Thursday 7 May 2015

समाज में बाल साहित्य जरूरी

बाल साहित्यकार मनोहर शर्मा को दी श्रद्धाजंलि
इंटरनेट और टीवी संस्कृति के चलते बच्चों के मन में जिस प्रकार विकृतियां आ रही है, उसमें बाल साहित्य की सख्त जरुरत है। ऐसा साहित्य जो बाल मन में सद्विचार पैदा कर सके। 7 मई यहां इंडोर स्टेडियम में सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार मनोहर वर्मा के निधन पर आयोजित श्रद्धाजंलि सभा में वक्ताओं ने कहा कि स्वर्गीय वर्मा ने समाज को एक मजबूत बाल साहित्य दिया है। अपने जीवन काल में स्वर्गीय वर्मा ने करीब डेढ़ सौ पुस्तकें बाल मन पर लिखी है। वर्मा देश की प्रमुख बाल पुस्तकों के संपादक भी रहे और उन्होंने पहली बार बाल साहित्य में विज्ञान का प्रयोग किया है। उनका मानना रहा कि आज के दौर में जन्म लेने वाले बच्चे तीव्र बुद्धि के है। ऐसे में बाल साहित्य को विज्ञान से जोड़ा जाना चाहिए। वक्ताओं की राय थी कि वर्मा ने जो पुस्तकें लिखी है उनका संरक्षण किया जाए और एक ऐसी योजना बनाई जाए जिसमें पुस्तकों को बच्चों तक प्रभावी तरीके से पहुंचाया जाए। वर्मा का बाल साहित्य आज के समाज में बेहद जरूरी है। सभा में सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.बद्रीप्रसाद पंचोली, एडवोकेट रमेश सक्सेना, रमेश अग्रवाल,डॉ.संदीप अवस्थी, कवि रासबिहारी गौड, उमेश चौरसिया, संतोष गुप्ता, राजेन्द्र गुंंजल, विष्णु शर्मा, अरुण शर्मा, सोमरत्न आर्य, ललित शर्मा आदि ने विचार रखे। सभा का संचालन डॉ.अनंत भटनागर ने किया। अंत में दो मिनट का मौन रखकर स्वर्गीय वर्मा को श्रद्धाजंलि दी गई।
(एस.पी. मित्तल) (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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