Wednesday 12 April 2017

#2451
ईवीएम पर विपक्ष का एतराज बेबुनियाद। आखिर हार को स्वीकार क्यों नहीं कर रहा विपक्ष। 
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12 अप्रेल को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की। विपक्षी दलों ने मांग की कि भविष्य में देश में होने वाले चुनावों में कागज के मत पत्रों का इस्तेमाल किया जाए क्योंकि ईवीएम में गड़बड़ी हो रही है। ईवीएम की गड़बड़ी की वजह से ही यूपी के चुनावों में सभी विपक्षी दल हार गए और केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा की जीत हो गई। जिस तरह से यूपी में भाजपा की जीत हुई, उससे विपक्षी दलों का भरोसा ईवीएम पर से उठ गया है। विपक्षी दलों के ज्ञापन पर राष्ट्रपति मुखर्जी क्या निर्णय लेते हैं, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन ईवीएम की गड़बड़ी के आरोप बेबुनियाद प्रतीत हो रहे हैं। हाल ही के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को पंजाब में जीत मिली है, जबकि गोवा और मणिपुर में भाजपा विपक्षी दलों से पीछे रही है। असल में विपक्षी दलों को यूपी के परिणामों पर मंथन करना चाहिए। हार का ठीकरा ईवीएम पर फोडऩे के बजाय हार के कारणों का पता लगाना चाहिए। कांगे्रस, सपा, बसपा और अन्य दलों ने जिस तरह से राजनीति की, उसी का परिणाम रहा कि भाजपा को जीत मिली। जब पूरी दुनिया में मतदान की नई तकनीक को अपनाया जा रहा है, तब हमारे विपक्षी दल पुरानी मतपत्र वाली तकनीक को अपनाने की बात कह रहे हैं। विपक्षी दलों को यह समझना चाहिए कि यूपी में चुनाव की तैयारियां सपा सरकार की देखरेख में ही हुई। ऐसा नहीं कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के अफसरों को भेज दिया और फिर यूपी में चुनाव हुए हो। सीएम अखिलेश यादव ने जिन कलेक्टरों को नियुक्त किया, उन्होंने ही निर्वाचन अधिकारी बन चुनाव सम्पन्न करवाए। जो ईवीएम अखिलेश सरकार के अधिकारियों के कब्जे में थी, उनमें कौन गड़बड़ी कर सकता था? हमारी ईवीएम इंटरनेट से नहीं चलती है। हमारी ईवीएम तो बैट्री से चलती है और गड़बड़ी की संभावना नहीं के बराबर है। असल में विपक्षी दल अपनी हार को पचा नहीं पा रहे हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (12-04-17)
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