Tuesday 23 February 2016

क्या राहुल गांधी छात्रों से देशद्रोह की आवाज ही सुनना चाहते हैं।

23 फरवरी को दिल्ली में छात्रों ने एक मार्च निकाला। यह मार्च हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मृतक छात्र रोहित वेमुला के समर्थन में निकाला गया। यूं तो यह मार्च रोहित के समर्थन में था, लेकिन मार्च शामिल विद्यार्थी और युवा 9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना को लेकर नारेबाजी कर रहे थे। साफ लग रहा था कि यह मार्च जेएनयू के उन छात्रों को बचाने के लिए है, जिन्होंने 9 फरवरी को खुलेआम देशद्रोह के नारे लगाए। इस मार्च को कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी संबोधित किया। राहुल ने पीएम नरेन्द्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि यह सरकार छात्रों की आवाज को दबा रही है। समझ में नहीं आता कि राहुल गांधी छात्रों की आवाज को कितना बुलंद करना चाहते हैं। जेएनयू में खुलेआम भारत की बर्बादी, पाकिस्तान की खुशहाली, कश्मीर की आजादीआदि के देशद्रोह के नारे लग रहे हैं और राहुल गांधी कह रहे हैं कि छात्रों की आवाज को दबाया जा रहा है। 
अब राहुल गांधी की बताएं कि छात्रों की आवाज में क्या सुनना चाहते हैं। राहुल गांधी भी जानते हैं जिन छात्रों ने देशद्रोह के नारे लगाए, उनमें से अनेक जेएनयू के कैम्पस में छुपे हुए हैं। जिस सरकार पर छात्रों की आवाज दबाने का अरोप राहुल लगा रहे हैं, उस सरकार की पुलिस की हिम्मत नहीं कि वह जेएनयू के कैम्पस में घुस कर आरोपी छात्रों को गिरफ्तार कर ले। यह माना राहुल गांधी विपक्ष में हैं और उनका काम सरकार की आलोचना करना है, लेकिन विपक्ष के नेता के साथ-साथ राहुल गांधी भारत के नागरिक भी हैं। भारत का नागरिक होने के नाते राहुल गांधी को उन लोगों का समर्थन नहीं करना चाहिए जो देशद्रोह के आरोपी हैं। अच्छा हो कि राहुल गांधी उन छात्रों को गिरफ्तार करवाने में मदद करें, जिन्हें पुलिस तलाश रही है। राहुल गांधी को यह भी याद रखना चाहिए कि देश की एकता और अखंडता के लिए ही उनके पिता राजीव गांधी और दादी श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्बानी दी थी। 
 (एस.पी. मित्तल)  (23-02-2016)
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