Thursday 3 December 2015

पर हौंसला कम नहीं विमंदित बच्चों का। बांधा दोस्ती का धागा।



3 दिसम्बर को विश्व विकलांगता दिवस मनाया गया। इसके अंतर्गत विमंदित बच्चों ने विभिन्न तरीकों से अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया। इसी क्रम में अजमेर के मीनू मनोविकास मंदिर से जुड़े विमंदित बच्चों ने भी 3 दिसम्बर को मुझसे मुलाकात की। दफ्तर में आए बच्चों ने जिस प्रकार अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया, उससे लगा कि भले ही बच्चे विमंदित हो, लेकिन उनके हौंसले में कोई कमी नहीं है। वे भी सामान्य बच्चों की तरह आसमान की ऊंचाइयां छूना चाहते हैं। मंदिर संचालक राकेश कौशिक ने बताया कि दस वर्षीय वंशिका का मस्तिष्क कमजोर है, लेकिन डांस में वंशिका किसी से भी कम नहीं है। 11 वर्षीय हरीश भले ही साफ न बोलता हो, लेकिन हर बात में उसकी दखलंदाजी बता रही थी कि वह किसी से भी कम नहीं है। चिरंजीव जहां कागज की थैली बनाने का एक्सपर्ट है तो दीपेश फोटोस्टेट का कार्य मशीन पर कुशलता के साथ करता है। राकेश ने बताया कि विश्व विकलांगता दिवस पर इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समावेशीकरण की थीम दी है, इसके अंतर्गत विमंदित बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा दी जाती है। असल में जो विमंदित बच्चे कक्षा में बैठकर सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं, उनकी ग्रहण करने की क्षमता अपने आप ज्यादा हो जाती है। इसलिए उनकी संस्था अजमेर के निकट चाचियावास में समावेशीकरण की थीम पर विमंदित बच्चों को शिक्षा दे रही हैं। 
दोस्ती का धागा
मंदिर की बाल संसद की प्रधानमंत्री सलोनी ने मेरे हाथ पर दोस्ती का धागा बांधा। सलोनी सामान्य बालिका है, लेकिन वह बिना किसी भेदभाव के विमंदित बच्चों के साथ शिक्षा ग्रहण करती है। सलोनी का भी मानना है कि मेरे साथी विमंदित बच्चे किसी से भी कम नहीं है। 
(एस.पी. मित्तल)
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