Saturday 29 April 2017

#2516
बुजुर्ग सास को तंग नहीं करने के लिए बहु को किया पाबन्द। अजमेर की अदालत का घरेलू हिंसा पर खास फैसला।
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आम तौर पर घरेलू हिंसा के प्रकरणों में सास, ससुर, ननद आदि को ही दोषी मानकर जेल भेजा जाता है, लेकिन इसी घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत स्त्री संरक्षण में बहू को पाबन्द किया गया है।  अजमेर के चन्दबरदाई नगर में बी ब्लॉक में रहने वाली श्रीमती गीता देवी ने एक वाद घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत ही न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम की अदालत में प्रस्तुत किया। इस वाद में कहा गया कि उसके बेटे का विवाह जयपुर निवासी राजेश कुमार की पुत्री शालिनी से वर्ष 2011 में हुआ था। विवाह के बाद से ही शालिनी हमारे पास अजमेर में नहीं रही। लेकिन अब धमकी दे रही है कि दहेज प्रताडऩा के झूठे मामले में फंसवा दूंगी। शालिनी हमारे चन्द्रवरदाई नगर वाले मकान पर आकर तंग कर रही है। इसमें शालिनी के पिता, भाई, रिश्तेदार आदि भी शामिल हैं। हालांकि इस वाद पर शालिनी की ओर से एतराज किया गया। लेकिन बुजुर्ग गीता देवी के वकील जिनेश सोनी ने तर्क दिया कि घरेलू हिंसा का अधिनियम सभी स्त्रियों को संरक्षण प्रदान करता है। चूंकि इस मामले में सास गीता देवी बहु की हिंसा से शिकार है, इसलिए अदालत से न्याय मिलना चाहिए। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट कृष्णा गुप्ता ने शालिनी शर्मा को पाबन्द किया कि वह श्रीमती गीता देवी पर किसी भी प्रकार से घरेलू हिंसा न करे और न ही गीता देवी को उसके मकान से बेदखल किया जाए। अदालत ने इस सम्बन्ध में सम्बन्धित पुलिस स्टेशन को भी सूचित किया है। इस प्रकरण की और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9461276899 पर एडवोकेट जिनेश सोनी से ली जा सकती है।  
(एस.पी.मित्तल) (29-04-17)
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