Sunday 10 May 2015

बूंद-बूंद पानी को तरस रहा है पवित्र पुष्कर सरोवर

ट्यूबवेल से डाला जा रहा है पानी
अजमेर,(एस.पी.मित्तल): पुष्कर तीर्थ की पहचान ही जिस पवित्र सरोसर से है, वही सरोवर अब बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। भीषण गर्मी में जलदाय विभाग सरोवर के किनारे बने कुंडों में पानी भरकर जैसे-तैसे आस्था को बचाए हुए है।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पवित्र पुष्कर सरोवर की भराव क्षमता करीब चालीस फिट है, लेकिन यह सरोवर का दुर्भाग्य ही है कि इस समय मात्र चार फिट पानी ही शेष है। यह पानी भी तेजी से घट रहा है। जलदाय विभाग यहां सरोवर के किनारे बने कुंडों में पानी डाल रहा है, ताकि आने वाले श्रद्धालु कम से कम पूजा अर्चना तो कर सके। राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के अंतर्गत पुष्कर सरोवर में पानी के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए। निकट के पहाड़ों से सरोवर तक फीडर बनाए गए, ताकि बरसात का पानी सरोवर में आ सके। लेकिन राजनेताओं और अधिकारियों की सांठ-गांठ की वजह से प्रभावशाली व्यक्तियों ने बरसात के पानी के मार्ग में ही अतिक्रमण कर लिए, जिसकी वजह से इन फीडरों के माध्यम से बरसात का पानी सरोवर तक नहीं आ रहा है। चूंकि गत बार भी बरसात का पानी नहीं आया, इसलिए गर्मी शुरू होने के साथ ही सरोवर में पानी की किल्लत हो गई।  पुष्कर को तीर्थों का गुरु कहा जाता है, इसलिए चारों धामों की यात्रा के बाद श्रद्धालु पुष्कर भी आते हैं, लेकिन उनकी धार्मिक भावनाओं को उस समय ठेस लगती है, जब सरोवर में पूजा अर्चना के लिए पानी भी नहीं मिलता है।
कुंडों का बुरा हाल
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सरोवर के किनारे जो कुंंड बनाए गए हैं, उनका भी बुरा हाल है। कई कुंड क्षतिग्रस्त है तो कई गदंगी से भरे पड़े हैं। जो एक दो कुंड सही स्थिति में हंै, उन पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। कुंडों की सफाई का भी माकूल इंतजाम नहीं है। जलदाय विभाग सिर्फ कुंडों में ट्यूवेल के जरिए पानी डालने का काम करता है, जिस तेजी से सरोवर का जलस्तर घट रहा है, उसके मुकाबले में जलदाय विभाग ट्यूबवेल से पानी नहीं डाल पा रहा है। चूंकि जलदाय विभाग ने भी सरोवर के किनारे ही ट्यूबवेल खोद रखे हैं, इसलिए सरोवर के नीचे जमा पानी ही ट्यूबवेल से वापस कुंडों में आता है।
धड़ल्ले से खुद रहे हैं ट्यूबवेल
पुष्कर क्षेत्र को डार्क जोन घोषित कर रखा है। डार्क जोन के नियमों के मुताबिक ट्यूबवेल नहीं खोदे जा सकते हैं, लेकिन इसे राजनेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत ही कहा जाएगा कि अभी भी पुष्कर के आसपास ही नहीं बल्कि सरोवर के किनारे भी ट्यूबवेल खोदे जा रहे हंै। नगरपालिका के एक प्रभावशाली पार्षद ने सावित्री मंदिर रोड पर हाल ही में ट्यूबवेल खुदवाया है। सरोवर के किनारे बने घाटों पर सैकड़ों होटलें बनी हुई है, इन होटलों में भी ट्यूबवेल के पानी का ही उपयोग होता है।
घाटों पर हो रहे है निर्माण
राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के नियमों के तहत पुष्कर सरोवर की सौ मीटर की परिधि में कोई निर्माण नहीं हो सकता, लेकिन घाटों के किनारे स्थित होटलों में लगातार निर्माण कार्य होते हैं। पुराने मकान को तुड़वाकर होटल और गेस्ट हाउस का रूप दिया जा रहा है। इतना ही नहीं खुद नगर पालिका भी अपने स्वामित्व वाले बद्रीघाट पर बगीचे का निर्माण करवा रही है। इसके लिए बाकायदा 10 लाख रुपए का कार्य स्वीकृत किया गया है। गंभीर बात तो यह है कि पालिका ने इस निर्माण के लिए जिला कलेक्टर से कोई अनुमति नहीं ली है। घाटों पर निर्माण की स्वीकृति देने का अधिकार नगर पालिका के पास तो है ही नहीं। विशेष परिस्थितियों में जिला कलेक्टर से अनुमति ली जा सकती है, लेकिन बगीचे के निर्माण के लिए कलेक्टर से भी अनुमति नहीं ली है। जिला कलेक्टर को इतनी फुर्सत नहीं है कि वे नगर पालिका द्वारा कराए जा रहे अवैध निर्माण को रुकवावे।
