Sunday 23 April 2017

#2492
मंत्री और ब्राहमण समुदाय के विवाद में क्यों उलझ रही है निम्बार्क पीठ। आचार्यश्री की उपस्थिति के बाद भी नहीं बनी बात। 
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राजस्थान के शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी और ब्राहमण समुदाय के बीच जो विवाद चल रहा है, उसे निपटाने के लिए 22 अप्रेल को सलेमाबाद (अजमेर) स्थित निम्बार्क पीठ के परिसर में एक समझौता वार्ता हुई। इस वार्ता में पीठ के आचार्य जगदगुरू श्यामशरण महाराज भी उपस्थित रहे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आचार्यश्री ने कहा कि अब इस मामले को यहीं समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उम्मीद थी कि आचार्यश्री के निर्देंश के बाद दोनों पक्ष विवाद को खत्म करने की घोषणा कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वार्ता में मौजूद ब्राहमण संघर्ष समिति के योगेन्द्र ओझा, सुदामा शर्मा, राजीव शर्मा, लोकेश भिंडा, के.जी.जोशी, विवेक पाराशर, ओम प्रकाश जोशी आदि ने दो टुक शब्दों में कहा कि ब्राहमणों के अपमान के लिए जब तक मंत्री देवनानी लिखित में माफी नहीं मांगेगे, तब तक आन्दोलन चलता रहेगा। हालांकि निम्बार्क पीठ में वार्ता पर मंत्री देवनानी ने चुप्पी साध रखी है। देवनानी ने यह तो माना है कि वे आचार्यश्री के बुलावे पर निम्बार्क पीठ में गए थे। लेकिन यह नहीं बताया कि वार्ता का क्या निष्कर्ष निकला। देवनानी ने कहा कि वे निम्बार्क पीठ और उसके आचार्य श्यामशरण महाराज का बेहद सम्मान करते हैं। वे ऐसी कोई बात नहीं कहना चाहते, जिससे विवाद को बढ़ावा मिले। मैंने अपना पक्ष आचार्यश्री के समक्ष रखा है। सवाल उठता है कि जब दोनों ही पक्ष खासकर ब्राहमण समुदाय अपनी मांग पर अड़ा हुआ है तो फिर निम्बार्क पीठ को मध्यस्थता करने की क्या जरूरत है? निम्बार्क पीठ से देश के करोड़ों श्रद्धालुओं की श्रद्धा जुड़ी हुई है। निम्बार्क सम्प्रदाय में इस पीठ को बहुत ही सम्मान के साथ देखा जाता है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आचार्यश्री के दर्शन करने आते हैं। श्रद्धालु दर्शन मात्र से स्वयं को भाग्यशाली मानते हैं। ऐसे श्रद्धा और भावपूर्ण माहौल में यदि झगड़ालु पक्ष अपनी-अपनी जिद पर अड़े रहते हैं तो फिर पीठ को विचार करना चाहिए। 
माफी से इंकार :
शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी पहले ही माफी मांगने से इंकार कर चुके हैं। देवनानी का कहना है कि उन पर उस जुर्म का आरोप लगाया जा रहा है, जो उन्होंने किया ही नहीं। उन्होंने कभी भी ब्राहमण समाज को अपमानित करने वाला बयान नहीं दिया। उन्होंने हमेशा ब्राहमण समाज का सम्मान ही किया है। 
एस.पी.मित्तल) (23-04-17)
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