Wednesday 15 July 2015

सरकारी स्कूल भवन खाली करने के लिए आखिर कौन मांग रहा है 5 करोड़ रुपए की रिश्वत


(spmittal.blogspot.in)

अजमेर में जयपुर रोड स्थित चन्दन निवास राजकीय उच्च प्राथमिक कन्या विद्यालय के जर्जर भवन को खाली करने के लिए आखिर 5 करोड़ रुपए की रिश्वत कौन मांग रहा है? अब तक हुई कार्यवाही से पता चलता है कि अजमेर के प्राथमिक शिक्षा के जिला शिक्षा अधिकारी ने आधे से ज्यादा भवन का कब्जा भवन स्वामी श्रीमती शायरा लोढ़ा को सौंप दिया था और पिछले डेढ़ वर्ष से इस स्कूल के बच्चे निकटवर्ती मॉडल स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन 13 जुलाई को अचानक कुछ बच्चों को वापस चन्दन निवास के जर्जर भवन में लाकर बैठा दिया गया है। इससे प्रतीत होता है कि 5 करोड़ रुपए की रिश्वत लिए बिना स्कूल का भवन खाली नहीं किया जाएगा। शिक्षा विभाग के जिन अधिकारियों ने भवन को जर्जर मानते हुए डेढ़ वर्ष पहले खाली कर दिया था, वे अब यह बताने की स्थिति में नहीं है कि आखिर बच्चों को वापस इसी भवन में क्यों बैठा दिया गया है। मॉडल स्कूल की प्रधानाध्यापिका से लेकर अजमेर के शिक्षा विभाग के उपनिदेशक तक का कहना है कि हमारे सिर पर ऊपर का दबाव है, लेकिन यह दबाव किसका है, इसके बारे में कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। भवन मालिक को भी दलालों ने स्पष्ट कह दिया है कि जब तक भेंट पूजा नहीं की जाएगी तब तक स्कूल का भवन खाली नहीं होगा। दलालों का कहना है कि क्या कोई सरकारी स्कूल मुफ्त में ही खाली हो जाएगा। दलालों को भी पता है कि अजमेर शहर के बीचो-बीच जयपुर रोड पर स्थित चंदन निवास की भूमि कोई तीन हजार वर्ग गज है और आज इसकी व्यावसायिक कीमत 50 करोड़ रुपए से कम नहीं होगी। ऐसे में क्या भवन मालिक 5 करोड़ रुपए नहीं दे सकता? दलाल 5 करोड़ रुपए की रिश्वत ऐसे मांग रहे है, जैसे चंदन निवास की भूमि इनके पिताजी की है। यह भूमि तो श्रीमती शायर लोढ़ा के परिवार की है। शायर लोढ़ा के पति किशोर लोढ़ा ने बताया कि वर्ष 2014 में पीडब्ल्यूडी ने इस भवन को जर्जर माना था और शिक्षा अधिकारियों को लिखित में दिया कि यदि जर्जर भवन में बच्चे पढ़ते है तो कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। यानि जर्जर भवन की छत गिरने से मासूम बच्चे दब कर मर सकते है। पीडब्ल्यूडी की इस तकनीकी राय पर ही बीकानेर स्थित प्राथमिक शिक्षा के निदेशक ने 26 मई 2014 को अजमेर के जिला शिक्षा अधिकारी को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि चंदन निवास स्कूल को अन्यंत्र स्थानान्तरित कर भवन का कब्जा श्रीमती शायर लोढ़ा को सौंप दिया जाए। निदेशक के आदेश के अनुरूप ही 30 मई 2014 को जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका को एक पत्र लिखा। इस पत्र में कहा कि चंदन निवास स्कूल को कचहरी रोड स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट कर दिया जाए। इसके आधार पर ही एक जुलाई 2014 को चंदन निवास से सभी बच्चों को हटाकर मॉडल स्कूल में स्थानान्तरित कर दिया। इतना ही नहीं 14 अगस्त 2014 को समानीकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत चन्दन निवास स्कूल को मॉडल स्कूल में मर्ज भी कर दिया गया। इसके साथ ही स्कूल के पांच कमरों का कब्जा भवन मालिक को दे दिया गया। शिक्षा विभाग में इस तथ्य को कई बार स्वीकार किया गया कि चंदन निवास में कोई सरकारी स्कूल नहीं चल रहा है, लेकिन जिन दो कमरों में स्कूल का फर्नीचर रखा गया था उसकी चाबी भवन मालिक को नहीं दी थी। भवन मालिक शायर लोढ़ा को 13 जुलाई को तब आश्चर्य हुआ, जब एक बार फिर कुछ बच्चों को स्कूल भवन में लाकर बैठा दिया गया। स्कूल भवन की साफ-सफाई का काम भी बच्चों से ही करवाया गया। बच्चों को जर्जर भवन में लाकर क्यों बैठाया गया है, इसका कोई जवाब शिक्षा अधिकारियों के पास नहीं है। इसलिए यह माना जा रहा है कि जब तक दलालों को 5 करोड़ रुपए की रिश्वत नहीं दी जाएगी तब तक जर्जर भवन भी शिक्षा अधिकारी खाली नहीं करेंगे। इस आरोप की आशंका इससे भी होती है कि हाल ही में अजमेर के उपनिदेशक ने प्राथमिक शिक्षा के निदेशक को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि चंदन निवास स्कूल अब प्राथमिक से उच्च माध्यमिक में आ गया है, इसलिए जर्जर भवन खाली करने के संबंध में दोबारा से दिशा निर्देश दिए जाए। उपनिदेशक का यह पत्र दलालों की मदद करने वाला ही है। इस बीच गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने भी स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी को एक पत्र लिखा है और इस मामले में उचित कार्यवाही करने का आग्रह किया गया है। भवन मालिक श्रीमती शायर लोढ़ा को उम्मीद है कि शिक्षा मंत्री देवनानी अपनी ईमानदार छवि को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द जर्जर भवन का कब्जा सौंप देंगे। देवनानी अजमेर उत्तर क्षेत्र में ही भाजपा के विधायक हैं।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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