई से जाहिर था कि आरसीए की लड़ाई मोदी और अमीन पठान के बीच नहीं है। पठान तो मोहरा बने हुए हैं, लेकिन वे अपने दायित्व को ईमानदारी के साथ निभा रहे हैं। मैं यहां अमीन पठान की वफादारी और साफ गोई की प्रशंसा करने में कोई कंजूसी नहीं करुंगा। लेकिन इतना जरूर कहना चाहंूगा कि अब राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे और क्रिकेट के किंग रहे, ललित मोदी के बीच दुश्मनी नहीं रही है। मुझे नहीं पता कि राजे और मोदी के बीच फिर से पारिवारिक संबंध कायम हुए है या नहीं। लेकिन आरसीए के ताजा बदलाव से प्रतीत होता है कि दुश्मनी तो खत्म हो गई है। 
सब जानते हैं कि ललित मोदी इस समय इग्लैंड में है। एक समय था, जब राजे के पिछले कार्यकाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता सी.पी.जोशी का तख्ता पलट कर मोदी को आरसीए का अध्यक्ष बनाया था। लेकिन राजे के दूसरे शासन में एक वर्ष पहले मोदी को न केवल अध्यक्ष पद से हटा दिया गया, बल्कि बीसीसीआई तक ने मोदी पर गंभीर आरोप लगाए। मोदी पर शायद ही कोई आरोप बचा हो जो  न लगा हो इसे सियासत ही कजा जाएगा कि आरसीए के पदाधिकारियों ने एक बार फिर उसी ललित मोदी को अध्यक्ष स्वीकार कर लिया है। मोदी को लेकर वर्षाकालीन संसद सत्र में जोरदार हंगामा भी हुआ, लेकिन हो सकता है कि गुप्त समझौते के मुताबिक आने वाले दिनों में ललित मोदी स्वयं ही आरसीए के अध्यक्ष का पद छोड़ दें। शर्त के अनुसार ही एक बार मोदी का सम्मान वापस हो गया है, यानी मोदी को सार्वजनिक तौर पर अध्यक्ष मान लिया गया है। यह बात मोदी भी अच्छी तरह समझते हैं कि लंदन में बैठ कर आरसीए को नहीं चलाया जा सकता। मोदी की वजह से ही बीसीसीआई ने आरसीए को बेन कर रखा है। पिछले एक वर्ष से राजस्थान मेंअंतर्राष्ट्रीय स्तर का कोई मैच नहीं हो पाया। यहां तक कि जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में भी ताले लगने की नौबत आ गई है। ऐसे में प्रदेश के क्रिकेट और क्रिकेट खिलाडिय़ों दोनों का भारी नुकसान हो रहा है। लेकिन अब उम्मीद की जानी चाहिए कि राजस्थान क्रिकेट के दिन अच्छे आएंगे। इस मामले में सीएम वसुंधरा राजे के सकारात्मक रुख की भी प्रशंसा होनी चाहिए। राजे ने अपने स्वभाव के विपरीत दुश्मनी को खत्म करने की पहले की है। ताजा प्रकरण से प्रतीत होता है कि वसुंधरा राजे अब किसी भी स्तर पर कोई विवाद करने के पक्ष में नहीं है। 

(एस.पी. मित्तल)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment