Tuesday 23 February 2016

अभिव्यक्ति का मतलब देश की एकता, अखंडता को तोडऩा नहीं है।



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राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ राष्ट्रीय के महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता ने कहा है कि अभिव्यक्ति का मतलब देश की एकता और अखंडता को तोडऩा नहीं है। आज जो लोग जेएनयू की घटना को लेकर देशद्रोह के आरोपी छात्रों की पैरवी कर रहे हैं। वे असल में देश की एकता और अखंडता को आघात पहुंचा रहे हैं। 
23 फरवरी को अजमेर में सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में स्थानीय ईकाई की ओर से आयोजित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विषय की संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि जब राष्ट्र और देश ही नहीं रहेगा तो फिर अभिव्यक्ति का क्या मतलब होगा। 
डॉ. गुप्ता ने राष्ट्रीयता को सर्वोच्च स्थान देते हुए कहा कि विचारधाराएं अलग हो सकती हैं, परन्तु जब देश की बात आती है तो फिर देशहित सर्वोपरि होना चाहिए। जेएनयू में लगाए गए राष्ट्रविरोधी नारे एवं ऐसे विद्यार्थियों के पक्ष में लगातार हो रहे कार्यक्रम देश विरुद्ध है। उन्होंने पुरजोर शब्दों में कहा कि ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है एवं हम ऐसे शिक्षक संगठनों एवं विद्यार्थियों की देश को तोडऩे व बांटने वाली सोच की कठोर शब्दों में निन्दा करते है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि बुद्धिजीवी शिक्षक होने के नाते यह हमारा प्रमुख कर्तव्य है कि हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सही मायने समाज एवं छात्रों तक पहुंचाएं। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता उपाचार्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव ने की। विशिष्ट अतिथि उपचार्य डॉ. एस. के. देव. एवं डॉ. एल. सी. हेड़ा थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संगोष्ठी के विषय का परिचय डॉ. सुशील कुमार बिस्सु ने कराया। डॉ. बिस्सु ने जेएनयू में हो रहे देशद्रोही कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए वर्तमान सन्दर्भ में देश में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की पूर्णव्याख्या की बात कही। डॉ. बिस्सु ने कहा की अब देश की आजादी व अखंडता की सुरक्षा के लिए संकल्प लेने का समय आ गया है। भारत एक है और एक ही रहेगा।
संगोष्ठी में डॉ. मनोज अवस्थी ने भारतीय संविधान का उल्लेख करते हुए बताया कि संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है। 16वें संशोधन के बाद भारत की सम्प्रभुता और अखंडता के हित में पर्याप्त प्रतिबंधों का प्रावधान किया गया है। डॉ. एस. डी. मिश्रा ने विचार अभिव्यक्ति में ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का उल्लेख करते हुए जेएनयू के वर्तमान घटनाचक्र को पूर्णत: असंवैधानिक बताया। डॉ. सुनीता पचौरी ने कहा कि हमें परिवार, समाज एवं देश को मजबूत करने की आवश्यकता है। वर्तमान घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। डॉ. मनोज यादव ने कहा कि भारत की सैन्य सेवाओं में सेवा करना गर्व की बात है एवं जेएनयू में हो रही देशद्रोही गतिविधियां शहीदों की शहादत का अपमान है।
डॉ. कायद अली ने देश में विविधताओं में एक रहने की हमारी योग्यता की हमारी सुंदरता और हमारी सभ्यता का उदाहरण देते हुए राष्ट्र विरोधी कार्यक्रमों की कड़े शब्दों में निन्दा की। डॉ. एस. एम. चौधरी ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी भारत को बांटने की कोशिशों के लिए लाइसेन्स के रूप में प्रयोग में नहीं लायी जा सकती। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष उपाचार्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि देश की एकता व अखंडता में बाधा डालने वालों के खिलाफ एकजुट होकर जवाब देने का समय आ गया है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनूप आत्रेय ने किया। संगोष्ठी में महाविद्यालय के व्याख्याताओं के अतिरिक्त अभिभावक, अभिवक्ता, चिकित्सक, कलाकार, उद्यमी एवं शोधार्थी आदि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

 (एस.पी. मित्तल)  (23-02-2016)
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