Friday 1 May 2015

बेटी बचाओ, पर बेटे के जन्म पर ऐतराज क्यों

योग गुरु बाबा रामदेव की पुत्रबीजक दवा को लेकर 30 अप्रैल को मैंने एक ब्लॉक लिखा था, इस पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के दमदार अफसर रहे आर.एन.अरविंद ने फेसबुक पर टिप्पणी भी की। ब्लॉक में मैंने जेडीयू के सांसद के.सी.त्यागी के उठाए मुद्दे उजागर किए थे। अरविंद साहब का यह कथन सही है कि पुत्र बीजक आयुर्वेद की औषधि का नाम है। इसे सिर्फ पुत्र जन्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, हालांकि इस मुद्दे पर बाबा रामदेव की पतंजलि पीठ से भी सफाई आ गई है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या बेटी के साथ साथ बेटे का जन्म नहीं होना चाहिए? जो लोग कोख में ही बेटी को मार देते हैं, उन्हें तो फांसी पर चढ़ाया ही जाना चाहिए, लेकिन बेटे के जन्म पर ऐतराज भी नहीं होना चाहिए। जेडीयू के सांसद के.सी.त्यागी ने पुत्र बीजक दवा का मुद्दा उठाकर यह जाहिर किया कि इससे पीएम नरेन्द्र मोदी का बेटी बचाओ अभियान प्रभावित हुआ है। त्यागी को एक अनुभवी सांसद माना जाता है, लेकिन बाबा रामदेव पर हमला करने के लालच में जिस तरह से पुत्रबीजक के मुद्दे को उठाया गया, उससे जाहिर होता है कि सांसद त्यागी बेटे का जन्म चाहते ही नहीं है। यह सोच समाज को गलत दिशा में ले जाने वाली है। समाज में जितना महत्त्व बेटियों का है, उतना ही बेटों का है। त्यागी के मुद्दे का समर्थन सपा सांसद और अपने  जमाने की फिल्म अभिनेत्री रही जया बच्चन ने भी किया। जया बच्चन स्वयं बताए कि जब  उनके घर में भी बेटी थी, तो उन्होंने अपनी बेटी को फिल्मों में क्यों नहीं आने दिया। जया बच्चन ने बेटी के बजाए बेटे अभिषेक बच्चन को अभिनेता बनाने का प्रयास किया। इसी प्रकार कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी भी अपनी बेटी प्रियंका के मुकाबले बेटे राहुल गांधी को ही राजनीति में फिट करने का रात-दिन प्रयास कर रही है। यानि जो लोग संसद में बेटियों के समर्थन में प्रवचन देते हैं, उनके घरों में बेटियों के मुकाबले बेटों का महत्त्व है। भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद की औषधियों का शुरू से ही महत्त्व है। राजा दशरथ को जब चार पत्नियों के बाद भी संतान का सुख  नहीं मिला, तब उन्होंने एक यज्ञ करवाया गया। जिसमें जड़ी बुटियों का उपयोग हुआ। यज्ञ के दौरान ही औषधियुक्त खीर तैयार हुई और उस खीर को राजा दशरथ की चारों पत्नियों को खिलाया गया। इस यज्ञ के बाद ही राजा दशरथ के जो पुत्र उत्पन्न हुए उनमें भगवान श्रीराम भी शामिल थे। इतना ही नहीं लंका में रावण के साथ युद्ध करते समय जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए तो हनुमान जी जो पहाड़ लाए, उसमें उगी संजीवनी बूटी को सूंघाने से ही लक्ष्मण को होश आया था। आज भी दुनियाभर में भारत की आयुर्वेद पद्धति पर शोध हो रहे हैं। हालांकि बाबा रामदेव की ओर से कहा गया है कि पुत्र बीजक दवा बांझपन को दूर करने के लिए है, लेकिन यदि एक बार यह भी मान लिया जाए की बाबा की दवा खाने से पुत्र की प्राप्ति होती है तो इसमें क्या ऐतराज है, क्या हमें बेटे नहीं चाहिए? अब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नढ्ढा ने कहा कि इस मामले की जांच करवाई जाएगी। समझ में नहीं आता कि नढ्ढा किस बात की जांच करवाएंगे। अच्छा हो कि सभी लोग मिलकर बेटी बचाओं अभियान को गंभीरता के साथ चलाए, ताकि समाज में जो लिंग अंतर बढ़ रहा है, उसे रोका जा सके। अलबत्ता इतना जरूर है कि सांसद त्यागी के इस मामले को उठाने के बाद बाजार में बाबा रामदेव की पुत्रबीजक दवा की बिक्री रातोंरत बढ़ गई है।
(एस.पी. मित्तल) (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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