Monday 8 February 2016

आखिर हटना पड़ेगा बुलंद शहर की तेज तर्रार डीएम चन्द्रकांता को।



आजम खान भी बना सकते हैं सीएम अखिलेश पर दबाव। अजमेर डीएम ने दिखाई सहनशीलता।
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उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की डीएम बी.चन्द्रकांता इन दिनों मीडिया खासकर सोशल मीडिया में छाई हुई हैं। ताजा मामला एक युवक को जबरन सेल्फी लेने के कारण जेल भेजने का है। डीएम ने किन परिस्थितियों में सेल्फी लेने वाले युवक को जेल भेजा, इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, क्योंकि यह मामला एक महिला अफसर की निजता से जुड़ा हुआ है। यह सही है कि यदि आप किसी महिला के साथ सेल्फी लेना चाहते हैं तो उसकी सहमति होना जरूरी है। लेकिन देश और खासकर यूपी के जो हालात हैं, उसमें मेरा मानना है कि डीएम ने फराज नाम के युवक को धारा 151 में जेल भेजकर विवेकपूर्ण निर्णय नहीं लिया। चन्द्रकांता स्वयं महसूस कर रहीं होंगी कि किस तरह अब उनके खिलाफ सरकार मे माहौल बन रहा है। 
चन्द्रकांता को यह समझना चाहिए कि यूपी में भले ही अखिलेश यादव सीएम हों, लेकिन शासन प्रशासन में नगरीय विकास मंत्री आजम खान की चलती है। आजम खान यह कभी नहीं चाहेंगे कि उनकी सरकार का कोई डीएम मामूली बात पर एक युवक को जेल भेज दे। अगले कुछ ही दिनों में चन्द्रकांता महसूस करेंगी कि उन्हें बुलंदशहर के डीएम के पद से हटाने का अभियान शुरू हो गया है। इस मामले में सबसे अहम भूमिका ताकतवर मंत्री आजम खान की सामने आएगी। जहां तक इसी मुद्दे पर दैनिक जागरण के बुलंदशहर के प्रभारी सुमन का सवाल है तो प्रतीत होता है कि सुमन और आहत और पीडि़त चन्द्रकांता ने कुछ ज्यादा ही कह दिया। सुमन ने बहुत विनम्रता के साथ पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए फराज को जेल भेजने पर प्रतिक्रिया चाही थी। लेकिन चन्द्रकांता ने पत्रकार को ही सलाह दे दी कि वह अपनी पत्नी और बहन की सेल्फी खिंचवा कर दिखाए। हो सकता है कि युवक फराज के जबरन सेल्फी लेने से चन्द्रकांता गुस्से में हो, लेकिन जिस पद पर चन्द्रकांता बैठी हैं, उसमें यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपना व्यवहार संयम से प्रदर्शित करें। यह माना कि कोई भी व्यक्ति अपने परिवार की महिला की जबरन सेल्फी खींचने से गुस्से में आएंगे ही, लेकिन डीएम जैसे पद पर बैठे व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह परिस्थितियों के अनुसार निर्णय करें। 
चन्द्रकांता अपनी सख्त और ईमानदारी छवि की वजह से पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चित हैं। लेकिन अब चन्द्रकांता ने एक साथ दो मोर्चे खोल लिए हैं। फराज को जेल भेजने के साथ-साथ जागरण जैसे समाचार पत्र से भी विवाद कर लिया है। यदि जागरण के प्रबंधकों ने ताकत लगाई तो भी चन्द्रकांता को बुलंदशहर से जाना होगा। आने वाले दिनों में चन्द्रकांता अखिलेश सरकार के लिए परेशानी का सबब भी बन सकती हैं, क्योंकि सरकार  में बैठे अनेक लोग चन्द्रकांता को बुलंदशहर में ही डीएम बनाए रखने के पक्ष में होंगे। 
अजमेर की डीम ने दिखाई सहनशीलता:
8 फरवरी को राजस्थान के अजमेर शहर की डीएम डॉ. आरुषि मलिक ने सहनशीलता का परिचय दिया। हुआ यंू कि अजमेर की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एक युवक की खुदकुशी के विरोध में 8 फरवरी को एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। चूंकि कलेक्ट्रेट के मुख्यद्वार पर पुलिस का सुरक्षा घेरा कमजोर था, इसलिए एनएसयूआई के कार्यकर्ता जबरन कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर घुस आए और कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक के कक्ष में घुसने का प्रयास करने लगे। इसमें से कुछ युवक अद्र्धनग्न अवस्था में थे। एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं की स्थिति को देखते हुए एएसपी विनीत बंसल ने आग्रह किया कि वे अद्र्धनग्न स्थिति में कलेक्टर मलिक के समक्ष न जाएं। लेकिन एनएसयूआई के छात्रों ने एक नहीं सुनी और कलेक्टर के कक्ष के दरवाजे को धकेलते हुए अंदर घुस गए। युवकों को अद्र्धनग्न स्थिति में देखकर एक बार तो कलेक्टर मलिक भी सकपका गई, लेकिन कलेक्टर ने परिस्थितियों को देखते हुए विवेक से काम लिया और एनएसयूआई के अद्र्धनग्न कार्यकर्ताओं से चुपचाप ज्ञापन ले लिया। साथ ही आश्वासन दिया कि उनके ज्ञापन को सरकार तक भिजवा दिया जाएगा। यदि 8 फरवरी को कलेक्टर मलिक सहनशीलता नहीं दिखाती तो हंगामा हो सकता था। 
(एस.पी. मित्तल)  (08-02-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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