Tuesday 5 May 2015

अजमेर में सीईओ के लिए भाषा बनेगी बाधा

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अजमेर नगर निगम के बिगड़े हालात सुधारने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारी एच. गुइटे को सीईओ नियुक्त किया है। सीईओ का पद संभालने के बाद गुइटे ने अपना जोश भी दिखाया है। जैसा आमतौर पर हर नया अधिकारी दिखाता है। गुइटे  निगम के मकडज़ाल में उलझेंगे या निगम से मकडज़ाल की सफाई कर देंगे, यह आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल सबसे बड़ी समस्या भाषा को लेकर है। गुइटे  मणिपुर के निवासी है, उन्हें मणिपुरी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान है। गुइटे  को टूटी-फुटी हिन्दूी आती है। हिन्दी लिखना तो गुइटे  के लिए बेहद मुश्किल है। यही वजह है कि फाइलों पर अंग्रेजी में ही नोटिंग हो रही है। गुइटे जो अंग्रेजी लिख रहे हैं, वह निगम के कर्मचारियों की समझ में नहीं आ रही है और कर्मचारी जो हिन्दी लिख रहे वह गुइटे  की समझ से परे है। निगम के पार्षदों को भी अपनी बात समझाने में फिलहाल परेशानी हो रही है। जहां तक गुइटे  की योग्यता का सवाल है तो वर्ष 2010 में गुइटे का चयन आईएएस में हुआ था। तब उत्तर पूर्व के साथ राज्यों के समूह में गुइटे ने प्रथम तथा देशभर में 33वां स्थान प्राप्त किया था। आईएएस की मैरिट में 33वां रैंक आने की वजह से ही गुइटे को राजस्थान का कैडर मिला। गुइटे मात्र 23 साल की उम्र में ही आईएएस बन गए। दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई के बाद गुइटे ने आईएएस की परीक्षा दी थी। ये देखना होगा कि गुइटे अपनी भाषा से अजमेर में किस प्रकार तालमेल बैठाते हैं। नगर निगम से आम नागरिकों का सीधा वास्ता होता है। अजमेर को हैरिटेज और स्मार्ट सिटी बनाने के मद्देनजर भी गुइटे की नियुक्ति महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है। अगस्त माह में नगर निगम के चुनाव भी होने हैं। देखना होगा कि इन सब चुनौतियों का गुइटे किस प्रकार से मुकाबला करते हैं। गुइटे की नियुक्ति से अजमेर के राजनेताओं को पूरी तरह दूर रखा गया है। अजमेर का कोई भी ये राजनेता ये दावा नहीं कर सकता है कि उसकी सिफारिश पर गुइटे की नियुक्ति हुई है। जानकारी के मुताबिक मुख्य सचिव सी.एस.राजन और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विचार विमर्श के बाद ही गुइटे की नियुक्ति की गई है। 
(एस.पी. मित्तल) (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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