Tuesday 19 May 2015

सरोवर को बचाने के लिए पुष्कर हुआ एक जुट

मैंने गत 12 मई को अपने ब्लॉग में 'बूंद-बूंद पानी को तरस रहा है पुष्कर सरोवरÓ शीर्षक से पुष्कर की दुर्दशा के बारे में लिखा था। इस पोस्ट पर पुष्कर के नागरिकों ने अपने-अपने नजरिए से सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया भी दी और पुष्कर में जो माहौल बना उसी का परिणाम है कि अब 24 मई को पूरा पुष्कर एकजुट होकर पवित्र सरोवर की धार्मिक आस्था और मर्यादा को बचाने के लिए सफाई का अभियान चलाएगा। पुष्कर के जागरुक लोगों ने यह तय किया है कि सरोवर से जुड़े फीडर (बरसाती नाला) की सफाई का काम किया जाएगा। वर्तमान में यह फीडर जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है तथा गन्दगी भरी पड़ी है। जंगली पेड़-पौधों के साथ-साथ मरे जानवर भी बड़ी संख्या में फीडर में भरे पड़े हैं।
चूंकि फीडर में गन्दगी है। इसलिए बरसात के दौरान पानी आने से परेशानी होगी। फीडर की सफाई का काम जिला प्रशासन और नगर पालिका का है, लेकिन सरकार की यह दोनों ही संस्थाएं अभी जागरुक नहीं हुई हंै। इसलिए पुष्कर के जागरुक लोगों ने ही सफाई का बीड़ा उठाया है। इन दिनों पुष्कर में जो जागृति पनपी है, उससे प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में प्रशासन और पालिका भी सक्रिय होगी। जागरुक लोगों का कहना है कि पुष्कर की धार्मिक आस्था और मर्यादा को बचाने के लिए कोई राजनीति नहीं होने दी जाएगी। पुष्कर के लोग भले ही किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हों, लेकिन पुष्कर के लिए सब एक जुट हैं।
बरसात का पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं आने की वजह से ही सरोवर के हालात बद से बदत्तर होते जा रहे हैं। घाटों के किनारे पर जो कुंड बनाए गए हैं, उनमें ट्यूबवैल के जरिए पानी डाला जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त पुष्कर का धार्मिक महत्त्व पवित्र सरोवर की वजह से ही है, लेकिन इन दिनों यह सरोवर अपने वजूद को लेकर चिंतित है। राज्य और केन्द्र सरकार ने करोड़ों रुपए सरोवर संरक्षण के नाम पर खर्च कर दिए हंै, लेकिन इसके बावजूद भी पवित्र सरोवर को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। जिस भी राजनीतिक दल की सरकार बनती है, वह वादे तो बहुत करती है, लेकिन सरोवर की दशा सुधार नहीं पाती है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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