Monday 24 April 2017

#2496
बिजली के निजीकरण पर क्या अजमेर के विधायक कोटा के भाजपा विधायकों की तरह विरोध कर सकेंगे।
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24 अप्रैल को राजस्थान विधानसभा में कोटा के भाजपा विधायक भवानी सिंह राजावत और प्रह्लाद गुंजल ने कोटा में बिजली के निजीकरण का पुरजोर विरोध किया। इन भाजपा विधायकों का कहना रहा कि निजी कंपनी कोटा वासियों को जमकर लूट रही है और बेवजह बिजली के कनेक्शन काटे जा रहे हैं। विधायकों ने सरकार से मांग की कि कोटा में पुन: विद्युत वितरण निगम को ही बिजली सप्लाई का काम सौंपा जाए। विधायकों का यह भी कहना रहा की निजी करण की वजह से सरकार की छवि पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सवाल उठता है कि कोटा के भाजपा विधायकों ने जिस तरह बिजली के निजीकरण का विरोध किया है, क्या उसी तरह अजमेर के भाजपा विधायक भी निजीकरण का विरोध करेंगे? सरकार ने अजमेर शहर की बिजली सप्लाई का काम भी टाटा पावर कंपनी को दे दिया है। कंपनी के कार्मिकों ने काम भी शुरू कर दिया है। अजमेर में भी यह आशंका जताई जा रही है कि टाटा पावर कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी उपभोक्ताओं का शोषण करेंगे। अजमेर शहर में भाजपा के दो विधायक हैं, एक वासुदेव देवनानी तथा दूसरी अनिता भदेल। यह दोनों ही स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री हैं। हालांकि अजमेर में निजी करण को लेकर बहुत विरोध हुआ है, लेकिन इन दोनों विधायकों ने अभी तक भी निजीकरण पर अपनी कोई राय प्रकट नहीं की है। जानकारों के अनुसार अजमेर डिस्कॉम में टाटा पावर के साथ जो समझौता किया है, वह निगम और शहर वासियों के लिए नुकसान देय है इसमें विद्युत निगम के अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने का और अवसर मिल जाएगा।
(एस.पी.मित्तल) (24-04-17)
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