ठेकेदारों की बाढ़
एक ओर पवित्र सरोवर में मात्र चार फिट पानी रह गया है, जो दूसरी ओर नगर पालिका में ठेकेदारों की बाढ़ आ गई है। भाजपा के कमल पाठक के अध्यक्ष बनने के बाद से आए दिन नए ठेकेदारों के लाइसेंस जारीकिए जा रहे है। इस बहती गंगा में सीईओ शशिकांत शर्मा भी डुबकी लगा रहे हंै। पुष्कर आने से पहले शर्मा ब्यावर नगर परिषद में नियुक्त थे। शर्मा ने अपने पहचान वाले ब्यावर के ठेकेदारों को भी बुला लिया है। गंभीर बात तो यह है कि ऐसे ठेकेदारों के पास कोई अनुभव भी नहीं है। मात्र 5000 की राशि जमा कराकर ठेकेदारी का लाइसेंस दिया जा रहा है। नगर पालिका के सभी कार्य अब चहेते ठेकेदार ही कर रहे हैं।
मर रहीं है मछलियां
जितनी तेजी से सरोवर का पानी कम हो रहा है, उतनी तेजी से ही सरोवर की मछलियां भी मर रही है। सरोवर में चने आदि खाद्य सामग्री डालने पर रोक लगी हुई है। इसका कारण यही है कि मछलियां ज्यादा खाद्य सामग्री खाने से भी मर जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी सरोवर के घाटों पर खुले आम चने आदि की खाद्य सामग्री बिक रही है। नगर पालिका इसलिए कोई कार्यवाही नहीं करती, क्यांकि सत्तारूढ़ भाजपा के पार्षदों के रिश्तेदार ही खाद्य सामग्री बेचने का काम कर रहे हैं। पार्षदों के परिचितों को रोकने की हिम्मत किसी में भी नहीं है। गत 3 मई को बुद्धपूर्णिमा के दिन जब देशभर में श्रद्धालु पुष्कर में पूजा अर्चना के लिए जमा हुए तो जमकर खाद्य सामग्री की बिक्री हुई, चूंकि बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री सरोवर में डाली गई, इसलिए अगले ही दिन हजारों मछलियां मर गई। कई घाटों पर तो लगातार मरी हुई मछलियों की बदबू आती रहती है।
चर्चा में है पालिका अध्यक्ष का जन्म दिन
एक और पवित्र सरोवर बूंद -बूंद पानी के लिए तरस रहा है, तो दूसरी ओर पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक ने पिछले दिनों माया नगरी मुम्बई में अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाया। जन्म दिन मनाने के लिए पालिका के भाजपा पार्षदों और उनके रिश्तेदारों को हवाई जहाज से जयुपर से मुम्बई ले जाया गया। 29 अप्रैल को मुम्बई पहुंचा पार्षदों का कुनबा 3 मई को हवाई जहाज से ही वापस लौटा। पाठक के जन्म दिन के जश्न को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। पार्षदों के कुनबे का जश्न उस समय सातवें आसमान पर पहुंच गया, जब पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत भी शामिल हो गए। हालांकि जन्मदिन के जश्न से भाजपा पुष्कर मंडल के पदाधिकारी नाराज हैं। इस संबंध में भाजपा के प्रदेश नेताओं को भी अवगत कराया गया है।
बन रही है योजना-रावत
पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत ने कहा कि सरोवर के घटते जलस्तर को लेकर सरकार चितिंत है। सरकार अब ऐसी येाजना बना रही है, जिसके अंतर्गत सरोवर का पानी जमीन के अंदर न जाए उन्होंने बताया कि बालू रेत होने की वजह से सरोवर में जमा पानी तेजी से नीचे चला जाता है। इस पानी को सतह पर ही रोकने के लिए योजना बनाई जा रही है। जो चैनल क्षतिग्रस्त हो गए है, उनकी मरम्मत का कार्य भी बरसात से पहले पूरा कर दिया जाएगा, ताकि बरसात में सरोवर में पर्याप्त मात्रा में पानी आ सके। इसके साथ ही सरोवर के पानी को साफ रखने के लिए फिल्टर प्लांट लगाए जाने की योजना है। वर्तमान में ट्यूबवेल के जरिए कुंडों में पानी डाला जा रहा है।
(एस.पी. मित्तल) (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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