Wednesday 26 April 2017

#2506
अशोक गहलोत को महासचिव बनाते ही गुरूदास कामथ ने दे दिया इस्तीफा। तो क्या महाराष्ट्र को लेकर हाई कमान को ब्लैकमेल कर रहे थे कामत? 
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26 अप्रैल को जैसे ही राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव और गुजरात का प्रभारी नियुक्त किया, वैसे ही गुरुदास कामत ने राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान व गुजरात के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है कि कामत अपने गृह प्रदेश महाराष्ट्र को लेकर कांग्रेस हाईकमान को ब्लैकमेल कर रहे थे। गुजरात का प्रभारी पद छोडऩे की लगातार धमकी दे रहे थे। कामत की ब्लैकमेलिंग को देखते हुए ही हाईकमान ने 26 अपे्रल को सुबह ही गहलोत से सम्पर्क साधा और महासचिव पद के साथ-साथ गुजरात का प्रभारी बनने पर भी सहमति मांगी। गहलोत तो पहले से ही मौके की तलाश में थे, इसलिए तत्काल सहमति दे दी। सब जानते हैं कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कामत के दम पर ही गहलोत समर्थकों की उपेक्षा की। कामत ने राजस्थान में गहलोत के मुकाबले पायलट को स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कामत ने यहां तक कह दिया कि अगला विधानसभा का चुनाव पायलट के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। यानि कांग्रेस को बहुमत मिलने पर पायलट ही सीएम होंगे। कामत के इस बयान पर गहलोत ने यह कहकर पानी फेर दिया कि कांग्रेस में हाईकमान ही सीएम की घोषणा करता है। कई मौके पर गहलोत और कामत आमने-सामने नजर आए। जानकारों का मानना है कि हाईकमान ने कामत को सबक सिखाने के लिए ही गहलोत को एक साथ दो महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। हाईकमान का यह भी आंकलन है कि कामत तो कभी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन गहलोत बुरी से बुरी दशा में भी गांधी परिवार के वफादार बने रहेंगे। महासचिव के पद पर नियुक्ति होने के बाद गहलोत ने उदयपुर में कहा भी कि विपरीत परिस्थिति में जो नेता और कार्यकर्ता साथ रहेगा, वो ही आगे चलकर विधायक, सांसद, मंत्री और मुख्यमंत्री बनेगा। उन्होंने कहा कि आने वाला समय कांग्रेस का ही होगा।
पायलट को झटका : 
गहलोत के महासचिव बनने और कामत के हटने से राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को झटका माना जा रहा है। पायलट ने कामत के दम पर ही प्रदेश में संगठन पर मजबूत पकड़ बनाई, चुन-चुनकर गहलोत के समर्थकों को हटाया और अपने समर्थकों को जिला अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद सौंपे। पायलट के इस रवैए से गहलोत के समर्थक स्वयं को उपेक्षित मान रहे थे। लेकिन अब जहां गहलोत समर्थकों में हर्ष देखा जा रहा है, वहीं पायलट के समर्थक मायूस है। 
(एस.पी.मित्तल) (26-04-17)
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