अब जब जयपुर और कोटा के साथ-साथ राजस्थान से अजमेर को भी स्मार्ट सिटी के लिए चयन कर लिया गया है, तब नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा है कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाना आसान नहीं है। 8 दिसम्बर को यहां अजयमेरु प्रेस क्लब द्वारा आयोजित 'मीट द प्रेसÓ कार्यक्रम में गहलोत ने कहा कि स्मार्ट सिटी के अपने मापदंड हैं। यह विदेशी कल्चर है। विदेशों में नगर निगम के पास ही बिजली, पानी, कानून व्यवस्था, संचार, सड़क, शिक्षा आदि के अधिकार होते हैं। ऐसे में वहां का मेयर योजना के मुताबिक कार्यक्रमों की क्रियान्विति करता है, लेकिन वहीं अजमेर में तो सफाई के अलावा निगम के पास कोई कार्य है ही नहीं।
शहर की आबादी 6 लाख है और निगम के पास ठेका पद्धति से 1300 सफाई कर्मी हैं। मेयर ने पत्रकारों के समक्ष सवाल रखा कि 6 लाख लोगों द्वारा फेंके गए कचरे को 1300 कर्मचारी कैसे साफ कर सकते हैं? यह कहना बहुत आसान है कि शहर भर में गंदगी है, लेकिन में पूछना चाहता हंू कि इस गन्दगी के लिए जिम्मेदार कौन है? गली-मोहल्लाा, बाजार साफ रहें, क्या इसकी जिम्मेदारी आम नागरिक की नहीं है? गहलोत ने कहा कि अगले कुछ ही दिनों में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण का काम शुरू हो जाएगा।
कैसे बनेगा वॉक-वे:
सवाल दर सवाल से मेयर को कटघरे में खड़े करने वाले पत्रकारों के समक्ष ही गहलोत ने सवाल रख दिया। गहलोत ने बताया कि हेरिटेज सिटी की योजना के अंतर्गत 40 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए है। इसके अंतर्गत नया बाजार के अकबर का किला से लेकर गोल प्याऊ चौपड़, घी मंडी होते हुए जैन मंदिरों तक एक हेरिटेज वॉक-वे बनाना है। वॉक-वे भी ऐसा कि देशी-विदेशी पर्यटक सुगमता के साथ चल सकें और जगह-जगह आरामदायक बेंच लगी हो। गहलोत ने सवाल रखा कि अजमर में कोई व्यक्ति है जो भीड़ वाले नया बाजार क्षेत्र में हेरिटेज वॉक-वे का निर्माण करवा सके। बाजार के दुकानदार अपनी दुकानों के आगे दस-दस फिट अतिक्रमण कर लेते हैं। ऐसे में वॉक-वे कैसे बनेगा? उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि ुछ लोग विदेशों की नकल कर योजना तो बना देते हैं, लेकिन अजमेर जैसे शहर की भौगौलिक स्थिति को नहीं देखते।
हाईकोर्ट का सख्त रुख:
गहलोत ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि गल कांग्रेस के शासन में हाईकोर्ट में नगर निगम और शहरवासियों का पक्ष प्रभावी तरीके से नहीं रखा गया। मात्र 7 अवैध निर्माणों को लेकर एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में लगाई गई थी। लेकिन इस पर हाईकोर्ट का बेहद ही सख्त रुख सामने आया। बिना किसी भौतिक परीक्षण के 490 निर्माणों को अवैध मानकर हाईकोर्ट में सूची पेश कर दी। इतना ही नहीं आनासागर के भराव क्षेत्र को लेकर भी अनेक परेशानियां खड़ी हो गई है। उन्होंने माना कि किनारे से 250 मीटर की दूरी तक नगर निगम नक्शे स्वीकृत नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि तत्कालीन निगम प्रशासन सही तरीके से हाईकोर्ट में पक्ष रखता तो ऐसा सख्त रुख सामने नहीं आता। उन्होंने कहा कि मेयर का पद संभालने के बाद उनके सामने अनेक चुनौतियां हैं। लेकिन यदि शहरवासियों ने सहयोग किया तो अजमेर को स्मार्ट सिटी भी बनाएंगे और कानूनों के अंतर्गत सभी लोगों को राहत प्रदान करेंगे।
अस्थाई अतिक्रमण हटाएंगे:
गहलोत ने कहा कि मदार गेट, नया बाजार, केसरगंज, पड़ाव, कचहरी रोड, पी.आर.मार्ग आदि जिन भीड़ वाले बाजारों को नो वेंडर जोन घोषित कर रखा है। उन बाजारों में एक अभियान चलाकर ठेलेवालों और अस्थाई अतिक्रमणों को हटाया जाएगा। गहलोत ने कहा कि इस मामले में प्रेस का सहयोग जरूरी है, क्योंकि जब हम किसी ठेले वाले को हटाते हैं तो अखबारों में ही छपता है कि गरीबों पर अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे यह समझ में नहीं आता कि अतिक्रमणकारी को गरीब से क्यों जोड़ा जाता है। गहलोत ने कहा कि जिन ठेले वालों को हटाया जाएगा उनके लिए वैकल्पिक इंतजाम भी होंगे। उन्होंने बताया कि इन दिनों शहर भर में बिजली की भूमिगत केबल बिछाने का काम चल रहा है, इसके लिए सड़कों को खोदा जा रहा है, लेकिन संबंधित ठेकेदार को हिदायत दी गई है कि वह सड़क की मरम्मत का कार्य हाथों हाथ करें।
स्वागत और आभार:
इससे पहले अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल ने मेयर गहलोत का स्वागत किया तथा अंत में वरिष्ठ उपाध्यक्ष एस.पी.मित्तल ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार प्रताप सनकत ने किया, जबकि वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र चौहान, राजेन्द्र गुंजल, डॉ. अशोक मित्तल, सरवर सिद्दीकी नानक भाटिया, विनित जैन आदि ने माला पहनाकर गहलोत का स्वागत किया।
(एस.पी. मित्तल)
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