Saturday 4 July 2015

मदरसे आधुनिक शिक्षा के केन्द्र क्यों न बनें?


(spmittal.blogspot.in)

क्या मजहबी शिक्षा से जीवन गुजारा जा सकता है?  
भारत में इन दिनों मजहबी तालीम देने वाले मदरसों को लेकर बवाल मचा हुआ है। जहां सरकार की मंशा मदरसों को आधुनिक शिक्षा का केन्द्र बनाने की है वहीं सरकार की इस पहल का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि सरकार मुस्लिम धर्म में हस्तक्षेप कर रही है। जबकि संविधान में लिखा है कि भारत में व्यक्ति अपने धर्म के अनुरूप रह सकता है। यह माना कि हमारा संविधान सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार देता है, लेकिन क्या उत्तरप्रदेश और देश के अन्य मदरसे आधुनिक शिक्षा के केन्द्र नहीं होने चाहिए। जब हम इन्टरनेट तकनीक का उपयोग कर पूरी दुनिया को मुट्ठी में रखने की बात करते हैं तब क्या सिर्फ किसी मजहबी शिक्षा से गुजारा किया जा सकता है। कई बार ऐसी शिकायतें सामने आई हैं कि मदरसों में ऐसी शिक्षा दी जा रही है जिससे जिहाद की प्रवृति को बढ़ावा मिलता है। ऐसी ही परिस्थितियों में भारत में कई मुस्लिम युवा सीरिया, इरान, इराक, मिश्र आदि मुस्लिम देशों में चले गए और वहां आईएस जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन में शामिल हो गए। यह वही आईएस है जिससे किसी धर्म और संस्कृति की पहचान होती है। यही वजह है कि आईएस के लड़ाकों ने अनेक मुस्लिम देशों में न केवल ऐतिहासक मस्जिदों को तबाह कर दिया बल्कि ऐतिहासिक इमारतों को मिट्टी के ढेर में तब्दील कर दिया। भारत के लिए यह बेहद ही खतरनाक बात है कि यहां के अनेक मुस्लिम युवक आईएस के सम्पर्क में है। जो आईएस इरान, इराक, मिश्र, सीरिया जैसे मुस्लिम देशों में तबाही मचा रहा है। वह यदि भारत आ गया तो तबाही की कल्पना करने से ही रूह कांप जाती है। यहां मस्जिदें, दरगाह, मुस्लिम शासकों द्वारा बनाए गए ताजमहल जैसे स्थानों के साथ-साथ हिन्दुओं के धार्मिक स्थल भरे पड़े हैं। भारत में तो आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति मिलीजुली है। भले ही मंदिरों में जाने वाले मुसलमानों की संख्या कम हो लेकिन दरगाहों में जाने वाले हिन्दुओं की संख्या करोड़ों में है। यदि आईएस भारत की दरगाहों को भी निशाना बनाता है तो हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। 4 जुलाई को तो ताजा खबर आई है कि आईएस के लड़ाके पाक अधिकृत कश्मीर में आ गए हैं। पाक अधिकृत कश्मीर हमारे कश्मीर से जुड़ा हुआ है। हम सब जानते हैं कि हमारे कश्मीर में भी आए दिन आईएस के झण्डे लहराए जा रहे हैं। यदि खुलेआम पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए जाते हैं। आज जम्मू-कश्मीर में जो लोग सत्ता में बैठे हैं उनमें भी इतनी हिम्मत नहीं है कि वे कश्मीर के श्रीनगर में खड़े होकर भारत के समर्थन में कुछ कह सकें। हालत इतने खराब हैं कि जो हिन्दू कश्मीर से भागकर आ गए वे दोबारा से अपन घर नहीं लौट पा रहे हैं। यह तो तब है जब केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार है और भाजपा के दम पर ही जम्मू-कश्मीर में पीडीपी की सरकार चल रही है यदि वर्तमान दौर में भी हिन्दू कश्मीर में अपने घरों में नहीं जा सकते हैं तो फिर कभी भी इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। देश में आज सवाल मदरसों का नहीं है बल्कि देश की एकता और अखण्डता का है। जब हम संविधान को दिखाकर अपने धर्म के आधार पर रखे जाने का हक जताते हैं। तब हमें देश की एकता और अखण्डता को भी बनाए रखना चाहिए। ऐसा न हो कि धार्मिक उन्माद की वजह से भारत की एकता और अखण्डता खतरे में पड़ जाए। जो मदरसे सरकार की मदद से चल रहे हैं उनमें ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जो देशभक्ति की हो। क्या कोई सरकार ऐसे संस्थान चलाएगी जो देश के लिए खतरा हो? मदरसों में यदि धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ गठित विज्ञान, अंग्रेजी आदि की भी शिक्षा दी जाती है तो इस पर किसी को भी ऐतराज नहीं होना चाहिए। मदरसों का मकसद भी देश की एकता और अखण्डता को बनाए रखने वाला होना चाहिए। पिछले दिनों जिस प्रकार मुस्लिम विद्वानों, मौलवियों, उल्लेमाओं आदि ने आगे बढ़कर योग के पक्ष में वातावरण बनाया ठीक उसी प्रकार एक बार फिर मुस्लिम जगत को मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए माहौल बनाना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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