Saturday 5 December 2015

रेयान इन्टरनेशनल स्कूल में स्टडी के साथ स्पोट्र्स भी जरूरी



भारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तान रहे महेन्द्र सिंह धोनी, टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा जैसे अनेक नामी खिलाड़ी हैं। इन खिलाडिय़ों की कितनी शैक्षिक योग्यता है इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। प्रशंसक यह जानना भी नहीं चाहते कि धोनी और सानिया कितने पढ़े-लिखे हैं। यानि विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षा के साथ-साथ स्पोट्र्स का भी महत्व है। कुछ इसी उद्देश्य को लेकर अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र में चल रहे रेयान इन्टरनेशनल स्कूल में स्टडी के साथ-साथ स्पोट्र्स पर भी जोर दिया जा रहा है। स्कूल परिसर में पांच दिसम्बर को स्पोट्र्स का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में मेरे सहित अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, राजस्व मंडल के सदस्य मोहम्मद हनीफ (आईएएस), सीबीएसई के स्पोट्र्स ऑफिसर अभिमन्यु सिंह, बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ मैनेजर आरके जांगिड़ अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। कोई डेढ़ घंटे के समारोह में पुरस्कार देने के साथ-साथ विद्यार्थियों ने शारीरिक क्षमता के जो प्रदर्शन किए वह किसी भी कॉन्वेन्ट स्कूल से कम नहीं थे। हालांकि रेयान स्कूल भी एक बड़ा समूह है और देशभर में कोई डेढ़ सौ स्कूलों का संचालन हो रहा है लेकिन अजमेर के स्कूल का महत्व इसलिए है कि यह मात्र डेढ़ वर्ष पहले ही शुरू हुआ है। आज इस स्कूल में 1600 से भी ज्यादा बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। भले ही यह स्कूल अभी 7वीं क्लास तक ही हो, लेकिन स्कूल का स्टेण्डर्ड वाकई काबिले तारीफ है। स्कूल की प्रधानाध्यापिका मालिनी मलिक ने बताया कि जिलास्तर पर स्पोट्र्स की जो भी प्रतियोगिताएं होती है उन सब में स्कूल के बच्चे भाग लेते हैं और विजेता बनते हैं। स्कूल के प्रत्येक विद्यार्थी को रुचि के मुताबिक एक स्पोट्र्स का चयन करना अनिवार्य है। विशेषज्ञों के माध्यम से विद्यार्थियों को संबंधित स्पोट्र्स के गुर सिखाए जाते हैं। यही वजह है कि स्कूल के बच्चे कराटे में परफेक्ट नहीं हैं बल्कि तैरने में भी अव्वल हैं। स्कूल में नर्सरी कक्षा से ही प्रवेश दिया जाता है ताकि विद्यार्थियों को स्कूल के मापदण्डों के अनुरूप तैयार किया जा सके। बड़ी कक्षाओं में प्रवेश नहीं के बराबर है। चूंकि अजमेर में स्कूल अभी शुरूआती दौर में है। इसलिए बड़ी कक्षाओं में भी प्रवेश दिए जा रहे हैं लेकिन आने वाले वर्षों में सिर्फ नर्सरी कक्षा में ही प्रवेश दिया जाएगा। शहरवासियों ने रेयान स्कूल पर कितना भरोसा जताया है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि मात्र डेढ़ वर्ष में 1600 से भी ज्यादा विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। स्कूल की बिल्डिंग भी पर्यावरण के अनुरूप ही तैयार की गई है। कक्षाओं में समुचित प्रकाश और हवा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। स्कूल की यह परम्परा है कि आए हुए सभी अतिथियों को गिफ्ट में पौधे भेंट किए जाते हैं। पांच दिसम्बर को भी सभी अतिथियों को आकर्षक छोटे गमले में पौधे दिए गए।
स्मार्ट सिटी में योगदान:
समारोह में मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और राजस्व मंडल के सदस्य मोहम्मद हनीफ ने कहा कि अब जब अजमेर स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है तब रेयान इन्टरनेशनल जैसे स्कूल का महत्व और बढ़ गया है। हमने समारोह में आकर यह महसूस किया है कि यह स्कूल स्मार्ट सिटी के अनुरूप ही संचालित हो रहा है।
अभिभावकों की भूमिका:
विद्यार्थियों के साथ अभिभावकों की सक्रियता भी बनी रहे इसका ध्यान भी स्कूल प्रबंधन की ओर से रखा जाता है। समारोह में विद्यार्थियों के माता-पिता के लिए भी दौड़, साफा प्रतियोगिता आदि के आयोजन किए।
आंगस्टाइन पिन्टो का है आइडिया:
रेयान इन्टरनेशनल स्कूल को देश भर में संचालित करने का आइडिया आंगस्टाइन एफ पिन्टो का है। वर्ष 1976 में पिन्टो ने मुम्बई में प्रथम स्कूल की स्थापना की थी। आज देशभर में करीब डेढ़ सौ स्कूलें पिन्टो के आइडिया पर ही संचालित हो रही हैं। स्कूल का हर कार्यक्रम प्रभु ईसा मसीह की प्रार्थना के साथ होता है। इस प्रार्थना में स्वयं तथा सम्पूर्ण समाज की सफलता की दुआ की जाती है। स्कूल का अपना गीत भी है। स्कूल को आधुनिक रूप देने में प्रबंध निदेशक मैडम ग्रेस पिन्टो की भी खासी भूमिका है।
(एस.पी. मित्तल)
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