Thursday 14 May 2015

अवैध निर्माण पर पार्षद और अधिकारियों पर क्यों नहीं होती कार्यवाही



अजमेर शहर में 14 मई को भी अवैध कॉम्प्लेक्सों, दुकानों एवं अन्य निर्माणों को सीज करने का काम जारी रहा। हालांकि अवैध निर्माणकर्ताओं की ओर से 15 मई को अजमेर बंद की घोषणा की गई है, लेकिन इस घोषणा की परवाह किए बगैर निगम के सीईओ एच.गुइटे ने अजमेर दक्षिण क्षेत्र की विधायक और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल के निर्वाचन क्षेत्र में आने वाले अवैध निर्माण सीज कर दिए हैं। लगातार हो रही इस कार्यवाही से अवैध निर्माणकर्ताओं में रोष व्याप्त है। सवाल उठता है कि क्या ऐसे निर्माण एक या दो महीन में हो गए? सब जानते हैं कि ऐसे निर्माण 2-3 साल में पूरे होते हैं।
इन अवैध निर्माणों के बारे में क्षेत्र के पार्षद और नगर निगम के अधिकारियों को अच्छी तरह पता होता है,इसलिए निर्माणकर्ताओं को नोटिस भी दिए जाते है। नोटिस के बाद भी यदि तीन-चार मंजिला भवन बनकर तैयार हो जाए तो क्या क्षेत्र के पार्षद और निगम के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? कोई पार्षद और अधिकारी यह नहीं कह सकता कि उनकी जानकारी के बिना निर्माण हो गया है, सब जानते हैं कि अवैध निर्माणकर्ता इन अधिकारियों और पार्षदों को किस प्रकार संतुष्ट करता है। जो पार्षद अपने चुनाव में 20-20 लाख रुपए खर्च करते है, क्या वे अपने क्षेत्र में अवैध निर्माण को ऐसे ही हो जाने देंगे? कई बार तो ऐसे मामले भी सामने आए है, जिसमें पार्षद ने पहले अवैध निर्माण की लिखित मे ंशिकायत की और फिर जब निर्माणकर्ता पार्षद के घर पहुंच गया, तो उसी पार्षद ने निगम कार्यालय जाकर अवैध निर्माणकर्ता की पैरवी की। जब संबंधित पार्षद ही अवैध निर्माण की पैरवी कर रहा है, तो फिर निगम के अधिकारी अल्ला की गाय कैसे बने रह सकते हैं। अधिकारियों ने भी सांड की भूमिका निभाते हुए गायों से भी ज्यादा चारा खाया है। अब जब अवैध निर्माण सीज हो रहे हैं, तो गाय और सांड गौशालाओं में जाकर बैठ गए हैं। पार्षद और निगम के अधिकारियों की आपसी मिलीभगत से पूरे शहर का जो ढर्रा बिगड़ा है, उसमें इन दोनों वर्गों के लोगों के खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। 15 मई को हाईकोर्ट में भी इस मामले में सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट को भी चाहिए कि अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को भी मुल्जिम बनाया जाए। जब तक अधिकारियों और मददगार पार्षदों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होगी, तब तक अवैध निर्माण नहीं रुकेंगे। निगम के सीईओ गुइटे अभी नए अधिकारी हैं, आईएएस की सेवा में उन्हें मुख्य सचिव स्तर तक जाना है। अजमेर की जनता को उम्मीद है कि गुइटे गायों और सांडों की तरह चारा नहीं खाएंगे। जहां तक राजनेताओं का सवाल है तो गुइटे ने अब तक समझदारी ही दिखाई है। गुइटे ने उत्तर और दक्षिण विधानसभा क्षेत्रों में बराबर बराबर अवैध निर्माण सीज किए हैं। ताकि शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी यह नहीं कह सके कि सिर्फ उन्हीं के उत्तर विधानसभा क्षेत्र में ही अवैध निर्माण सीज हो रहे हैं।
बंद का विरोध भी शुरू
अवैध निर्माणकर्ताओं की ओर से 15 मई को जो अजमेर बंद की घोषणा की गई है, उसका विरोध भी शुरू हो गया है। 14 मईको ऑटो रिक्शा में माइक लगाकर ऐलान किया गया कि 15 मई को सभी दुकानदार अपने प्रतिष्ठान खोले। पीएम नरेन्द्र मोदी ने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। ऐसे में अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्यवाही तो होनी ही चाहिए। वहीं दूसरी ओर अवैध निर्माणकर्ताओं की ओर से एक जुलूस भी निकाला गया। कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के बाद प्रशासन को एक ज्ञापन भी दिया है। यह अच्छी बात है कि अवैध निर्माणकर्ताओं के नेता मोहन लाल शर्मा और रमेश लालवानी यह मांग कर रहे हैं कि नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए। असल में अवैध निर्माणकर्ता ही यह बता सकते हैं कि उन्होंने सांडों और गायों को कितना चारा खिलाया है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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