Friday 19 February 2016

श्रीनगर में लगे थैंक्यू जेएनयू के नारे

देश के बहुचर्चित जेएनयू देशद्रोह के मामले में फरार चल रहे छात्र उमर खालिद के पिता ने 19 फरवरी को सनसनीखेज बयान दिया है। अमर के पिता सैय्यद कासीम इलियास ने कहा है कि मुसलमान होने के कारण उमर खालिद पर देश द्रोह का मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि 9 फरवरी को जेएनयू में जो कार्यक्रम हुआ था उसको लेकर एक पोस्टर छापा था। इस पोस्टर में जिन छात्रों के नाम दिए गए] उनमें उमर खालिद का नाम 7वें नम्बर पर था और अब उमर को पूरे मामले का मास्टर माइंड बताया जा रहा है।  इलियास ने कहा कि भले ही घर में भी उमर खालिद से हमारे विचार न मिलते हो,लेकिन मेरा बेटा देशद्रोही नहीं हो सकता। इसके साथ ही इलियास उमर से अपील की है कि वह फरारी काटने के बजाए सरेंडर करें, ताकि सच्चाई सामने आ सके। इसके साथ ही इलियास ने खालिद को सुरक्षा दिलाए जाने की मांग भी की। इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया का कोई भी पिता अपने बेटे का बुरा नहीं चाहेगा। भले ही अपने बेटे को बचाने के लिए उसे कुछ भी कहना पड़े। जेएनयू के मामले में सब जानते हैं कि देशद्रोह के जो नारे लगे, उसकी अगुवाई उमर खालिद ही कर रहा था।  इतना ही नहीं दस फरवरी को टीवी चैनलों के पैनल में भी उमर खालिद उपस्थित था। चैनलों पर भी उमर ने दो टूक शब्दों में कहा कि अफजल गुरु को भारत सरकार ने गलत तरीके से फांसी दी। उमर का यह भी कहना रहा कि संसद हमले में सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा गलत सुनाई है। 9 फरवरी को जेएनयू कैम्पस में देशद्रोह के नारे लगाने के बाद 10 फरवरी को भी चैनलों पर उमर खालिद को अपने कृत्य पर कोई अफसोस नहीं था। इस मामले में खुफिया एजेंसियों की भी रिपोर्ट है कि उमर खालिद ने ही देश की 18 यूनिवर्सिटीज में अफजल गुरु के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई थी।  
श्रीनगर में थैंक्यू जेएनयू के नारे लगे:
इधर दिल्ली में उमर खालिद को बचाने के हर संभव प्रयास हो रहे हैं तो उधर 19 फरवरी को कश्मीर के श्रीनगर में थैंक्यू जेएनयू के नारे खुलेआम लगाए गए। प्रदर्शनकारियों ने हमेशा की तरह आतंकी संगठन आईएस के झंडे लहराए और भारत विरोधी नारे लगाए। जो लोग जेएनयू की देशद्रोह की घटना को झुठलाने में लगे हुए हैं वे अब बताए कि श्रीनगर में थैंक्यू जेएनयू के नारे कौन लगा रहा है। क्या कश्मीर अलगाववादियों के तार जेएनयू से जुड़े हुए हैं। 
4 लाख निर्वासित हिन्दुओं की चिंता नहीं
9 फरवरी को जेएनयू में जिन लोगों ने भारत के टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाए, उनको बचाने के लिए अनेक लोग सामने आ गए है? यहां तक कि मीडिया का एक वर्ग भी ऐसी स्टोरी चला रहा है, जिसमें 9 फरवरी की सच्चाई को झूठलाया जा सके, लेकिन वहीं देश के उन चार लाख हिन्दुओं की किसी को भी चिंता नहीं है,जिन्हें अलगाववादियों ने कश्मीर से पीट-पीट कर भगा दिया। सब जानते हैं कि कश्मीर से हिन्दुओं को भगाने के लिए महिलाओं के साथ ज्यादती के कृत्य भी किए हैं। आज पूरा कश्मीर हिन्दू विहीन हो गया है। सवाल उठता है कि जब कुछ लोग देशद्रोहियों के समर्थन में आ सकते हैं तो फिर निर्वासित हिन्दुओं की चिंता क्यों नहीं की जा रही? आज भी कश्मीर से भगाए गए हिन्दू शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। कहने को केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है और कश्मीर में भाजपा के सहयोग से ही दूसरी बार पीडीपी की सरकार बनाने के प्रयास हो रहे हंै। कश्मीरी पंडित तो कश्मीर को आजाद करने की मांग भी नहीं कर रहे। इसे राजनीति का दुर्भाग्य कहा जाएगा कि कश्मीर पर वो लोग हावी हैं, जो उसे आजाद करवाना चाहते हैं। भाजपा की मजबूरी भी देखिए कि जेएनयू में कश्मीर की आजादी के लिए जो लोग नारे लगाते हैं, उन्हें तो देशद्रोही मानकर कार्यवाही की जाती है, तो वहीं कश्मीर में खुलेआम अलगाववादियों का समर्थन करने वाली पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार बनाने के लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इतना ही नहीं कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाने के अपने वायदे से भी भाजपा पीछे हट गई है। धारा 370 हटाने की बात तो हवा हो गई है। 

(एस.पी. मित्तल)  (19-02-2016)
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