Friday 21 April 2017

#2484
तो क्या अब भाजपा कश्मीर में महबूबा से पीछा छुड़ाना चाहती हैं? 
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जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीडीपी की सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भाजपा के शीर्ष नेता राम माधव ने 21 अप्रैल को यह मान लिया है कि महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरी है। राम माधव का यह बयान तब आया है, जब 23 अप्रैल को महबूबा मुफ्ती दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने वाली हैं। सब जानते हैं कि राम माधव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से निकलकर भाजपा में आए हैं। सरकार के गठन के समय यह माना गया की भाजपा के शामिल होने से जम्मू कश्मीर खासकर कश्मीर घाटी में अलगाववादियों की गतिविधियों पर नियंत्रण किया जा सकेगा। लेकिन हालात बताते हैं की भाजपा और पीडीपी की गठबंधन की सरकार के बाद तो कश्मीर घाटी के हालात बद से बदतर हुए हैं। आतंकी बुरहान बानी की मौत के बाद तो हालात नियंत्रण में आ ही नहीं रहे हैं। केंद्र सरकार का भी यह मानना है की महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री होने के नाते जो कदम उठाए जाने चाहिए थे, वह घाटी में नहीं उठाए गए। हालांकि कई बार महबूबा ने अलगाववादियों और पत्थरबाजों की आलोचना की है। लेकिन महबूबा अपने प्रभाव से अलगाववादियों पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकी हैं। घाटी के ताजा हालातों के मद्देनजर अब यह माना जा रहा है कि भाजपा कश्मीर में पीडीपी से अलग हो जाएगी। ऐसे में महबूबा मुफ्ती भी मुख्यमंत्री नहीं रहेंगी। यदि गठबंधन की सरकार गिरती है तो फिर जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू होगा। ऐसे में कश्मीर घाटी में सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार  की हो जाएगी। आज कश्मीर के जो हालात हो गए हैं, उसमें आतंकवादियों और अलगाववादियों से सख्ती के साथ निपटने की जरूरत है। जिस तरह से स्कूली बच्चे भी अब सुरक्षाबलों पर पत्थर फैंकने लगे हैं, उसमें सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो पाकिस्तान यह कभी नहीं चाहेगा कि कश्मीर में शांति हो। केंद्र सरकार पहले भी कई बार कह चुकी है कि घाटी में अशांति होने के पीछे पाकिस्तान से प्रशिक्षित होकर आए आतंकवादियों की भूमिका है।
(एस.पी.मित्तल) (21-04-17)
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