Thursday 31 December 2015

क्या मुस्लिम धर्म अपनाने से सालोदिया के पाप धुल जाएंगे।



राजस्थान के सीनियर आईएएस उमराव सालोदिया ने 31 दिसम्बर को हिन्दू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म कबूल कर लिया है। मुस्लिम धर्म अपनाने का कारण सालोदिया ने स्वयं को राजस्थान का मुख्य सचिव नहीं बनाना बताया है। सीएम वसुंधरा राजे को लिखे पत्र में सालोदिया ने कहा कि यदि सी.एस.राजन का कार्यकाल 31 दिसम्बर को आगामी तीन माह के लिए नहीं बढ़ाया जाता तो सरकार को मुझे ही मुख्य सचिव बनाना पड़ता, क्योंकि मैं ही राजस्थान के आईएएस अफसरों मैं सीनियर हंू। मुझे सीएस पद से वंचित रखने के लिए ही राजन का एक्सटेंशन किया गया है। मुझे सीएस इसलिए नहीं बनाया जा रहा है, क्योंकि में दलित वर्ग से हंू। चुंकि मुस्लिम धर्म में जाति का कोई भेदभाव नहीं है, इसलिए मैं इस्लाम धर्म कबूल कर रहा हंू। सालोदिया ने इसके साथ ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का प्रस्ताव भी कर दिया है। 
सालोदिया  की सेवा निवृत्ति में मात्र छह माह का समय रहा गया है। सरकार किसे सीएस बनाए यह सीएम पर निर्भर करता है। कई बार अनेक सीनियर आईएएस को परे ढकेलते हुए जूनियर आईएएस को सीएस बना दिया जाता है। लेकिन सीएस के पद से वंचित रहने वाले आईएएस न तो धर्म बदलते हैं और न ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेते हैं। सरकार भी ऐसे आईएएस अफसरों का मान सम्मान करते हुए सीएस के समकक्ष के पदों पर नियुक्ति दे देती है। सवाल उठता है कि सीएस नहीं बनाए जाने पर सालोदिया ने जिस तरह धर्म बदला है, उससे क्या सालोदिया के पाप धुल जाएंगे? सब जानते हैं कि राजस्थान राजस्व मंडल के अध्यक्ष पद पर रहते हुए सालोदिया ने जो अनियमितताएं की उसकी जांच एसीबी कर रही है। सालोदिया चाहते थे कि सीएस बनकर एसीबी की जांचों पर पानी फेर दें। सालोदिया को अच्छी तरह पता है कि आईएएस का कवच हटने के बाद गिरफ्तारी तय है। आज सालोदिया स्वयं को दलित बताकर भेदभाव का आरोप लगा रहे है तो छह माह बाद जब गिरफ्तारी होगी तो मुसलान होने की वजह से भेदभाव करने का आरोप लगा देंगे। फिर राजनीतिक दल भी असहिष्णुता के मुद्दे से सालोदिया को जोड़ देंगे। पूरा प्रदेश जानता है कि आईएएस की सेवा में रहते हुए सालोदिया ने क्या कारनामे किए हैं। आज सालोदिया को स्वयं के दलित होने की पीड़ा सता रही है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कोई आईएएस भी दलित हो सकता है?
आईएएस की सेवा में रहते हुए न जाने स्वर्ण जाति के कितने प्रभावशाली लोग सालोदिया के सामने हाथ जोड़ कर खड़े रहे होंगे। सालोदिया जब भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे हुए तब दलित वर्ग याद आ रहा है, लेकिन क्या सालोदिया यह बता सकते हैं कि आईएएस की सेवा में रहते हुए कितने दलितों को राहत प्रदान की। अच्छा होता कि सालोदिया आईएएस रहते हुए दलितों को न्याय दिलवातेै। सब जानते हैं कि जब कोई दलित आईएएस बन जाता है तो वह स्वयं को राजा-महाराज से कम नहीं समझता है। यदि आईएएस बनने के बाद भी दलित स्वयं को दलित ही समझ कर अपने वर्ग के लोगों की समस्याओं का समाधान करवाए तो दलित समुदाय की स्थिति अपने आप मजबूत हो जाएगी। असल में सालोदिया ने आईएएस बनने के बाद दलितों से भेदभाव किया है। 
जहां तक इस्लाम धर्म कबूल करने का सवाल है तो कोई भी धर्म ऐसा नहीं है जो किसी गुनाहगार के गुनाह को माफ कर दे। धर्म हिन्दू हो, मुस्लिम हो या ईसाई हो। सभी धर्मों में एक सत्य है कि गुनाह की सजा तो मिलेगी ही। ऐसा नहीं हो सकता कि हिन्दू धर्म में गुनाह कर इस्लाम धर्म में जाने के बाद गुनाह अपने आप माफ हो जाएगा। जो गुनाह हिन्दू धर्म में किया है, उसकी सजा सालोदिया को इस्लाम धर्म में भी भुगतानी पड़ेगी। भारतीय संविधान के मुताबिक सालोदिया किसी भी धर्म में रह सकते हैं। सालोदिया चाहे तो इस्लाम धर्म के बाद ईसाई धर्म भी अपना सकते हैं। असल में सालोदिया ने अपने गुनाहों की वजह से बेवजह धर्म को बीच में घुसेड़ दिया है। 
(एस.पी. मित्तल)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment