Saturday 6 February 2016

न मुख्यमंत्री और न गृहमंत्री ने रीट परीक्षा पर की चर्चा। बीएड के विद्यार्थी भी बनेंगे वीक्षक।


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समझ में नहीं आता कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान में चलने वाली भाजपी की सरकार प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के प्रति क्या नजरिया रखती है। 7 फरवरी को प्रदेश भर में शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) हो रही है। इस परीक्षा में 8 लाख 75 हजार अभ्यर्थी भाग लेंगे। यानि प्रदेश का हर परिवार किसी ना किसी रूप में इस परीक्षा में जुड़ा हुआ है। लेकि इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि इस परीक्षा को लेकर न तो मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और न गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने कोई चर्चा की है। चूंकि इस परीक्षा को अजमेर स्थित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड करवा रहा है। इसलिए परीक्षा का केन्द्र बिन्दु अजमेर बना हुआ है। 5 फरवरी को गृहमंत्री कटारिया ने शिक्षा बोर्ड के परिसर में ही अजमेर और नागौर के पुलिस प्रशासन को लेकर बैठक ली लेकिन रीट परीक्षा को लेकर कटारिया ने कोई चर्चा अथवा विचार-विमर्श नहीं किया। इसी प्रकार 6 फरवरी को मुख्यमंत्री राजे ने अजमेर किशनगढ़ के बीच बनी थ्री स्टार होटल हैलीमैक्स में संभाग स्तरीय बैठक ली। लेकिन इस बैठक में भी रीट परीक्षा पर कोई चर्चा नहीं हुई।
मुख्यमंत्री और गृहमंत्री किस मुद्दे पर चर्चा अथवा विचार-विमर्श करे यह उनका व्यक्तिगत और प्रशासनिक मामला है लेकिन यदि प्रदेश की जनता के हित को देखा जाए तो मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से रीट पर चर्चा करना अपेक्षित है। गत माह जेल प्रहरी की परीक्षा को इसीलिए रद्द करना पड़ा क्योंकि परीक्षा से पहले ही प्रश्न पत्र आऊट हो गए थे। प्रदेश में बेरोजगारों को नौकरी देने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र भी आऊट होते रहे हैं। ऐसे में क्या सरकार का यह दायित्व नहीं बनता कि जिस परीक्षा में 8 लाख 75 हजार परिवार जुड़े हुए हों उस परीक्षा पर निगरानी की जाए? पूरा प्रदेश जानता है कि गत विधानसभा के चुनाव में वसुन्धरा राजे ने हर चुनावी सभा में शिक्षक पात्रता परीक्षा को मुद्दा बनाया था और अब जब यह परीक्षा आयोजित हो रही है तो मुख्यमंत्री इसकी कोई सुध नहीं ले रही हैं। यह तब है जब मुख्यमंत्री ने अजमेर आकर बैठक की है।
तैयारियों का बुरा हाल:
हालांकि शिक्षा बोर्ड अपने स्तर पर कोई कसर नहीं छोड़ रहा है लेकिन बोर्ड की यह मजबूरी है कि उसे सरकारी और प्राइवेट स्कूलों पर निर्भर होना पड़़ रहा है। प्राइवेट स्कूलों के मालिकों ने पैसे की लालच में अपने यहां परीक्षा केन्द्र बनाने की सहमति तो दे दी, लेकिन अब ऐसे प्राइवेट स्कूलों के सामने परीक्षा करवाना चुनौतिपूर्ण हो गया। गली कूचों में स्थित स्कूलों में वो ही शिक्षक काम करते हैं जिनकी सरकारी नौकरी नहीं लगी है। चूंकि अब सरकारी शिक्षक बनने के लिए रीट परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है इसीलिए प्राइवेट स्कूलों के आधे से ज्यादा शिक्षक 7 फरवरी को रीट परक्षा दे रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में परीक्षकों का टोटा पड़ गया है। भले ही मुख्यमंत्री और गृहमंत्री इस परीक्षा को लेकर गंभीर न हो लेकिन सच्चाई यह है कि 7 फरवरी को अनेक प्राइवेट स्कूलों में परीक्षक को तौर पर बीएड के विद्यार्थी खड़े मिलेंगे। हालांकि कुछ प्राइवेट स्कूलों के मालिकों ने ऐन मौके पर शिक्षा विभाग को परीक्षकों की कमी की सूचना दी है। ऐसी स्थिति में सरकारी शिक्षकों को प्राइवेट स्कूलों में परीक्षक के तौर पर नियुक्त किया जा रहा है। जिस अफरा- तफरी में यह सब काम हो रहा है उसको लेकर आशंकाएं भी व्याप्त हो गई हैं।
दो पारियों में होगी परीक्षा:
7 फरवरी को प्रदेश के 2065 परीक्षा केन्द्रों पर दो पारियों में रीट की परीक्षा होगी। पहली पारी प्रात: 10 से 12.30 तथा दूसरी 2.30 से सायं 5.00 बजे तक होगी। रेल और रोडवेज प्रशासन के अतिरिक्त व्यवस्थाएं कर अभ्यर्थियों को इधर से उधर लाने ले जाने की व्यवस्था की है।
पेपर आऊट होने की आशंका:
7 फरवरी को होने वाली रीट परीक्षा के प्रश्न पत्र उसी फर्म ने परीक्षा केन्द्रों पर भिजवाएं हैं जिस फर्म ने प्रश्न पत्र को छापकर लिफाफों में पैक किया है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए एसओजी और एटीएस जैसी जांच एजेंसियां सर्तक हो गई हैं। पूर्व में जिन परीक्षाओं के प्रश्न पत्र आऊट हुए उनका जांच भी इन दोनों एजेन्सियों के अधिकारियों ने की है। एसओजी ने तो जयपुर स्थित मुख्यालय पर रीट परीक्षा के लिए कन्ट्रोल रूम भी स्थापित कर दिया है। इन दोनों एजेन्सियों से जुड़े अधिकारी परीक्षा के इंतजामों पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल)  (06-02-2016)
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